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अभी हाल ही में जुलाई महीने में मेरे छोटे भाई ने हायर एजुकेशन के लिए बाहर रहना शुरु किया। एडल्टहुड और घर से बाहर निकलने की आज़ादी का अनुभव करने के लिए उसने नए टू व्हीलर की डिमांड की। वह भी अपने दोस्तों की तरह पंख फैलाकर आज़ादी से घूमना चाहता था। जब मम्मी-पापा से इस बारे में बात हुई, तो वे उसके लिए एक अच्छी बाईक की तलाश में जुट गए। अब हर गाड़ी पर उनकी नजर थी, कौन सी बेहतर है और कौन सी नहीं। दिल्ली में बढ़ते प्रदुषण को देखते हुए मैंने उन्हें ई व्हीकल खरीदने की सलाह दी। शुरु में उन्होंने थोड़ी आना-कानी की लेकिन जब मैंने उन्हें उसके फायदे गिनाए, तो वे इसे खरीदने के लिए तैयार हो गए।
अगर आप भी एक नया टू व्हीलर खरीदने के बारे में सोच रहे हैं, तो ई-बाईक एक बेहतर विकल्प हो सकता है। जानिए इसे खरीदने के पांच सबसे बड़े फायदों के बारे में-
1. कम खर्च में चलें ज्यादा
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जब भी कोई भारतीय गाड़ी खरीदने जाता है, तो उसके दिमाग में सबसे पहले ईंधन की कीमत और उसके रख-रखाव पर होने वाला खर्च आता है। वे कम खर्च में ज्यादा चलने वाली यानी बेहतर माइलेज देने वाली गाड़ी की तलाश में रहते हैं। गुगु एनर्जी के आर.पी गुहान कहते हैं, “इलेक्ट्रिक स्कूटर प्रति चार्ज एक से तीन यूनिट इलेक्ट्रिसिटी (लगभग 10 रुपये प्रति यूनिट) लेता है। यहां तक कि महंगे से महंगा टू व्हीलर भी प्रति चार्ज 3.5 यूनिट से ज्यादा की खपत नहीं करेगा। 50 किमी से लेकर 150 किलोमीटर तक की रेंज वाले दोपहिया वाहनों के लिए आपको प्रति चार्ज 30 से 35 रुपये से अधिक खर्च नहीं करना पड़ता। एक आईसी इंजन वाले और एक इलेक्ट्रिक स्कूटर के बीच यही सबसे बड़ा अंतर है।”
2. ज़ीरो उत्सर्जन और पर्यावरण
अगर आप पेट्रोल या डीजल को छोड़ बिजली से चलने वाली गाड़ियों की ओर जाएंगे, तो निश्चित रूप से पर्यावरण को काफी हद तक प्रदूषण से बचा सकते हैं। आईसी इंजन वाले वाहन हानिकारक कार्बन और नाइट्रस ऑक्साइड जैसा जहरीली गैसों का उत्सर्जन करते हैं। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी वाले ईपीसीए के अनुसार, “फॉसिल फ्यूल से चलने वाली गाड़ियां दिल्ली में कुल उत्सर्जन भार के 40 प्रतिशत हिस्से के लिए जिम्मेदार हैं। जबकि पूरे देश में इनका योगदान 30 प्रतिशत के आस-पास है।” अगर आप आने वाली पीढ़ी को साफ-सुथरे वातावरण में पलते-बढ़ते देखना चाहते हैं, तो इससे बेहतर विकल्प नहीं मिलेगा।
3. कहीं भी, कभी भी चार्ज करने की सुविधा
जयपुर की ईवी निर्माता कंपनी BattRE से जुड़े निश्चल कहते हैं, “ई व्हीकल के साथ आपको कभी भी पेट्रोल स्टेशन जाने की जरूरत नहीं है। आप इसे कहीं भी, कभी भी चार्ज कर सकते हैं, चाहें घर हो या फिर आपका ऑफिस।”
4. कम रख-रखाव
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व्हीकल खरीदना एक बात है और उसकी मेंटेनेंस पर होने वाला खर्च एक अलग ही सिरदर्द होता है। निश्चल बताते हैं, “पांच या 6 साल में पेट्रोल से चलने वाले स्कुटर पर हम जितना खर्च करते हैं, उसकी तुलना में ई व्हीकल की कुल लागत लगभग आधी है। इसकी प्रति किलोमीटर लागत 10 से 15 पैसे बैठती है। पेट्रोल से चलने वाले व्हीकल में 200 से ज्यादा मूविंग पार्ट्स होते हैं, जबकि ईवी में सिर्फ 21 से 25। इसी वजह से इसकी मेंटेनेंस कॉस्ट काफी कम हो जाती है। पेट्रोल / डीजल के वाहन की तुलना में ईवी काफी हल्के भी होते हैं।”
