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भारतीय सेना में भर्ती होने की चाह बनी प्रेरणा, घी खाकर भी 4 महीने में घटाया 31 किलो वजन

Inspiring Weight Loss Story of Prakshi Talwar

एक बार वजन बढ़ जाने के बाद फिर से पतले होने की राह आसान नहीं होती। आधे-अधूरे मन से डाइट और वर्कआउट प्लान भी बनाया जाता है, मगर सब बेकार हो जाता है। कितनी बार कोशिशें करके छोड़ दी जाती हैं। लेकिन इन कोशिशों को ही अगर कोई ‘कारण’ मिल जाए, तो फिर इस राह में आने वाली मुश्किलों की आप परवाह नहीं करते। 26 साल की प्राक्षी तलवार के सामने एक ऐसा ही ‘कारण’ था, जिसने उन्हें वजन घटाने के लिए मोटिवेट किया। 97 किलो की प्राक्षी ने सिर्फ चार महीने में अपना 31 किलो वजन घटा लिया था।

दिल्ली की रहनेवाली प्राक्षी तलवार, पेशे से एक डेंटिस्ट हैं। वह जानती थीं कि उनका वजन सामान्य से काफी ज्यादा है। इसे कम करने के लिए कई बार प्रयास किया, लेकिन कभी भी मनचाहा रिजल्ट नहीं मिल पाया। वह कहती हैं, “मैने कई बार डाइटिंग करने की कोशिश की थी। मगर उस पर ज्यादा दिन टिक नहीं पाई।”

रक्षा बल में नौकरी की चाह ने आसान की वजन घटाने की राह

साल 2018 में ,उन्होंने आर्मी डेंटल कोर में नौकरी के लिए आवेदन किया था। तब उन्हें एहसास हुआ कि उनका बढ़ा हुआ वजन, उनकी इस नौकरी के लिए एक बड़ी बाधा है। प्राक्षी ने इसका इंटरव्यू बड़ी आसानी से पास कर लिया था, लेकिन मेडिकल परीक्षण के पहले दौर में वह अपने ‘बॉडी मास इंडेक्स’ (BMI) से काफी निराश थीं।

फिजिकल एग्जामिनेशन के लिए सिर्फ चार महीने बचे थे। इस नौकरी को पाने के लिए, इन चार महीनों में ही कुछ करना था। प्राक्षी ने समय की कमी का बहाना नहीं बनाया, बल्कि इसे एक अवसर के तौर पर लिया। उन्होंने कड़ी मेहनत और अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से लगभग 31 किलो वजन कम कर लिया।

द बेटर इंडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, “जब आपको देश के रक्षा बल के साथ जुड़ने या उसके साथ काम करने का मौका मिलता है, तो आप उसे पाने के लिए हर संभव कोशिश करते हैं और मैंने भी वही किया।”

घी की खुशबू और एनर्जी का मिला साथ

Prakshi Talwar

प्राक्षी को हर हालत में अपना वजन कम करना था। इस बार, उनका एजेंडा साफ था। घर का बना खाना, कम मात्रा में खाना है और अतिरिक्त चर्बी घटाने के लिए व्यायाम करना है। वह, उस समय दिल्ली के अपोलो अस्पताल में काम कर रही थीं। वजन कम करने के लिए क्या और कितना खाना है, उन्हें पता था।

उन्हें बुनियादी पोषण की पूरी जानकारी थी। खाने को लेकर मन में कोई भी शंका होती, तो अपनी डाइटिशियन दोस्त और सहयोगी वीणा से सलाह ले लेती थीं। उनकी माँ, उनके लिए देसी घी में खाना बनाती थीं।

उन्होंने बताया, “मेरा ब्लड प्रेशर हमेशा लो रहता था। मुझे खाना कम खाना था, लेकिन एनर्जी पूरी चाहिए थी। घी से मुझे जरूरी फैटी एसिड तो मिले ही, साथ ही मेरी भूख भी शांत रहती थी। घी में बना खाना स्वादिष्ट होता है और आप कुछ रूखा-सूखा खा रहे हैं, इसका बिल्कुल भी एहसास नहीं होने देता।” 

वह, नाश्ते में दलिया, पोहा या फिर अंडे की सफेद जर्दी खाती थीं। लंच में छोले, मकई के दाने या सब्जियों से बनी हल्की सलाद लेतीं और रात में प्राक्षी हमेशा देसी घी से बनी दाल ही खाती थीं।

अंडा खाना भी कर दिया शुरु

अपनी डाइट के बारे में प्राक्षी ने बताया, “मुझे पता था कि अगर शरीर में मनचाहा बदलाव लाना है, तो इसके लिए खाने की आदतों को बदलना होगा। मैं शाकाहारी हूं, लेकिन फिर भी मैंने अंडा खाना शुरू कर दिया। हर खाने की अपनी एक न्यूट्रिशनल वैल्यू होती है।”

खाने के साथ-साथ, उन्होंने अपनी फिटनेस का भी पूरा ध्यान रखा। आर्मी अस्पताल में एग्जामिनेशन के दौरान, डॉक्टर्स ने भी इस पर काम करने के लिए उनसे कहा था। वह अपने दिन की शुरुआत योग से करती थीं और उसके बाद आठ किलोमीटर की लंबी जॉगिंग। वह बताती हैं, “मैने जॉगिंग करने के अपने समय को दो हिस्सों में बांट दिया था। काम पर जाने से पहले 4 घंटे और काम से वापस आने पर बाकी के चार घंटे।”

