Placeholder canvas

30 सालों से सोसाइटी की छत पर उगाते हैं फल-सब्जियां, देश-विदेश घूमकर लाते हैं पौधे

Anil Paul From Patna Is Gardening on The Society Rooftop

करीबन 30 सालों से पटना के अनिल पॉल अपने सोसाइटी की छत पर गार्डनिंग कर रहे हैं। उन्होंने बरगद, पीपल, नीम जैसे देसी पौधों के साथ, कई विदेशी किस्मों के फल-फूल भी लगाए हैं।

इस सृष्टि ने हमें बहुत कुछ दिया है, जिसका ऋण हम ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे उगाकर ही चुका सकते हैं। कुछ ऐसी ही सोच के साथ पटना के अनिल पॉल गार्डनिंग करते हैं। शहर की दौड़ती-भागती जिंदगी में कम ही लोग पौधे लगाकर उनकी देखभाल कर पाते हैं। लेकिन अनिल ने अपने अपार्टमेंट की छत पर एक ऐसा सुन्दर ईको-सिस्टम तैयार किया है, जहां लोगों को हरियाली और पक्षियों का साथ दोनों मिल जाता है। 

यहां उन्होंने फल-फूल और सब्जियों के सैकड़ों पेड़-पौधे उगाए हैं। आज से 30 साल पहले, जब वह इस अपार्टमेंट में रहने आए थे, तब उन्हें अपने पुराने घर का बगीचा छूट जाने का बेहद अफ़सोस था। लेकिन वह कहते हैं न जहां चाह वहां राह! उन्होंने न सिर्फ अपना शौक़ पूरा किया, बल्कि दूसरों को भी गार्डनिंग करना सिखा दिया। उनके अपार्टमेंट में अब कई लोग कुछ-कुछ पौधे उगा रहे हैं। 

द बेटर इंडिया से बात करते हुए वह कहते हैं, “जो लोग प्रकृति से प्यार करते हैं, वे सबसे प्यार कर सकते हैं। इतना ही नहीं गार्डनिंग करके आप अपने घर के गीले कचरे का प्रबंधन भी कर सकते हैं।”

सोसाइटी की छत को बनाया गार्डन 

gardening on rooftop of society building
Anil’s Terrace garden

 पेशे से फिल्म और सीरियल निर्देशक अनिल, अक्सर अपने सीरियल के लिए छोटे-मोटे सीन अपनी छत पर ही फिल्मा लेते हैं। फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े उनके कई दोस्त भी उनके छत की हरियाली का उपयोग अपने शूट में करते रहते हैं। वहीं, सोसाइटी के लोगों के लिए यह गार्डेन  शांति से समय बिताने की पसंदीदा जगह बन गया है। जब उन्होंने यहां पौधे उगाना शुरू किया था, तब कई लोगों ने आपत्ति भी जताई थी। लेकिन अनिल कहते हैं, “हमारी सोसाइटी में रहनेवाले कई लोग अब रिटायर हो गए हैं और अपना शाम का समय बिताने ऊपर गार्डन में आते हैं। यह देखकर मुझे बेहद ख़ुशी मिलती है।”

उनके अपार्टमेंट की पूरी छत तकरीबन 4800 स्क्वायर फ़ीट की है, जिसमें से उन्होंने 1000 स्क्वायर फ़ीट का इस्तेमाल करके पौधे लगाए हैं। अनिल ने जमीन से दो फ़ीट ऊपर क्यारी बनवाकर कुछ पौधे उगाए हैं। वहीं, कुछ पौधे गमले या ग्रो बेग में लगे हैं। उन्होंने कुछ ऑर्नामेंटल पौधों से शुरुआत की थी। इसके बाद, वह मौसमी सब्जियां और फल भी उगाने लगे। 

 गार्डन में लगे हैं कई दुर्लभ पौधे

Bird Of Paradise, VaijayantImala and Adenium
Bird Of Paradise, VaijayantImala and Adenium

अनिल, देश-विदेश जहां भी घूमने जाते हैं, वहां से नए-नए पौधे या बीज लाते रहते हैं। आज से तीन साल पहले,  उनकी बहन ने उन्हें वैजन्तीमाला के बीज दिए थे।  उन्होंने इन बीजों को अपने गार्डन में लगाया और तकरीबन तीन महीने बाद उन बीजों से पौधा भी अंकुरित हुआ। 

