5 साल की उम्र में पिता ने घर से निकाला, माँ ने झाड़ू-पोछा कर बेटी को पहुंचाया वर्ल्ड कप तक

झारखंड के गुमला जिले की रहने वाली फुटबॉलर सुधा अंकिता टिर्की हर तुफान से लड़ते हुए आगे बढ़ने वालों में से हैं और उनके इसी जज़्बे और माँ के विश्वास व साथ ने उन्हें अंडर-17 फीफा वर्ल्ड कप तक पहुंचा दिया।

Sudha Ankita Tirkey, selected for U-17 FIFA World Cup

मुश्किलों के आगे बड़े-बड़े लोग घुटने टेक देते हैं, लेकिन झारखंड के गुमला जिले की रहने वाली फुटबॉलर सुधा अंकिता टिर्की हर तुफान से लड़ते हुए आगे बढ़ने वालों में से हैं और उनके इसी जज़्बे और माँ के विश्वास व साथ ने उन्हें अंडर-17 फीफा वर्ल्ड कप 2022 तक पहुंचा दिया।

दरअसल, सुधा अंकिता को बचपन से ही पिता का साथ नहीं मिला। उनकी माँ एक जाने-माने अंग्रेज़ी मीडियम स्कूल में झाड़ू-पोंछा कर किसी तरह घर चलाती हैं। कई बार तो ऐसा भी हुआ कि सुधा अंकिता को भूखे पेट रहना पड़ा, लेकिन सुधा ने फुटबॉल को अपने से दूर नहीं होने दिया। आज अंडर-17 फीफा वर्ल्ड कप के लिए भारतीय टीम में चुने जाने के बाद, सुधा बेहद खुश हैं।

द बेटर इंडिया से बातचीत में सुधा ने कहा कि फिलहाल वह अपने जीवन की कठोर सच्चाई को भुलाकर केवल अपने खेल पर ध्यान केंद्रित करना चाहती हैं। उनका सपना इस बड़े मौके से अपने लिए बेहतर भविष्य के द्वार खोलना है।

5 वर्ष की उम्र में पिता ने माँ व बहन के साथ घर से निकाला

Under 17 FIFA world cup
Under 17 FIFA world cup

8 अक्टूबर, 2005 को जन्मीं झारखंड की फॉरवर्ड प्लेयर सुधा ने बताया, "मेरे पिता चैनपुर प्रखंड के ही कातिंग पंचायत के खोड़ा चितरपुर गांव में रहते हैं। वह मेरी माँ के साथ अक्सर मारपीट करते थे। जब मैं केवल पांच साल की थी, तब मेरे पिता ने मेरी माँ ललिता और छोटी बहन के साथ, हमें घर से निकाल दिया। पिता के छोड़ देने के बाद गांववाले माँ को ही तरह-तरह के ताने सुनाने लगे।"

लोगों के तानों से तंग आकर उनकी माँ ने गुमला जिले में ही चैनपुर प्रखंड से सटे दानपुर में किराए पर कमरा लेकर दोनों बहनों की परवरिश शुरू कर दी। इसके लिए उन्होंने झाड़ू-पोछा लगाने का काम पकड़ लिया। इससे केवल इतनी ही आय होती थी कि जैसे-तैसे गुजर बसर हो सके। कई बार किसी चीज़ की इच्छा होती, तो मन मार लेना पड़ता, क्योंकि सीमित आय में माँ क्या- क्या कर पातीं। 

अपनी बेबसी के दिनों को याद करते हुए गुमला के सेंट पैट्रिक इंटर कॉलेज में 11वीं कक्षा में पढ़ रहीं सुधा अंकिता टिर्की ने बताया कि कोरोना काल उनके लिए और भी ज्यादा मुसीबतें लेकर आया। स्कूल बंद हो गए, तो माँ का काम भी बंद हो गया। उस दौरान, कई बार भूखे पेट सोने की नौबत आई। लॉकडाउन की वजह से उनकी फुटबॉल प्रैक्टिस भी बंद हो गई। लेकिन जैसे ही हालात सामान्य हुए, सब पहले जैसा हो गया।

अंडर-17 फीफा वर्ल्ड कप में चयनित होने वाली सुधा का कहना है कि इससे पहले घर की ज़रूरतों को पूरा करने में उनकी माँ पर कर्ज़ भी हो गया, जिसे उन्होंने फुटबॉल खेलकर मिले पैसों से चुकाया।

