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किसान पति की मदद के लिए शुरू किया अचार का बिज़नेस, अब गाँव की महिलाओं को भी दे रहीं रोज़गार

Food Entrepreneur Success stories

पंजाब में फतेहगढ़ साहिब के अमराला गांव में रहने वाली कुलवंत कौर भले ही मात्र 10वीं पास हैं लेकिन अपने इलाके में लोग उन्हें एक उद्यमी के तौर पर जानते हैं। KKNS प्रॉडक्ट्स ऑफ़ इंडिया के नाम से अपना छोटा सा प्रोसेसिंग बिज़नेस चला रहीं कुलवंत कौर आज के दौर में हर किसान परिवार की महिलाओं के लिए एक मिसाल हैं। लगभग एक दशक पहले कुलवंत कौर ने सिर्फ कच्ची हल्दी का अचार बनाने से अपना काम शुरू किया था। लेकिन आज वह 40 से ज्यादा तरह के उत्पाद बनाती हैं। उनके इस बिज़नेस से न सिर्फ उनका घर चल रहा है बल्कि वह गांव की दूसरी महिलाओं को भी रोजगार दे पा रही हैं। 

लगभग 60 साल की उम्र पार कर चुकी कुलवंत कहती हैं, “मैं एक किसान परिवार की बेटी हूं और किसान परिवार में ही ब्याहकर आई। बचपन से ही काफी आर्थिक तंगी और मुश्किल हालातों का सामना किया, लेकिन कभी हार नहीं मानी। पहले हमारा परिवार अपनी ढाई एकड़ जमीन पर खेती करने के साथ-साथ आसपास के खेतों को भी लीज पर लेकर खेती करता था। लेकिन पूरी मेहनत के बाद भी ज्यादा मुनाफा नहीं मिल पाता था। मैं अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारना चाहती थी और इसलिए हमेशा कुछ न कुछ काम करने की कोशिश करती हूं।” 

कुलवंत ने बुनाई-कढ़ाई से लेकर मवेशी पालन तक का काम किया है। उनके पति जसविंदर सिंह कहते हैं कि उन्होंने भी खेती के अलावा कई कामों में हाथ आजमाया लेकिन सफलता नहीं मिली। “फिर साल 2010 में एक अखबार में मैंने पढ़ा कि फतेहगढ़ साहिब कृषि विज्ञान केंद्र ने फल-सब्जियों के प्रबंधन पर एक निःशुल्क ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित किया है। मुझे पता था कि कुलवंत को इसमें दिलचस्पी होगी, इसलिए मैंने उसे कहा कि वह भी भाग ले,” उन्होंने कहा।  

Lady Entrepreneur Kulwant Kaur Making Different Products

परिवार ने दिया साथ 

यह पांच दिन का ट्रेनिंग कोर्स था, जिसके लिए कुलवंत कौर हर रोज अपने गांव से कृषि विज्ञान केंद्र जाती थीं। उन्होंने बताया कि ट्रेनिंग के आखिरी दिन पर सभी प्रतिभागियों के बीच एक प्रतियोगिता रखी गयी। उन्होंने प्रतियोगिता के लिए सेब का जैम और कच्ची हल्दी का अचार बनाया। इस प्रतियोगिता में कुलवंत कौर को प्रथम पुरस्कार मिला। वह कहती हैं, “मेरे हल्दी के अचार को लोगों ने पसंद किया और जब मैंने यह छोटी सी प्रतियोगिता जीती तो मेरा आत्मविश्वास बढ़ गया। मुझे लगने लगा कि अब मैं कुछ भी कर सकती हूं। क्योंकि मेरे लिए तो गांव में लोगों की, रिश्तेदारों की बातें सुनकर केवीके ट्रेनिंग के लिए जाना भी मुश्किल हो रहा था लेकिन परिवार ने मेरा साथ दिया।” 

अपने जीवन के इस पहले सम्मान के आगे कुलवंत कौर को सभी ताने और छींटाकशी बहुत छोटी लगी। उन्होंने ठान लिया कि वह अपने इस हुनर को व्यर्थ नहीं जाने देंगी। वह बताती हैं कि साल 2011 में उन्होंने बहुत ही कम निवेश के साथ हल्दी का अचार बनाना शुरू किया। “मैंने कुछ कच्ची हल्दी खरीदी और इसका अचार डालकर गुरुद्वारों के बाहर स्टॉल लगाया। इसके बाद, गांव में या आसपास कोई मेले लगते तो वहां भी मैं अपना अचार ले जाती थी। लेकिन मेरे अचार का स्वाद लोगों को इतना पसंद आता था कि मैं जितना भी अचार लेकर जाती थी, शाम तक सब बिक जाता था,” उन्होंने कहा। 

कुछ महीनों बाद उन्होंने हल्दी के अचार के साथ-साथ इसका पाउडर और रस भी बनाना शुरू किया। कुलवंत कौर कहती हैं कि उन्हें अच्छे ऑर्डर मिलने लगे थे और साथ ही, कृषि विज्ञान केंद्रों के अलग-अलग ट्रेनिंग प्रोग्राम्स की जानकारी वह जुटाने लगीं ताकि और भी नयी-नयी चीजें बनाना सीख सकें। उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र समराला से साबुन और शैम्पू आदि बनाने की ट्रेनिंग ली। साथ ही, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के किसान क्लब से भी वह जुड़ गयी और यहां पर दी जाने वाली सभी निशुल्क ट्रेनिंग उन्होंने की।