फलों में उनके पास बैंकॉक से लाए काले अमरुद, बेर, चीकू, संतरा, अनार, स्ट्रॉबेरी आदि के पेड़ लगे हैं। उन्होंने नागपुर से एक संतरे का पौधा भी लगाया था। जब वह नागपुर की नर्सरी से यह पौधा ला रहे थे, तो उन्हें नर्सरी वाले भैया ने कहा था कि बिहार के तापमान में यह उग नहीं पाएगा। लेकिन तीन साल की मेहनत के बाद इस साल उनके पौधे में आख़िरकार फल उग गए हैं। 

 इसके अलावा, उनके गार्डन में इलाइची, पान, बेसिल, लेमन ग्रास, करी पत्ता, तेज पत्ता, अजवाइन, हल्दी, अदरक, लहसुन  जैसे मसाले और हर्ब के पौधे भी लगे हैं। 

उनके छत पर हरदिन गौरैया, तोता, बुलबुल, हमिंग बर्ड जैसे कई पक्षी आते हैं। उन्होंने गौरैया को आकर्षित करने के लिए विशेष रूप से मेहंदी का पौधा लगाया है। 

terrace gardening in society growing fruits and vegetable

आपको उनके गार्डन में गुलाब, गेंदा, गुड़हल जैसे फूलों के पौधे सहित कई दुर्लभ फूल भी लगे दिखेंगे। जिसमें सुन्दर चिड़ियों के आकर वाला फूल,  बर्ड ऑफ़ पैराडाइस, ब्लीडिंग हार्ट और हिन्दू मान्यता में विशेष जगह रखने वाले शमी के फूल आदि शामिल हैं।  

अनिल के पास 18 साल पुराना अडेनियम का बोनसाई है, जिसे अगर वह बेचना चाहें तो लोग हजारों रुपये देकर खरीदने को तैयार हो जाएंगे। 

20 सालों से नहीं गया गीला कचरा घर से बाहर 

अनिल खुद तो गार्डनिंग करते ही हैं, साथ ही दूसरों को भी गार्डनिंग करना सिखाते हैं। अपना निजी छत ना होने के कारण उन्हें शुरुआत में पौधों की देखभाल में काफी तकलीफ होती थी। वह कहते हैं, “कई बार लोग आधे कच्चे फल, नींबू आदि तोड़ कर ले जाते थे, फूलों की कलियां तोड़ देते थे। लेकिन धीरे-धीरे लोग मुझसे पौधों के बारे में पूछने लगे। फिर कई लोगों ने खुद के पौधे लगाना शुरू किया। अब छत पर हर घर के कुछ पौधे लगे हैं।”

इसके अलावा अनिल, लोगों को कम्पोस्टिंग करना भी सिखाते हैं। उनका कहना है कि बड़े शहरों में कचरा प्रबंधन सबसे बड़ी चुनौती होती है। ऐसे में अगर सभी गार्डन बनाएं और उसके लिए घर पर कम्पोस्ट तैयार करें, तो एक साथ दो-दो समस्या सुलझ जाएगी। उन्होंने 20 सालों से कोई भी गीला कचरा घर के बाहर नहीं फेंका है।  

making Compost at home
Home Composting

उनके गार्डनिंग के काम में उनकी पत्नी भी उनका खूब साथ देती हैं। सारी मौसमी सब्जियां लगाने और पौधों में पानी देने जैसे काम दोनों मिलकर करते हैं।

उनके घर में भी करीबन 50 इंडोर पौधे लगे हैं। बाथरूम में कुछ लो-लाइट पौधे, तो किचन में धनिया, पालक और पुदीना आदि लगे हैं। 

आशा है आपको अनिल की गार्डनिंग की कहानी पढ़कर जरूर प्रेरणा मिली होगी। आप उनसे गार्डनिंग से जुड़ी कोई भी जानकारी लेने के लिए 9430832808 पर संपर्क कर सकते हैं। 

हैप्पी गार्डनिंग!

संपादन- अर्चना दुबे

यह भी पढ़ें: दिल्ली के बीचों-बीच एक मकान, जहाँ है जंगल जैसा सुकून, बसते हैं पंछी और हंसती है प्रकृति

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

Let us know how you felt

  • love
  • like
  • inspired
  • support
  • appreciate
X