/hindi-betterindia/media/post_attachments/uploads/2021/12/pancham-puriwala--1640935427.jpg)
[embedyt]
रविवार की सुबह और मुंबई के मशहूर CST स्टेशन के पास एक गली में छोटी सी दुकान पर लोगों की भीड़ देखकर, आपको लगेगा यहां जरूर कुछ स्पेशल मिल रहा होगा। आप जब रेस्टोरेंट में जाएंगे तो आपको मिलेगी पूरी और सब्जी, जिसका स्वाद घर जैसा होगा। इस रेस्टोरेंट की लजीज पूरी-सब्जी को खाने दूर-दूर से लोग आते हैं।
आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि पूरी-सब्जी वाला यह रेस्टोरेंट 170 साल पुराना है। इसका नाम है- 'पंचम पूरीवाला'। रविवार हो या सोमवार, यहां पूरी खाने वालों का तांता लगा ही रहता है। ऐसे में आप पूछ सकते हैं कि वडापाव खाने वाले मुंबईकर पूरी के दीवाने कैसे बन गए? दरअसल यह ‘पंचम पूरीवाला’ की लजीज पांच किस्म की पूरी का जादू है, जो पिछले 170 सालों से मुंबई के लोगों को अपनी ओर खींच रहा है।
ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि यह मुंबई के सबसे पुराने रेस्टोरेंट्स में से एक है। जिसने सालों से अपनी पकड़ ग्राहकों पर बनाए रखी है। एक इंसान की छोटी सी शुरुआत के कारण ही आज मुंबईवाले ‘पंचम पूरीवाले’ की लजीज पूरियों का स्वाद चख पा रहे हैं।
द बेटर इंडिया से बात करते हुए ‘पंचम पूरीवाला’ के 60 वर्षीय संदीप शर्मा कहते हैं, "मैं इस बिज़नेस की पांचवी पीढ़ी से हूं और आज मेरे दो भाई और उनके बच्चे यानी छठवीं पीढ़ी भी पंचम पूरीवाला से जुड़ चुकी है। समय के साथ हमने कुछ छोटे बदलाव किए हैं लेकिन पूरी और सब्जी आज भी हमारे यहां की मुख्य डिश है।"
कैसे शुरू हुआ सफर
‘पंचम पूरीवाला’, पहले एक छोटा सा स्टॉल हुआ करता था। जहां की पूरी का स्वाद महात्मा गाँधी से लेकर राजेश खन्ना ने भी चखा है। इसके बारे में
संदीप कहते हैं, "मेरे दादा बद्रीप्रसाद शर्मा मुझे अक्सर अपने दादा पंचम शर्मा के बारे में बताते थे कि कैसे वह साल 1850 के आस-पास सड़क के रास्ते चलकर आगरा से मुंबई पहुंचे थे। उस समय उन्होंने VT (Victoria Terminus) स्टेशन के बाहर एक छोटी सी टपरी से शुरुआत की थी। उन्होंने स्टेशन के बाहर भूखे लोगों को पूरी और आलू भाजी खिलाने का काम शुरू किया था।"
तक़रीबन 20 साल ऐसे ही काम करने के बाद, उन्होंने स्टेशन के पास एक छोटी दुकान शुरू की थी, जो आज तक कायम है।
संदीप ने 1980 में 21 साल की उम्र में अपने पिता के साथ रेस्टोरेंट का काम संभालना शुरू कर दिया था। अपने पिता और दादा की एक सलाह को याद करते हुए वह कहते हैं, "मुझे हमेशा बताया गया कि इसकी शुरुआत आम लोगों को ध्यान में रखकर की गई थी। इसलिए वह चाहते थे कि इसे हाई-फाई रेस्टोरेंट न बनाया जाए। इसलिए हमने इसे आज भी वैसा ही छोटा सा रखा है, जहां आम आदमी बिना हिचकिचाहट के आ सके। हम आज केरोसिन के स्टोव की जगह गैस सिलिंडर का इस्तेमाल करते हैं, बस यही एक बड़ा बदलाव हमने किया है।"
नई पीढ़ी- नए प्रयास
संदीप के बेटे शिवांग हाल में ‘पंचम पूरीवाला’ को नए तरीके से बढ़ाने पर काम कर रहे हैं। संदीप कहते हैं, "शिवांग ने होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। नई पीढ़ी के आने से हम कुछ नए प्रयोग भी करने वाले हैं। हम पंचम पूरीवाला के कुछ आउटलेट्स शुरू करने का मन भी बना रहे थे। लेकिन कोरोना महामारी के कारण हमें काम रोकना पड़ा। अब अगर सबकुछ सही रहा तो हम जरूर कुछ नया करेंगे।"
पूरी के लिए मशहूर इस रेस्टोरेंट में लंबे समय तक पूरी और आलू की भाजी ही मिलती थी। जिसमें मसाला पूरी और सादा दो तरह की पूरियां ग्राहकों को परोसी जाती थी। लेकिन संदीप के पिता ने पूरी के साथ कढ़ी और राजमा-चावल जैसी साइड डिश को भी परोसना शुरू किया।
वहीं संदीप ने पूरियों को और भी आकर्षक और लजीज बनाने के लिए पालक, बीट और पनीर पूरी को कुछ साल पहले ही मेनू में शामिल किया है। रेस्टोरेंट के संस्थापक के नाम से ‘पंचम थाली’ भी लोगों में काफी मशहूर है। यहां मिलने वाली हर एक डिश की कीमत को कम से कम रखा गया है।
मुंबई घूमने आए कई लोग पंचम की पूरी खाने भी आते हैं। झारखंड से मुंबई घूमने आए धीरेन कहते हैं, "मैंने पंचम पूरीवाला के बारे में अखबार में पढ़ा था, इसलिए घूमते-घूमते हमने यहां की पूरी को चखने का मन बनाया। हमारे प्रदेश में वडापाव कोई नहीं खाता। वहां सुबह के नाश्ते के में आलू की सब्जी और पूरी आपको हर जगह मिल जाएगी। हम जब पंचम पूरीवाला आए तो यहां भी हमें घर की पूरी-सब्जी का स्वाद मिला।"
यह सालों पुराना रेस्टोरेंट आज भी अपने पूर्वजों की सीख को संभालकर आगे बढ़ रहा है और यही इसकी प्रसिद्धि का कारण भी है।
संपादन- जी एन झा
यह भी पढ़ेंःशिव सागर रेस्टोरेंट: कभी कैंटीन में थे सफाई कर्मचारी, आज 50 करोड़ का है टर्नओवर
यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें [email protected] पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।