राजस्थान में बना देश का पहला मिट्टी से बना नृत्य आश्रम, विदेश से भी डांस सीखने आते हैं लोग

eco-friendly dance school

जयपुर से 30 किमी दूर महेश्वास गांव में बने ‘विन्यासा डांस आश्रम’ में देश-विदेश से लोग वेस्टर्न और कंटेम्पररी डांस सीखने आते हैं। इस डांस स्कूल को पूरी तरह से मिट्टी और बैम्बू जैसी प्राकृतिक चीजों से बनाया गया है।

कहते हैं, कला का सीधा सम्बन्ध प्रकृति से होता है और ये दोनों हमेशा एक दूसरे के पूरक भी होते हैं और प्रेरणा भी। जयपुर से करीबन 30 किमी दूर महेश्वास गांव में बना डांस स्कूल ‘विन्यासा डांस आश्रम’ इसका एक बेहतरीन उदाहरण है। इस आश्रम को बनाया है,  जयपुर के संकल्प शर्मा ने जो खुद एक कंटेम्पररी डांस टीचर हैं और सालों से वेस्टर्न डांस की अलग-अलग फॉर्म सीख रखे हैं। 

लेकिन प्रकृति के प्रति जिम्मेदार संकल्प को हमेशा से ही लगता था कि कैसे वह अपनी ओर से कार्बन फुट प्रिंट को कम कर सकें? इसलिए जब 2021 में उन्होंने खुद का डांस स्कूल बनाने के फैसला किया,  तब सीमेंट की एक बिल्डिंग बनाने के बदले मिट्टी, चूने और बैम्बू जैसे प्राकृतिक चीजों से पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल डांस आश्रम ‘विन्यासा’ बनाया। 

हालांकि संकल्प कहते हैं,  “इसका एक कारण यह भी है कि जब मैं न्यूयॉर्क में कंटेम्पररी डांस सीख रहा था,  तब मैंने देखा कि लोग बस भाग रहे हैं। उनके जीवन में सुविधाएं तो बहुत हैं, लेकिन कुछ भी प्राकृतिक  नहीं है। वहां अगर एक पौधा भी लगा है, तो उसके पीछे एक प्लानिंग की गई होती है। इसलिए मैं प्राकृतिक तरीके से जीवन जीना चाहता था और लोगों को भी ऐसा करने  के लिए प्रेरित करना चाहता था।”

हाल में उनके डांस आश्रम में देश के हर एक राज्य, यहां तक की विदेशों से भी लोग डांस सीखने आते हैं और वे सभी यहां से डांस के साथ-साथ, पर्यावरण के प्रति ज्यादा जिम्मेदार होने का सबक भी लेकर जाते हैं।  

बचपन में गांव में गुजरे बचपन ने जोड़ा प्रकृति से 

Sankalp Sharma
Sankalp Sharma

संकल्प यूं तो जयपुर के रहनेवाले हैं, लेकिन हमेशा छुट्टियों में जयपुर के पास अपने गांव जाया करते थे। वहां वह अपने माता-पिता को फार्मिंग करते या सादे तरीके से पेड़-पौधों के बीच रहते देखते थे। यह सबकुछ उन्हें काफी अच्छा भी लगता था। वहीं, संकल्प को डांस के प्रति भी खास लगाव था। 

यानी बचपन से ही संकल्प कला और प्रकृति दोनों से ही जुड़े हुए थे। लेकिन बचपन में शायद उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि वह एक दिन इसी गांव में अपने लिए एक डांस स्कूल शुरू करेंगे। दसवीं की परीक्षा पास करने के बाद, संकल्प साइंस की पढ़ाई कर रहे थे।

वह बताते हैं, “उस समय मैंने इंजीनियर बनने का सपना देखा था। लेकिन पढ़ाई के चक्कर में मेरा डांस बिल्कुल छूट गया था। यहां तक कि स्कूल में भी साइंस वालों को किसी सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लेने नहीं दिया जाता था और उस दौरान डांस से दूर जाकर मैंने जाना कि मुझे डांस से कितना लगाव है।”

कोरोना काल बना भारत में डांस स्कूल शुरू करने की वजह

Vinyasa Dance Ashram
Vinyasa Dance Ashram

संकल्प ने 12वीं पास करने के बाद, मुंबई में एक डांस स्कूल ज्वाइन किया। वहां से डेढ़ साल का डिप्लोमा कोर्स किया। उन्होंने वहां कंटेम्पररी, बेले और जैज़ जैसे कई डांस फॉर्म्स सीखे। उस डेढ़ साल के कोर्स के बाद वह कंटेम्पररी डांस सीखने के लिए न्यूयॉर्क गए।

न्यूयॉर्क में वह पढ़ने के साथ-साथ काम भी किया करते थे, उन्होंने कई जगहों पर परफॉर्मेंस दी थी। संकल्प साल 2020 में  कुछ समय के लिए भारत वापस आए थे। उस समय वह फिर से न्यूयॉर्क  जाकर काम करने वाले थे।  उन्होंने कुछ भारतीय छात्रों का स्कॉलरशिप के ज़रिए न्यूयोर्क की डांस स्कूल में एडमिशन भी कराया।  लेकिन कोरोना के कारण उनका यह प्लान कैंसिल हो गया, जिसके बाद वह काफी समय तक घर पर थे। 

वह कहते हैं, “शुरुआत में न्यूयॉर्क न जाने के कारण मैं काफी दुखी था। लेकिन उस खाली समय में मुझे सोचने का समय मिला। मुझे अपने एक सर की कही हुई बात याद आई कि अच्छा डांसर बनने के लिए अपने आप से जुड़ना ज़रूरी है। फिर मैंने अपने देश में रहकर ही अपना  डांस स्कूल खोलने  के बारे में विचार किया।”

