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कैसे एक आम गृहिणी बनी इलेक्ट्रीशियन? घर चलाने के लिए शुरू किया था काम, आज बना उनकी पहचान

lady electrician (1)
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बुरा वक़्त भले ही तकलीफें लेकर आता है, लेकिन साथ ही बहुत कुछ सिखा भी जाता है और कभी-कभी  वही सीख हमें काबिल भी बना देती है। गया (बिहार) की रहनेवाली सीता देवी के जीवन में भी बुरा वक़्त एक ऐसी ही सीख लेकर आया, जिसने उन्हें नई पहचान दिलाई। सीता देवी आज से 15 साल पहले तक एक सामान्य गृहिणी थीं। वह घर पर रहकर बच्चों का ध्यान रखती थीं, लेकिन आज वह अपने शहर में एक महिला इलेक्ट्रीशियन के तौर पर काफी मशहूर हो गई हैं।  

वह सालों से गया के काशीनाथ मोड़ पर स्थित अपनी दुकान में बिजली के उपकरण बनाने का काम करती आ रही हैं। उन्होंने एक समय पर मजबूरी में इस काम की शुरुआत की थी। लेकिन आज वह इस काम को ख़ुशी से करती हैं। क्योंकि इसी काम ने उन्हें मुश्किल समय में  घर चलाने में मदद की और एक नई पहचान बनाने में भी। 

द बेटर इंडिया से बात करते हुए महिला इलेक्ट्रीशियन सीता देवी कहती हैं, “मैं बल्ब से लेकर AC और माइक्रोवेव तक सबकुछ ठीक कर लेती हूँ। मेरे पास आया कोई भी ग्राहक कैसी भी मशीन लेकर आए,  मैं उसे आराम से रिपेयर कर देती हूँ। यही वजह है कि मेरे पास काम की कमी नहीं होती।”  

 

Woman Electrician Seeta Devi

पति से बिजली का काम सीखकर बनीं मैकेनिक

सीता देवी स्कूल कभी नहीं गईं, लेकिन फिर भी मैकेनिक का पूरा काम बड़ी आसानी से कर लेती हैं। दरअसल, उनके पति जितेंद्र मिस्त्री, इलेक्ट्रीशियन ही हैं। लेकिन स्वास्थ्य संबधी दिक्कतों के कारण वह काम नहीं कर पा रहे थे। 

सीता देवी कहती हैं, “उस समय बच्चे काफी छोटे-छोटे थे और मेरे पति के लिवर में सूजन की दिक्कत हो गई थी, जिसके बाद वह शुरुआत में मुझे अपने साथ दुकान पर ले जाया करते थे। वह जैसे-जैसे कहते वैसे-वैसे मैं काम करती थी। उन्होंने मुझे फंखा, मिक्सर ग्राइंडर आदि ठीक करना सिखाया था।” 

धीरे-धीरे सीता इस काम में इतनी माहिर हो गईं कि अकेले ही दुकान का काम संभालने लगीं। सीता देवी के चार बच्चे हैं, दो लड़कियां और दो लड़के। जब सीता देवी ने इस काम की शुरुआत की तो उस दौरान उनके बच्चे काफी छोटे थे। 

एक साल के बच्चे को साथ लेकर करती थीं काम

उनका छोटा बेटा तो महज़ एक साल का था। वह अपने सारे बच्चों को अपने साथ काम पर ले जाया करती थीं। दुकान में काम करने के साथ-साथ, वह बच्चों की देखभाल भी करती थीं। इसी काम से उन्होंने अपने चारों बच्चों को पढ़ाया और बड़ा किया। 

आज उनके दोनों बेटे मनोहर और मुकेश भी उनके साथ दुकान में काम करते हैं। उनके बड़े बेटे मनोहर ने बताया कि उन्होंने अपनी माँ से ही बिजली का काम सीखा है। वह बताते हैं, “जब से मैंने देखा है, तब से मेरी माँ को कई ईनाम मिल चुके हैं। मुझे उन्हें देखकर काफी गर्व होता है।”

मनोहर ने बताया कि उनकी माँ पूरी शिद्दत से काम करती हैं और अपनी माँ को  देखकर उन्हें काफी प्रेरणा भी मिलती है। 

समाज की परवाह किए बिना करती रहीं काम 

हालांकि,  15 साल पहले महिला इलेक्ट्रीशियन सीता देवी के लिए इस काम से जुड़ना इतना आसान नहीं था। उनके रिश्तेदारों के साथ-साथ, कई पड़ोसियों ने भी उनके काम करने पर आपत्ति जताई थी। उस दौरान कोई महिला दुकान नहीं चलाया करती थी। 

ऐसे में मेकैनिक वाला काम करना बहुत बड़ी बात थी। लेकिन सीता के पति एक मशहूर मैकेनिक थे, इसलिए उनके कई ग्राहकों ने उनपर विश्वास जताया और सीता देवी सबके विश्वास पर खरी भी उतरीं। उन्होंने समाज और लोगों के बारे में सोचे बिना बस काम पर ध्यान दिया। एक समय ऐसा आया कि ताने मारने वाले भी उनकी तारीफ करने लगे। 

सीता बताती हैं, “उस समय काम सीखना और करना मेरी मज़बूरी थी। मुझे कुछ और काम नहीं आता था और अगर यह काम न करती, तो बच्चों को क्या खिलाती?” आज भी सीता देवी उसी उत्साह से काम पर जाती हैं। वह इस काम से हर दिन 1000 से 1200 रुपये आराम से कमा लेती हैं।  

सीता देवी ने साबित कर दिया है कि एक महिला अपने परिवार और बच्चों के लिए हर मुसीबत और परेशानी से लड़ सकती है। यह कहानी साबित करती है कि कोई भी काम महिला या पुरुष का नहीं होता, बल्कि जो काम आपको आगे ले जाए, उसे करने में शर्म नहीं करनी चाहिए। 

संपादन-अर्चना दुबे

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