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ड्रैगन फ्रूट से वाइन और केक बना रहा है यह किसान, लाखों में होती है कमाई

आंध्र प्रदेश-ओडिशा सीमा अवैध गांजे की खेती के लिए बदनाम है। लेकिन, मूल रूप से एक एडवेंचर स्पोर्ट्स टीचर जस्टिन स्ट्रॉबेरी, ड्रैगन फ्रूट, पैशनफ्रूट और ब्लैकबेरी जैसे फलों की खेती और उससे केक, वाइन जैसे कई उत्पादों को बनाकर यहाँ विकास की एक नई इबादत गढ़ रहे हैं।

आंध्र प्रदेश: इंजीनियरिंग के छात्र ने बनाया ऐसा विंड टरबाइन, जिससे मिल सकता है बिजली-पानी

आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में रहने वाले मधु वज्रकरुर इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के छात्र हैं और उनके यहाँ बिजली और स्वच्छ पेयजल की कोई खास सुविधा नहीं है। इस भीषण संकट का सामना करने के लिए उन्होंने एक ऐसा विंड टरबाइन बनाया है, जो बिजली और पीने योग्य पानी उत्पन्न कर सकता है।

छत पर फूल और सब्ज़ियों के साथ-साथ उगाई रागी, अब पंछियों को मिलता है भरपूर खाना

By निशा डागर

रचना के गार्डन में 100 से भी ज्यादा पेड़-पौधे हैं और वह ज़्यादातर सब्जियां गमलों में ही उगातीं हैं!

पिछले 27 सालों में पानी के लिए एक भी रूपया नहीं चुकाया है विशाखापट्टनम की इस कॉलोनी ने

By पूजा दास

सोसाइटी वालों की इस पहल के चलते उन्हें केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय की ओर से एक लाख रूपए का पुरस्कार भी मिला है।

आंध्र-प्रदेश के राजेंद्र प्रसाद का अनोखा आविष्कार, मटके को बिना छुए निकाल सकते हैं पानी!

By निशा डागर

राजेंद्र प्रसाद का उद्देश्य 'प्रॉब्लम टू प्रोडक्ट' है यानी कि समस्यायों पर बहस करते रहने की बजाय उनका समाधान ढूँढना!

मिट्टी से बने ये 'गोल घर' बड़े से बड़े चक्रवात को भी आसानी से झेल सकते हैं!

1975 के बाद से आंध्र प्रदेश ने 1977 के चक्रवात सहित 60 से अधिक चक्रवातों का सामना किया है इस दौरान तटीय क्षेत्रो के लोगों ने इस तरह के घर बनाकर खुद का बचाव किया!

विशाखापट्नम गैस लीक : इस युवक ने 70 लोगों को दिया आश्रय !

"मैंने देखा कि लोग अपने परिवार के बाकी सदस्यों के लिए रो रहे हैं और बोरबेल से पानी पीकर अपनी प्यास बुझा रहे हैं। मुझे काफी दुख हुआ और मैंने उन लोगों की मदद करने का फैसला किया।"

1 रुपये में इडली, 2.50 रुपये में दोसा खिला रही हैं ये दो दादियाँ!

By निशा डागर

"यह ग्रामीण इलाका है और यहाँ पर बहुत से ज़रूरतमंद लोग है। मैं बस उन्हें कम से कम कीमत पर खाना खिलाना चाहती हूँ।"

गहने और प्रॉपर्टी बेचकर बनाया अनाथ दिव्यांगों के लिए घर!

By निशा डागर

किसी भी बच्चे की सबसे बड़ी ख्वाहिश या फिर इच्छा होती है कि उसके पास अपना घर और परिवार हो और इसलिए उन्होंने अपने संगठन का नाम 'इच्छा फाउंडेशन' रखा।