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Home गुजरात वडोदरा: हर रोज़ लगभग 300 जरूरतमंद लोगों का पेट भरती हैं 83 वर्षीय नर्मदाबेन पटेल!

वडोदरा: हर रोज़ लगभग 300 जरूरतमंद लोगों का पेट भरती हैं 83 वर्षीय नर्मदाबेन पटेल!

गुजरात के वडोदरा की रहने वाली 83 वर्षीय नर्मदाबेन पटेल, 'राम भरोसे अन्नशेत्रा' नाम से एक पहल चला रही हैं। इस पहल के जरिये वे शहर भर में जरूरतमंद और गरीब लोगों को मुफ़्त में खाना बाँटती हैं। इस नेक काम की शुरुआत उन्होंने साल 1990 में की थी।

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Vadodara Woman

गर दिल में कुछ अच्छा करने का जज़्बा हो और इरादे मजबूत, तो फिर चुनौती कोई भी हो, पर आपका रास्ता नहीं रोक सकती। बल्कि आप और भी ना जाने कितने लोगों के लिए प्रेरणा बन जाते हैं।

ऐसा ही एक प्रेरणात्मक नाम हैं गुजरात के वडोदरा की रहने वाली नर्मदाबेन पटेल। 83 साल की उम्र में भी उनका जरूरतमंद लोगों के लिए कुछ करने का जज़्बा और जुनून देखते ही बनता है। साल 1990 में अपने पति रामदास भगत के साथ मिलकर उन्होंने 'राम भरोसे अन्नशेत्रा' पहल की शुरुआत की थी।

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नर्मदाबेन पटेल

इस पहल के जरिये उन्होंने शहर में जरुरतमंदों को मुफ़्त खाना खिलाना शुरू किया। नर्मदा बेन बताती हैं, "मेरे पति यह शुरू करना चाहते थे। पहले हम खाना बनाकर स्कूटर पर बांटने जाते थे। पर फिर खाने के लिए काफ़ी लोगों ने आना शुरू कर दिया और इसलिए हमने ऑटो-रिक्शा में जाना शुरू किया।"

धीरे-धीरे, आसपास के लोग भी उनके इस काम से प्रभावित हुए और इस नेक काम में सहयोग देना शुरू किया। इसके बाद नर्मदा बेन ने इस काम के लिए एक वैन ले ली। उनकी पहल का नाम 'राम भरोसे' है, पर आज तक कभी भी उन्हें इस काम के लिए किसी से कुछ माँगने की जरूरत नहीं पड़ी।

नर्मदा बेन हर रोज सुबह 6 बजे उठती हैं और खाना बनाने की तैयारी शुरू करती हैं। दाल, सब्ज़ी, रोटी आदि बनाकर, वे सारा खाना बड़े-बड़े डिब्बों में पैक करके, उन्हें वैन में रखकर सायाजी अस्पताल लेकर जाती हैं। यहाँ वे जरुरतमन्द मरीजों और उनके रिश्तेदारों को खाना खिलाती हैं। वे हर रोज लगभग 300 लोगों का पेट भरती हैं।

उनके घर में आपको दीवारों पर कई सारे सर्टिफिकेट्स और सम्मान दिखेंगे। उनके इस काम के लिए उन्हें पूर्व-राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने भी सम्मानित किया था।

"साल 2001 में मेरे पति अस्पताल में थे और वेंटीलेटर पर थे। डॉक्टर ने कहा कि वे ज्यादा नहीं जी सकते और इसलिए बेहतर है कि हम वेंटीलेटर हटा दें। पर उस समय, सबसे पहले मैं वैन में खाना रखकर जरुरतमंदों को खिलाने के लिए गयी, क्योंकि मुझे पता था कि सभी लोग मेरा इन्तजार कर रहे होंगे। इसलिए मैंने डॉक्टर से कहा कि मेरे आने तक का इन्तजार करें," नर्मदा बेन ने बताया।

उन्होंने कहा कि मेरे पति अगर सही होते तो वे भी मुझे यही करने के लिए कहते। अपने पति के जाने के बाद भी नर्मदा बेन इस काम को बाखूबी संभाल रही हैं। हर दिन ज्यादा से ज्यादा लोगों का पेट भरने के दृढ़-निश्चय के साथ वे उठती हैं। उनके चेहरे पर आपको हमेशा एक संतुष्टि-भारी मुस्कान मिलेगी, जो उन्हें यह काम करते हुए मिलती है।

यकीनन, नर्मदा बेन पटेल बहुत से लोगों के लिए प्रेरणा हैं।

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