कुछ समय बाद, उनकी मेहनत का फल नजर आने लगा था। अब उन्हें विश्वास हो चला था कि वह सही रास्ते पर चल रही हैं। उन्होंने बताया, “मैं हर दिन अपना वजन करती। थोड़ा सा घटा वजन भी मुझे आगे बढ़ने और लगे रहने के लिए प्रेरित करता था।” वह आगे कहती हैं, “लेकिन मेरी असली प्रेरणा शक्ति आर्मी की नौकरी थी, जिसे मैं पाने का सपना देख रही थी।”

रोजाना सात से आठ लीटर पानी पिया 

प्राची ने हाइड्रेशन पर भी पूरा ध्यान दिया। वह रोजाना सात से आठ लीटर पानी पीती थीं और एनर्जी के लिए अपने साथ ORS का पैकेट साथ रखती थीं। प्राक्षी के अनुसार, “मोसंबी का जूस शरीर में वॉटर रिटेंशन को कम करता है और कैलोरी भी बर्न करता है। इसे पीने की सलाह, मुझे आर्मी कैंप में दी गई थी और सचमुच, इसने काम किया।”

चार महीने आते-आते उनका वजन 97 किलो से घटकर 66 किलो हो चुका था। उन्होंने सेना परीक्षण में 25वीं अखिल भारतीय रैंक हासिल की थी। लेकिन फिर उन्हें गुर्दे में पथरी हो गया और वह आखिरी चरण में शामिल नहीं हो पाईं। फिलहाल, वह दिल्ली के एक डेंटल क्लीनिक में काम करती हैं।

जब वजन घटना अचानक से रुक गया 

Prachi Talwar, Dentist

प्राक्षी ने बताया कि भले ही, उन्होंने काफी तेजी से अपना वजन कम किया, लेकिन यह इतना आसान नहीं था। उनका वजन तेजी से घट रहा था। वह अपने लिए बनाए गए सारे नियमों का कड़ाई से पालन भी कर रही थीं। जॉगिंग, योग, डाइटिंग सब चल रहा था। जिस तेजी से प्राक्षी का वजन घट रहा था, उसे देखकर लग रहा था कि वह अपना टारगेट जल्द ही पूरा कर लेंगी। मगर अचानक से, प्राक्षी का वजन घटना रुक गया। एक हफ्ता.तो ऐसा भी आया, जब वजन 100 ग्राम भी कम नहीं हुआ। यहां उनका विश्वास थोड़ा डगमगाने लगा था।

प्राची बताती हैं, “इसे वेट लॉस प्लैटो कहते हैं और उस समय मैं इसी का सामना कर रही थी। मुझे पता था, इससे निपटने के लिए मुझे अपनी दिनचर्या में थोड़ा परिवर्तन करना पड़ेगा। ताकि बॉडी रिस्पांस करने लगे। मैंने इसके लिए ज्यादा कार्ब लेना शुरू किया और फिर हाई इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग (HIIT) वर्कआउट पर स्विच किया। शुक्र है यह काम कर गया और मेरा वजन फिर से घटने लगा।”

इसके अलावा, प्राक्षी 15 दिन में एक बार ‘चीट मील’ लेने लगीं। यानी वह कुछ ऐसा भी खाने लगीं, जो उनकी डाइट प्लान से बाहर था। लेकिन यह घर का ही बना हुआ होता था। वह कहती हैं, “घर के बने खाने में क्या चीज इस्तेमाल की गई है, कैसा तेल है, ताज़ी सब्जियां हैं या नहीं, आपको सब पता होता है। बाजार के खाने में किसी चीज़ की कोई गारंटी नहीं होती।”

जल्दबाजी में कुछ न करें

जो लोग वजन घटाने की सोच रहे हैं या फिर इस ओर अपना कदम बढ़ा चुके हैं, उन्हें प्राक्षी सलाह देती हैं, “शुरुआत थोड़ी धीमी रखें। क्योंकि जितनी तेजी से आप भागेंगे, उतनी जल्दी थक भी जाएंगे और फिर आपको बीच में आराम करने के लिए रुकना पड़ेगा। वजन घटाने का सफर भी कुछ ऐसा ही है। आप तेजी से वजन घटा तो लेंगे, लेकिन फिर जल्दी रुकना भी पड़ेगा। ऐसे में वापस वहीं आने का डर बना रहेगा।”

उन्होंने बताया, “मेरी जरूरत थी, जिस वजह से मुझे इतनी कड़ी डाइट और वर्कआउट प्लान अपनाना पड़ा। लेकिन मेरे हिसाब से शरीर को धीरे-धीरे इन चीजों की आदत डालनी चाहिए। ताकि हम अपने प्लान पर लंबे समय तक टिके रह पाएं। वरना थोड़ा सा भी ठहराव या कहें ब्रेक आपके वजन को पहले से कहीं ज्यादा बढ़ा सकता है। लंबे रास्ते तय करने के लिए छोटी शुरुआत करना और समय-समय पर छोटे-छोटे बदलाव करना, हमेशा बेहतर रहता है।”

वह कहती हैं, “अभी कुछ दिन पहले मैं सीढ़ियों से गिर गई थी। मुझे काफी गंभीर चोटें आईं। शुरू में तो लगा कि मैं जल्द ठीक नहीं हो पाऊंगी। लेकिन डॉक्टर ने बताया, कि मेरी मांसपेशियां उम्मीद से कहीं ज्यादा तेजी से ठीक हो रही हैं और ऐसा मेरी अच्छी सेहत की वजह से है।”

मूल लेखः रिया गुप्ता

संपादनः अर्चना दुबे

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