Their Stall at some fair

इन ट्रेनिंग प्रोग्राम्स के दौरान कुलवंत कौर की मुलाकात बुर्ज गांव के किसान निर्मल सिंह से हुई। निर्मल सिंह कहते हैं कि वह भी प्रोसेसिंग यूनिट लगाना चाहते थे। लेकिन प्रोसेसिंग यूनिट चलाने और अच्छे उत्पाद बनाने के लिए उन्हें जिस हुनर की तलाश थी, वह कुलवंत कौर के पास था।  

शुरू किया अपना उद्यम 

अपने पति और परिवार के साथ से, कुलवंत कौर ने निर्मल सिंह के साथ पार्टनरशिप में अपने उद्यम का पंजीकरण कराया। उन्होंने दिल्ली से प्रोसेसिंग मशीन खरीदीं। उन्होंने बताया कि इस मशीन से आंवला, एलोवेरा जैसी फसलों की प्रोसेसिंग करके आसानी से प्रोडक्ट्स बनाये जा सकते हैं। मशीन खरीदने के बाद उन्होंने अचार के साथ-साथ एलोवेरा जूस, आंवला जूस, आंवला कैंडी, स्क्वाश, सतरस जैसे 40 से भी ज्यादा उत्पाद बनाना शुरू किया। 

निर्मल सिंह कहते हैं कि गांव-देहात में महिलाओं का बाहर निकलकर काम करना बहुत ही मुश्किल हो जाता है। लेकिन कुलवंत कौर की एक कोशिश ने बहुत सी महिलाओं को हौसला दिया कि वे भी अपने पैरों पर खड़ी हो सकती हैं। और उनके इस सफर का हिस्सा बनकर उन्हें भी बहुत ख़ुशी मिलती है।

उन्होंने कहा कि वे बड़ी-बड़ी कंपनियों की तरह अख़बार, टीवी आदि पर अपनी मार्केटिंग नहीं कर सकते हैं। इसलिए उन्होंने अलग-अलग शहरों के कृषि मेलों में स्टॉल लगाना शुरू किया। इन मेलों में बहुत से लोग उनसे उनके बनाये जैविक और रसायन मुक्त प्रोडक्ट खरीदते और फिर यही लोग धीरे-धीरे उनसे और उत्पाद मंगवाने लगे। उन्होंने बताया कि देखते ही देखते उनके नियमित ग्राहकों की संख्या बढ़ने लगी। इसके बाद, उन्होंने सोचा कि क्यों न उत्पादों के लिए रॉ मटेरियल भी अपने खेतों में ही उगाया जाए। 

Employment to other women

मिले हैं कई सम्मान:

जसविंदर सिंह कहते हैं, “अब हम अपनी जमीन पर अलग-अलग किस्म की हल्दी, एलोवेरा और कई तरह के फलों की खेती कर रहे हैं। अपनी जमीन पर उगाई फसलों को ही प्रोसेस करके अच्छी गुणवत्ता के उत्पाद तैयार कर रहे हैं।” कुलवंत कहती हैं कि लॉकडाउन के पहले तक उनका बिज़नेस काफी अच्छा चल रहा था। वह महीने में 60 हजार रुपए से ज्यादा की कमाई कर लेती थीं। साथ ही, उन्होंने कई महिलाओं को रोजगार भी दिया हुआ था। लेकिन लॉकडाउन और कोरोना माहमारी का काफी असर उनके व्यवसाय पर पड़ा है क्योंकि कृषि मेलों का आयोजन बंद है। ऐसे में उन्होंने अपना एक छोटा सा आउटलेट खोला है। 

“फ़िलहाल, हमारी महीने की कमाई पहले से आधी हो गयी है। साथ ही, अब हम कम महिलाओं को ही काम के लिए बुला पाते हैं। लेकिन मुझे उम्मीद है कि आने वाले समय में, एक बार फिर मेरा काम बढ़िया चलने लगेगा क्योंकि हमारे उत्पादों की गुणवत्ता काफी अच्छी है,” वह कहती हैं। जसविंदर सिंह को अपनी पत्नी पर गर्व है। उनका कहना है कि आज कुलवंत कौर की मेहनत के कारण ही उनका परिवार एक अच्छी ज़िंदगी जी रहा है।

She has won award

कुलवंत कौर कहती हैं कि सभी किसान परिवारों की महिलाओं को अतिरिक्त कमाई का कोई न कोई जरिया अवश्य तलाशना चाहिए। क्योंकि इस कमाई से आप अपने घर को अच्छे से चलाने में काफी मदद कर सकती हैं। कुलवंत कौर के बेटे और बहु भी उनके काम में मदद करते हैं। उन्होंने दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों में भी अपने स्टॉल लगाए हैं। उन्हें अपने काम के लिए ‘सरदारनी जगबीर कौर मेमोरियल अवॉर्ड’ जैसे कई सम्मान मिले है। 

बेशक, कुलवंत कौर की कहानी हम सबके लिए एक प्रेरणा है और हमें उम्मीद है कि ज्यादा से ज्यादा किसान परिवारों की महिलाएं उनकी तरह अपने हुनर को पहचानकर आगे बढ़ेंगी। अगर आपको इस साहसी महिला की कहानी से प्रेरणा मिली है तो आप उनके बनाए उत्पाद खरीदने के लिए 98142 11735 पर कॉल कर सकते हैं।

संपादन- जी एन झा

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