हम इंसानों ने लाख तरक्क़ी तो कर ली, लेकिन इससे कहीं न कहीं खुद का ही नुक़सान भी किया है। जैसे हमने अपनी सुविधा के लिए प्लास्टिक बनाई, लेकिन आज यह हमारे और पर्यावरण के लिए ही ख़तरा बन गया है। प्लास्टिक हमारी ज़िंदगी में ऐसे घुल गया है कि इसे अलग करना नामुमकिन है; लेकिन हाँ हम इसका बुरा असर कम ज़रूर कर सकते हैं। कम से कम सिंगल यूज़ प्लास्टिक का इस्तेमाल तो हमें बंद ही कर देना चाहिए। लेकिन परेशानी यह खड़ी हो जाती है कि फिर इसका विकल्प क्या है। दरअसल ‘विकल्प’ ही इसका विकल्प है।
आज ज़्यादातर लोगों को थैला लेकर चलने की आदत नहीं है। हम सीधा दुकान पर जाते हैं, दुकानदार हमें सामान देता है और हम उसे सिंगल यूज़ प्लास्टिक की थैली में भरकर ले आते हैं। इससे काफ़ी ज़्यादा प्लास्टिक कचरा फैलता है। इसका एक उपाय रूबी मखीजा ने ढूंढ निकाला है; जोकि पेशे से डॉक्टर हैं और पर्यावरण के लिए काम करने वाले Why Waste Wednesdays Foundation की फाउंडर मेंबर भी हैं।
कैसे हुई ‘विकल्प’ की शुरुआत?
रूबी मखीजा ने नंवबर, 2021 में ‘विकल्प’ नाम की एक मुहिम शुरू की। इसके ज़रिए दिल्ली में 300 से ज़्यादा दुकानों पर ग्राहकों के लिए कपड़े के थैले उपलब्ध कराए जा रहे हैं। ये थैले एक तरह से फ्री ही हैं, बस आपको 20 रुपये जमा कराने हैं और थैला ले जाना है। आप जब वापस आकर थैला लौटाते हैं तो आपके 20 रुपये वापस मिल जाएंगे।
डॉ. रूबी कहती हैं कि लोगों की तो सालों से आदत छूट चुकी है कि वे अपना झोला या बैग लेकर चलें। कोई शॉपिंग करने के इरादे से नहीं निकला होता है, कोई सीधा ऑफ़िस से आ रहा होता है, और कोई थैला लाना भूल ही जाता है। ऐसे में उन्हें सामान के लिए बैग की ज़रूरत पड़ती है, तो ये ‘विकल्प’ के थैले उनके काम आते हैं।
डॉ. मखीजा बताती हैं, “हमने दुकानदारों से कहा कि हमारे कुछ कपड़ों से बने हुए बैग रख लीजिए। ये बैग लोगों को ऑफ़र कीजिए, जोकि सिर्फ़ 20 रुपये का है। ग्राहक किसी भी समय और किसी भी दुकान, जहां ‘विकल्प’ की सुविधा है, वहां यह थैला लौटाकर अपना 20 रुपया वापस ले सकता है। यह तरीक़ा दुकानदार और कस्टमर दोनों के लिए आसान था, इसलिए दोनों ने इसे पसंद किया। अब पूरी दिल्ली में हमारे लगभग 350 स्टॉल्स हैं। 350 और अभी पाइप लाइन मे हैं।” इस काम में दिल्ली नगर निगम ने भी उनकी मदद की।
कैसे पता चले कि कहां है ‘विकल्प’ थैलों की सुविधा?
कोई भी ग्राहक एक दुकान से थैला लेकर इन साढ़े तीन सौ दुकानों में से कहीं भी लौटा पाए, इसके लिए डॉ. रूबी ने हर थैले में स्कैनर लगवा दिए। ग्राहक जब थैला घर ले जाता है और उसपर लगे स्कैनर को स्कैन करता है तो वह ‘विकल्प’ के वेब पेज पर पहुंच जाएगा। यहां उसे सारे ‘विकल्प स्टोर’ की लिस्ट दिख जाएगी। उसके पास अब यह सुविधा है कि वह इनमें से किसी भी स्टोर पर थैला वापस करके अपने 20 रुपये ले सकता है। उन्होंने बताया कि इन थैलों की क्वालिटी काफ़ी अच्छी है, जिससे इसमें क़रीब 7-8 किलो का वज़न आ जाए। इसमें फल, सब्ज़ी वग़ैरह आराम से रखे जा सकते हैं।
हज़ारों प्लास्टिक बैग से मिला है छुटकारा
डॉ. रूबी द बेटर इंडिया से कहती हैं, “सिंगल यूज़ प्लास्टिक का विकल्प होगा तो ही प्लास्टिक बैन होगी न! 30 से 40 हज़ार थैले इस समय मार्केट में सरक्यूलेट हो रहे हैं। कहा जाता है कि अगर एक इंसान एक कपड़े का थैला अपनाता है तो वह साल के 500 प्लास्टिक बैग बचाता है। तो अगर एक इंसान एक बैग का इस्तेमाल करता है तो देखिए कि वह पर्यावरण पर कितना असर छोड़ता है।”
‘विकल्प’ से ग़रीबों को मिला है रोज़गार
इस मुहिम से कुछ ग़रीब महिलाओं को रोज़गार भी मिल रहा है। इन बैग्स को बनाने के लिए बचे हुए कपड़ों का इस्तेमाल होता है या कुछ कपड़े डोनेशन में आ जाते हैं। मील वाले कपड़े हों या फिर टेलर के पास बचे कपड़े हों। बैग्स बनाने के लिए फिर ये कपड़े उन महिलाओं को दे दिए जाते हैं। और बैग्स पूरे होने के बाद उन्हें सिलाई के पैसे दिए जाते हैं।
दिल्ली के बाहर भी फैल रहा है ‘विकल्प’ का असर
‘विकल्प’ जैसी मुहिम को और शहरों में शुरू करने के लिए डॉ. रूबी के पास दिल्ली के बाहर से भी कई कॉल्स आती हैं। उन्होंने कई वेबिनार भी किए हैं ताकि इस कॉन्सेप्ट को लोगों को समझा सकें। ‘विकल्प’ को दिल्ली के बाहर भी फैलाने को लेकर उनकी कई एनजीओ और सीएसआर के साथ बातचीत चल रही है।
डॉ. रूबी लोगों को मैसेज देते हुए कहती हैं, “प्लास्टिक का इस्तेमाल हम बिलकुल ख़त्म तो नहीं कर सकते हैं, क्योंकि यह हमारे जीवन में काफ़ी गहराई तक बस चुका है। लेकिन अगर हम सिंगल यूज़ प्लास्टिक को अवॉयड करें और उसकी जगह दूसरा विकल्प अपनाएं, तो यह पर्यावरण के लिए काफ़ी अच्छा होगा। प्लास्टिक हमारी आने वाली पीढ़ियों पर भी बहुत बुरा असर डाल रहा है।”
तो क्या आप आज से खुद अपना थैला ले जाना शुरू करेंगे, या पर्यावरण में यूंहीं प्लास्टिक का कचरा बढ़ाते रहेंगे?
संपादन – भावना श्रीवास्तव
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