काँच और इसके बने प्रोडक्ट्स अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल भारत में लगभग 21 मिलियन मीट्रिक टन काँच का उत्पादन होता है और इसके प्रोडक्ट्स बनते हैं। काँच पूरी तरह से रीसायकलेबल है लेकिन फिर भी हम सालाना उत्पादित काँच का सिर्फ 45% ही रीसायकल कर पाते हैं। बाकी जो काँच के प्रोडक्ट्स हैं वह आपको कहीं लैंडफिल में तो कहीं किसी झील, नदी या नाले में दिखते हैं। इससे न सिर्फ हमारी ज़मीन बल्कि पानी के स्त्रोत भी प्रदूषित हो रहे हैं।
यकीनन, सरकार को इस दिशा में और भी बहुत काम करने की ज़रूरत है ताकि उत्पन्न होने वाला 100% काँच रीसायकल हो सके। हालांकि, सरकार और प्रशासन क्या कर सकते हैं और क्या नहीं, इस बारे में बात करने से बेहतर है हम यह सोचें कि आम नागरिक व्यक्तिगत तौर पर क्या कर सकता है? जी हाँ, इस बारे में हम और आप भी बहुत कुछ कर सकते हैं और इसका सबसे अच्छा उदहारण है, केरल की 24 वर्षीया अपर्णा।
बीएड पास अपर्णा पिछले 3-4 सालों से बेकार पड़ी और फेंकी गई काँच की बोतलों को अपसाइकिल करके खूबसूरत और अनोखे होम डेकॉर प्रोडक्ट्स बना रही हैं। वह जो भी क्रॉफ्ट आइटम बनाती हैं, उसके लिए कोई वेस्ट बोतल ही इस्तेमाल करती हैं। अपसायकल्ड क्रॉफ्ट के प्रति अपने प्यार के चलते उन्होंने पिछले साल एक झील की सफाई भी करवा दी।
अपर्णा ने द बेटर इंडिया को बताया, “मेरी माँ पेशे से नर्स हैं लेकिन उन्हें घर को सजाने का काफी शौक है। उनके बारे में अच्छी बात यह है कि वह घर के किसी पुराने बेकार मटेरियल से ज़्यादातर चीजें बनाती हैं। बचपन से मैंने उन्हें आर्ट एंड क्रॉफ्ट करते हुए देखा और शायद उन्हीं से यह चीज़ मुझमें भी आई है। मैं भी हमेशा से स्कूल की आर्ट एंड क्रॉफ्ट एक्टिविटीज में भाग लेती थी। फिर अलग-अलग चीजें जैसे फैब्रिक पेंटिंग, टेराकोटा की ज्वेलरी बनाना और वेस्ट चीजों को अपसाइकिल करना सीखा।”
अपर्णा ने शौक-शौक में आर्ट एंड क्रॉफ्ट शुरू किया और फिर जब उनका हुनर निखरता गया तो उन्हें ऑर्डर भी मिलने लगे। तरह-तरह के क्रॉफ्ट ट्राई करने वाली अपर्णा वेस्ट काँच की बोतलों को अपसायकल कर खूबसूरत रूप भी देने लगी। वह मन्रोतुरुत्तु में रहती हैं जो कोल्लम से थोड़ा दूर है और एक टूरिस्ट प्लेस है।
अपनी पढ़ाई के लिए उन्हें हर रोज़ कोल्लम जाना होता था। टूरिस्ट प्लेस होने के कारण उन्हें अक्सर रास्ते में तरह-तरह का कूड़ा दिखता, जिसमें काँच की बोतल काफी मात्रा होती थी। वह कॉलेज से आते वक़्त हमेशा काँच की बोतलें इकट्ठा करके ले आती और इन्हें साफ़ करके, इन पर अलग-अलग क्राफ्ट करती थी।
यह सिलसिला साल 2017 से शुरू हुआ। वह कहती हैं कि नए-नए क्राफ्ट आइडियाज के लिए वह काफी कुछ रिसर्च भी करती हैं। इस दौरान उन्हें यह भी समझ में आया कि अपसायकलिंग हमारे पर्यावरण को बचाने के लिए एक अच्छी एप्रोच है। “हमारे यहाँ अष्टमुडी झील काफी मशहूर है लेकिन इसका एक हिस्सा कूड़े-कचरे से भरा हुआ था। मैंने सोचा कि क्यों न हम इसे साफ़ करें और इससे जो भी अपसायकल करने वाली चीजें मिलेंगी, उन्हें हम अपसायकल करके बेच सकेंगे। इससे दूसरे लोगों को भी एक सकारात्मक संदेश जाएगा,” उन्होंने कहा।