5. टैक्स में छूट
साल 2019-20 के केंद्रीय बजट में की गई घोषणाओं में ईवी निर्माताओं और संभावित ग्राहकों को खुश करने के लिए काफी कुछ है।
SMEV के महानिदेशक सोहिंदर गिल ने एक इंटरव्यू में बताया, “ईवी खरीदने के लिए लोन के ब्याज पर 1.5 लाख रुपये की अतिरिक्त आयकर कटौती का प्रावधान किया गया है। इससे लोगों का ईवी की तरफ झुकाव बढ़ेगा। इसके अलावा, लिथियम आयन सेल पर सीमा शुल्क जीरो करने से बैटरी की लागत में कमी आएगी और स्थानीय बैटरी निर्माताओं का कारोबार बढ़ाने में मदद मिलेगी।”
अथर एनर्जी के सह संस्थापक और सीईओ तरुण मेहता ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा, “सरकार पहले ही जीएसटी काउंसिल के समक्ष गुड्स एंड सर्विस टेक्स (GST) दर को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने का प्रस्ताव ला चुकी है। इसके अलावा, आयकर में दी गई छूट लोगों को ईवी की तरफ लेकर आएगी। इलेक्ट्रिक गाड़ियों को बढ़ावा देने के मद्देनज़र ये घोषणाएं की गई हैं।”
इलेक्ट्रिक व्हीकल सेगमेंट को लेकर भी बहुत सारी चिंताएं हैं। खासकर चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी। हालांकि बजाज ऑटो के प्रबंध निदेशक रवि बजाज ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग बढ़ाने और इसे पूरा करने की जिम्मेदारी निर्माताओं की है।
ईवी पहले आना चाहिए या फिर चार्जिंग स्टेशन
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रवि कहते हैं, “ईवी पहले आना चाहिए या फिर चार्जिंग स्टेशन! हमें इस तरह के सवालों में नहीं फंसना है। जब तक सड़क पर गाड़ियों की डिमांड नहीं बढ़ेगी, तब तक कोई भी इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा नहीं होने वाला। यह हमारा काम है कि हम ईवी को बाजार में लेकर आएं, ताकि लोग बुनियादी ढांचे और अन्य समस्याओं के मुद्दे से दूर होकर इन्हें खरीदेने के लिए आगे बढ़े।”
सरकार अपने हिस्से का काम कर रही है। साल की शुरुआत में शहरी विकास मंत्रालय ने दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा था कि आवासीय और कमर्शियल कॉम्प्लेक्स में 20 प्रतिशत जगह इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग की सुविधा के लिए आरक्षित करनी होगी। यहां तक कि रेस्टोरेंट या अन्य खाने वाली जगहों पर भी इन गाड़ियों को चार्ज करने के लिए अतिरिक्त जगह रखनी पड़ेगी।
एक ग्राहक के तौर पर आपको इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखना होगा। आप आने वाली पीढ़ी को कैसा वातावरण देना चाहते हैं। उन्हें जहरीले वायु प्रदूषण से बचाना चाहते हैं या फिर जैसा जो चल रहा है उसे चलने देना चाहते हैं। यह जिम्मेदार अब आपकी है। आप चाहें तो उनकी जिंदगी को स्वच्छ बनाने की अदद कोशिश कर सकते हैं।
मूल लेखः रिनचेन नोर्बू वांगचुक
संपादनः अर्चना दुबे
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