बनाया देश का पहला ईको-फ्रेंडली डांस आश्रम 

जब डांस स्कूल खोलने की बात हुई, तो उन्होंने शहर के बजाय गांव में रहने का फैसला किया। उन्होंने अपने स्कूल के लिए पारम्परिक बिल्डिंग के बजाय, कुछ अलग प्रकृति से जुड़ा हुआ करने का सोचा। इसके लिए उन्होंने कई तरह की रिसर्च करने से शुरुआत की। उन्होंने जानना शुरू किया कि देश में किस तरह के ईको-फ्रेंडली बिल्डिंग्स बनाई जा रही हैं।  

इसी दौरान वह जयपुर के ही एक आर्किटेक्ट चिन्मय पारीख से मिले, जो ईको-फ्रेंडली कंस्ट्रक्शन से सालों से जुड़े हुए हैं। साल 2021 में चिन्मय की मदद से विन्यासा का काम शुरू किया गया।  उन्होंने अपने गांव में दो बीघा ज़मीन पर काम करना शुरू किया। 

विन्यासा में सात कॉटेजेज़ बनाए गए हैं। उन्होंने हर एक कॉटेज की छत ग्रीन बनाई है, जिसके लिए ऊपर घास उगाई गई है।  इसके साथ आश्रम के अंदर बारिश का पानी जमा करने के लिए एक तालाब बनाया गया है।  साथ ही एक  ऐम्फथीएटर, रिसेप्शन एरिया और ऑफिस को भी मिट्टी और चूने की मदद से ही बनाया गया है। वहीं, यहां करीबन 60 स्टूडेंट्स के रहने के लिए डोरमेट्री भी बनाई गई हैं।  

प्रकृति की आवाज़ों के साथ, ताल से ताल मिलाते हैं छात्र

Eco-friendly open dance studio
Eco-friendly open dance studio

विन्यासा के सबसे बेहतरीन हिस्से के बारे में बात करते हुए संकल्प ने बताया कि यहां का डांस स्टूडियो चार दीवारों के अंदर नहीं, बल्कि बिना दीवारों के बनाया गया है। इस 2000 स्क्वायर फ़ीट के डांस स्टूडियों में लकड़ी का फ्लोर बनाया गया है और छत को बांस से बनाया गया है।  

वह कहते हैं, “आमतौर पर डांस स्टुडियो को शीशे की दिवार के साथ बनाया जाता है। लेकिन मैंने इसे बिल्कुल खुला रखा, ताकि डांस करते समय हम अपने बाहरी हाव-भाव को शीशे से नहीं, बल्कि अपने मन से देख सकें। इसके साथ ही प्रकृति की आवाजों से हम ताल मिला कर डांस कर सकें।”

हाल में मानसून के मौसम में उनके फर्स्ट बैच के स्टूडेंट्स ने बारिश की आवाज़ के साथ डांस किया। संकल्प ने बताया कि इस तरह खुले में डांस करने का अनुभव सबके लिए बेहद ही अनोखा था।  

आश्रम में स्टूडेंट्स को दी जाती है ईको-फ्रेंडली जीवन जीने की सीख

संकल्प निजी जीवन में भी प्लास्टिक का इस्तेमाल कम से कम करते हैं। उन्होंने अपने आश्रम का एक छोटा सा सिटिंग एरिया, वेस्ट प्लास्टिक को रीसायकल करके बनाया है। उन्होंने बताया, “हमने 2021 में प्लास्टिक फ्री जयपुर कैम्पेन किया था, वहां से जमा सारा प्लास्टिक और विन्यासा बनाने में जाने-अनजाने इस्तेमाल किए हुए प्लास्टिक को हमने इस सिटिंग एरिया की कुर्सी बनाने में इस्तेमाल किया है। इससे ये प्लास्टिक्स लैंडफिल में जाने से बच गए और सालों साल कुर्सियों के रूप में इनका इस आश्रम में सदुपयोग होता रहेगा।”

हालांकि वह, यह मानते हैं कि प्लास्टिक को पूरी तरह से बेन करना बेहद मुश्किल काम है। देश-विदेश से लोग यहां आते हैं और किसी न किसी रूप में प्लास्टिक लेकर आते ही हैं। लेकिन इस प्लास्टिक को लैंडफिल में बचाने के लिए उन्होंने एक अनोखा उपाय खोजा है।

इस डांस आश्रम में आए सभी स्टूडेंट्स को अपना प्लास्टिक वेस्ट कलेक्ट करके इससे ईको ब्रिक बनाना सिखाया जाता है। यानी जो प्लास्टिक विन्यासा में आता है वह यहां से बाहर नहीं जाता। इसी साल पहली जुलाई में विन्यासा ने अपने पहले बैच के साथ काम करना शुरू किया है। जहां देश के कई राज्यों सहित अमेरिका से भी एक स्टूडेंट आई थीं।

फिलहाल यहां पांच टीचर्स हैं, जिनमें संकल्प सहित तीन टीचर्स कंटेम्पररी डांस सिखाते हैं। एक टीचर स्कल्पचर सिखाती हैं और एक टीचर लैटिन डांस सिखाने के लिए हैं। 

सालों विदेश में रहने के बाद भी संकल्प जिस तरह से  गांव में रहकर लोगों को कला के साथ-साथ प्रकृति से जोड़ने का काम कर रहे हैं, वह वाकई में कबील-ए-तारीफ है। भारत के इस पहले ईको-फ्रेंडली डांस आश्रम के बारे में ज्यादा जानने के लिए यहां क्लीक करें।

संपादनः अर्चना दुबे

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