यह मार्च 2019 था और अपर्णा ने अपने फेसबुक एकाउंट पर पोस्ट किया कि क्यों न 23 मार्च को जल दिवस के मौके पर अष्टमुडी झील को साफ़ किया जाए। उनकी पोस्ट को पढ़कर बहुत से लोग उनकी मदद के लिए आगे आए। 17 मार्च से लेकर 21 मार्च तक उन्होंने झील को साफ़ किया और वेस्ट बाहर निकाला। इसके बाद, 22 मार्च को अपर्णा ने सभी को रंग आदि दिया और जो भी बोतलें झील से निकली थी, उन्हें साफ़ करके उन पर क्रॉफ्ट करने के लिए कहा। सबने मिलकर वहीं पर क्रॉफ्ट बनाया और शाम में, इन सभी को सड़क के किनारे रखकर बेचा गया।
इसके बाद, अपर्णा ने कभी मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने यह काम शौकिया तौर पर शुरू किया था लेकिन अब वह एक उद्यमी हैं। उन्होंने अपने स्टार्टअप का नाम ‘कुप्पी’ रखा है, मलयालम में इसका मतलब होता है बोतल। वह कहती हैं कि अक्सर जब वह पुरानी बेकार बोतलों को इकट्ठा करती थी तो लोग उन्हें चिढ़ाते थे और उन्हें ‘कुप्पी’ कहने लगे थे, लेकिन जब वह इन बोतलों को अपसाइकिल करके सोशल मीडिया पर पोस्ट करने लगी तो उन्हें ऑर्डर्स आने लगे। अपने प्रोडक्ट्स को बेचने के लिए उन्होंने अपना ब्रांड नाम ‘कुप्पी’ ही रखा।
उन्होंने कुप्पी को टूरिस्ट डिपार्टमेंट में रजिस्टर कराया है क्योंकि वह टूरिस्ट को भी इस पर वर्कशॉप देती हैं। अपने घर के एक कमरे को उन्होंने ‘कुप्पी स्टूडियो’ में तब्दील किया है, जहाँ वह लोगों को अपना काम दिखाती हैं और कभी-कभी वर्कशॉप भी लेती हैं।
” मैंने स्कूलों में भी बच्चों को वर्कशॉप दी हैं कि कैसे वह वेस्ट को क्रॉफ्ट में बदल सकते हैं। कई ऑनलाइन सेशन भी मैंने किए हैं और लॉकडाउन के दौरान ये सेशन बहुत ही कामयाब रहे। मैंने ऑनलाइन कैंपेन भी चलाया जिसमें काफी सारे लोगों ने हिस्सा लिया और अपने -अपने अपसायकल क्रॉफ्ट्स को पोस्ट किया। बहुत अच्छा लगता है जब बच्चे मुझे अपने क्रॉफ्ट्स भेजते हैं और कहते हैं कि हमने आपसे प्रेरणा लेकर यह किया है,” उन्होंने आगे बताया।
अपर्णा बोतलों से बहुत सी क्रिएटिव चीजें बनाती हैं और उन्हें अलग-अलग जगहों से ऑर्डर आते हैं। फिलहाल, वह अपने इस हुनर से हर महीने लगभग 40 हज़ार रुपये कमा पाती हैं। उनका उद्देश्य है कि वह ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस काम से जोड़ें ताकि किसी भी प्लास्टिक, काँच या मेटल आदि को फेंकने से पहले हर कोई एक बार सोचे। भविष्य में वह और भी अभियान शुरू करना चाहती हैं।
अपर्णा अंत में बस इतना कहती हैं कि त्यौहारों पर हम तरह-तरह के प्लास्टिक डेकॉर का इस्तेमाल करके सिर्फ अपने घर का वेस्ट बढ़ाते हैं। इससे अच्छा है कि हम थोड़ा-सा वक़्त निकालें और खुद कुछ करने की कोशिश करें। कुछ ऐसा जिससे कि पर्यावरण भी सुरक्षित रहे और हमारा हुनर भी निखरे।
अगर आप अपर्णा की क्रिएटिविटी देखना चाहते हैं या फिर उसके प्रोडक्ट्स ऑर्डर करना चाहते हैं तो उन्हें फेसबुक पर संपर्क कर सकते हैं!
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