लड़कों को फुटबॉल खेलते देख हुई इस खेल में दिलचस्पी

सुधा अंकिता को फुटबॉल खेलने को लेकर भी लोगों से तानें सुनने पड़े, लेकिन उन्होंने किसी की नहीं सुनी। हालांकि, कई ऐसे लोग भी थे, जिन्होंने उन्हें प्रोत्साहित किया। सबसे अच्छी बात यह थी कि तमाम परेशानियों के बावजूद, उनकी माँ हर कदम पर उनके साथ रहीं। वह सुधा अंकिता से मन लगाकर खेलने और कुछ अच्छा करने को कहती थीं।

सुधा अंकिता बताती हैं कि वह बचपन से ही फुटबॉल खेलने की शौकीन हैं। उनके भीतर गांव में लड़कों को फुटबॉल खेलते देख इस खेल के प्रति दिलचस्पी पैदा हुई। उन्हें लगा कि उन्हें भी फुटबॉल खेलना चाहिए और फिर उन्होंने गांव की गलियों में खेलना शुरू कर दिया।

स्कूल में पढ़ाई के दौरान ही वह कई फुटबॉल प्रतियोगिताओं में भाग लेती थीं। उन्हें बहुत सारे पुरस्कार भी मिले। इनसे उन्हें बहुत प्रोत्साहन मिला। उन्हें लगा कि वह अच्छा खेलना जारी रखेंगी, तो ऐसे ही इनामों से उनकी झोली भरी रहेगी और अच्छे खेल पर सबकी तारीफ भी मिलेगी।

फीफा वर्ल्ड कप के लिए टीम में नाम आते ही उम्मीदों को लगे पंख

Sudha Ankita Tirkey
Sudha Ankita Tirkey

आज से तीन साल पहले, यानि 2019 में महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हुई जूनियर नेशनल फुटबॉल चैंपियनशिप के दौरान, सुधा अंकिता टिर्की का चयन इंडिया कैंप के लिए हुआ था। इस साल फीफा अंडर-17 वर्ल्ड कप खेला जाना था, जिसके लिए इंडियन टीम ट्रेनिंग कैंप पहुंच चुकी थी, लेकिन बाद में कोरोना के चलते उसे स्थगित कर दिया गया।

सुधा ने इस बीच टर्की में अभ्यास मैच भी खेला था। उन्होंने बताया कि उस समय लग रहा था कि पता नहीं यह कोरोना काल कब तक चलेगा? फिर से कैंप कब होगा? टूर्नामेंट कब होंगे? ईश्वर को धन्यवाद कि परिस्थितियां सामान्य हुईं।

इस साल यानी 2022 के अप्रैल में भारतीय फुटबॉल संघ ने जमशेदपुर में इंडिया ट्रेनिंग कैंप फिर शुरु कर दिया, ताकि अंडर-17 फीफा वर्ल्ड कप के लिए टीम का चयन किया जा सके। यह ट्रेनिंग कैंप 23 अप्रैल, 2022 से लेकर 31 मई, 2022 तक चला। सुधा के अनुसार, कैंप में कुल 33 खिलाड़ियों का चयन हुआ था। इसके बाद 4 अक्टूबर, 2022 को भारतीय महिला अंडर-17 टीम के मुख्य कोच थॉमस डेनेरबी ने फीफा अंडर-17 वर्ल्ड कप के लिए 21 सदस्यीय टीम की घोषणा की, जिसमें उनका भी नाम शामिल था।

सुधा अंकिता का कहना है कि वर्ल्ड कप के लिए घोषित टीम में नाम को देखकर ही उम्मीदों को पंख लग गए। लगा कि कुछ कर दिखाने का मौका आ गया। अब फोकस केवल कप पर है‌।

सुधा शानदार खिलाड़ी, वर्ल्ड कप में उनसे काफी उम्मीदें 

अंडर-17 फीफा वर्ल्ड कप, भारत की ही मेज़बानी में हो रहा है, जो 11 अक्टूबर, 2022 से शुरू होने जा रहा है। इसके मुकाबले भारत के तीन राज्यों महाराष्ट्र, गोवा और ओडिशा में खेले जाएंगे।

गुमला फुटबॉल एसोसिएशन के सचिव सागर उरांव ने द बेटर इंडिया से बातचीत करते हुए सुधा के खराब आर्थिक हालात का ज़िक्र किया और कहा कि कोरोना महामारी के दौरान गुमला जिला फुटबॉल संघ ने उनकी जितनी हो सकती थी, सहायता की। उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि सुधा एक शानदार फुटबॉल खिलाड़ी हैं। अंडर -17 फीफा वर्ल्ड कप में उनसे बहुत उम्मीदें हैं। फुटबॉल उन्हें एक ऊंचा मुकाम दिलाएगा।

संपादनः अर्चना दुबे

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