पूर्णिया (बिहार) के 26 वर्षीय सत्यम सुंदरम के माता-पिता, दोनों ने ही नौकरी करके बड़ी मुश्किल से उन्हें अच्छी शिक्षा दिलाई, ताकि एक आम बच्चे की तरह वह भी पढ़ाई के बाद अच्छी नौकरी करें। लेकिन सत्यम आम लोगों से थोड़े अलग हैं। वह बचपन से ही आस-पास के पशु-पक्षियों और पर्यावरण आदि के प्रति काफी जिम्मेदार रहे हैं। प्रकृति प्रेमी होने का सारा श्रेय वह अपनी माँ को देते हुए कहते हैं, “मैं बिल्कुल मेरी माँ की तरह सोचता हूँ। उन्हीं से मुझे पर्यावरण के प्रति कुछ करने की प्रेरणा मिली।”
आज सत्यम अपनी माँ के साथ मिलकर बैम्बू के प्रोडक्ट्स(Bamboo Products) बना रहे हैं। लेकिन इस काम की शुरुआत करना उनके लिए बिल्कुल भी आसान नहीं था। बिज़नेस आईडिया से लेकर इसकी मार्केटिंग और पैसों से जुड़ी कई समस्याएं उनकी राह में आईं, लेकिन सत्यम की माँ आशा अनुरागिनी ने उनका हर कदम पर साथ दिया।
कैसे आया बैम्बू प्रोडक्ट्स बनाने का आईडिया?
दरअसल, सत्यम इस साल अपने एमबीए के आखिरी सेमेस्टर की पढ़ाई कर रहे हैं। पिछले साल वह एक कंपनी में इंटर्नशिप कर रहे थे, जहां उन्हें प्रोडक्ट की मार्केटिंग के लिए बाहर जाना पड़ता था। इस दौरान वह शहर के किनारे कचरे का ढेर देखा करते थे।
सत्यम बताते हैं, “मेरे अंदर का पर्यावरण प्रेमी उन प्लास्टिक कचरे आदि को देखकर काफी दुखी होता था। मुझे लगता था कि नौकरी करके मैं पैसे तो कमा लूंगा, लेकिन हमारे आस-पास जो यह समस्या है उसके लिए कुछ नहीं कर पाऊंगा।”
उन्होंने अपने मन की बात अपनी माँ से भी साझा की। सत्यम की माँ आशा कहती हैं, “हमारे घर के हालात ज्यादा अच्छे नहीं थे, इसलिए शुरुआत में तो मैंने सत्यम को इन बातों से ध्यान हटाकर अपनी पढ़ाई और नौकरी के बारे में सोचने को कहा। लेकिन मन ही मन में मैं जानती थी कि उसकी चिंता सही है।”
सत्यम ने प्लास्टिक के वैकल्पिक प्रोडक्ट्स के बारे में रिसर्च करना शुरू किया। उसी दौरान उन्हें पता चला कि बैम्बू से कई तरह के प्रोडक्ट्स बनाए जा सकते हैं। इसी सोच के साथ उन्होंने कुछ 10 बैम्बू खरीदे और अपनी माँ की मदद से काम करना शुरू किया। उनकी माँ संगीत और क्राफ्ट की ही टीचर हैं, इसलिए उन्होंने इससे एक बढिया बोतल बनाई।
आशा कहती हैं कि उन्होंने यूट्यूब के जरिए बैम्बू की बोतल बनाई थी।
रोड पर स्टॉल लगाकर बेचने लगें बैम्बू प्रोडक्ट्स
माँ बेटे की इस जोड़ी ने बढिया प्रोडक्ट्स तो बना लिए, लेकिन अब इसे बेचें कैसे? यह एक बड़ा सवाल था। तब सत्यम ने बिना किसी शर्म के इसे रोड साइड स्टॉल लगाकर बेचना शुरू किया। पिछले साल जुलाई महीने में उन्होंने अपने रोड साइड स्टॉल की शुरुआत, बैम्बू के एक ही प्रोडक्ट से की थी, जो थी बैम्बू बोतल।
उस दौरान उन्हें कई लोगों ने ताना भी मारा कि इतना पढ़ा-लिखा लड़का रोड पर खड़े होकर बोतल बेच रहा है। लेकिन इन सारे तानों को दरकिनार कर सत्यम का साथ उनकी माँ ने हर बार दिया। उन दोनों को यकीन था कि वे कुछ अच्छा काम कर रहे हैं, जिसे आगे चलकर सभी अपनाएंगे।
सत्यम बताते हैं, “उस दौरान लोग हमारे पास आते थे, हमारे प्रोडक्ट की तारीफ करते थे, लेकिन कोई ज्यादा प्रोडक्ट्स खरीदता नहीं था। कई बार मेरा मन करता था कि यह सब छोडकर नौकरी पर ध्यान दूँ। लेकिन फिर मैं अपनी माँ के बारे में सोचता था, जिन्होंने मेरा साथ दिया। मैंने इसे एक जिद्द बना ली थी कि लोगों को किसी तरह से प्लास्टिक से दूर कर सकूँ।” बस मन में कुछ कर दिखाने की ज़िद लिए, वह लोगों की बातों को नज़रअंदाज़ कर अपना काम करते रहे।
मेहनत का मिला फल
धीरे-धीरे शहर में उनके इस स्टॉल की बातें होने लगीं। कई स्थानीय मीडिया हाउस ने उनकी कहानी में दिलचस्पी ली कि कैसे एक एमबीए पढ़ा लड़का रोड पर बांस के प्रोडक्ट्स बेच रहा है। उन्होंने धीरे-धीरे पेन स्टैंड, ट्रे, कप जैसे कुछ और प्रोडक्ट्स बनाना भी शुरू किया। मीडिया के माध्यम से उनके हैंडमेड प्रोडक्ट्स की जानकारी शहर के डीएम तक भी पहुंची, जिसके बाद उन्हें कई तरह की मदद मिलने लगी। आशा बताती हैं, “डीएम की मदद से हमें उद्योग विभाग के पास भेजा गया। उद्योग विभाग ने हमारे प्रोडक्ट्स देखे और काफी पसंद किए। चूंकि हमारे प्रोडक्ट्स हैंडमेड थे, इसलिए उन्होंने इसे आगे बढ़ावा देने का फैसला किया।”
उद्योग विभाग के जरिए ही उन्हें शहर की एक प्रदर्शनी में भाग लेने का मौका मिला। उस समय सत्यम और आशा सिर्फ कुछ ही प्रोडक्ट्स के साथ प्रदर्शनी में पहुंचे थे। लेकिन वहां लोगों का प्यार देखकर उन्हें काफी अच्छा लगा और उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा भी मिली।
उद्योग विभाग की सहायता से ही उन्हें प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन योजना के तहत 10 लाख रुपयों का लोन भी मिला है।
50 तरह के प्रोडक्ट्स बना रही यह माँ-बेटे की जोड़ी
बिज़नेस के लिए लोन मिलना उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि थी, जिसके बाद उन्होंने बड़े स्तर पर काम करने की शुरुआत की। सत्यम ने अपनी पारिवारिक ज़मीन पर ही बैम्बू प्रोडक्ट बनाने की एक फैक्ट्री की शुरुआत की है। वह मणिपुर से बांस मँगवाकर काम कर रहे हैं।
पिछले महीने, 31 मई को बिहार के उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन ने ‘मणिपुरी बैम्बू आर्किटेक्ट’ नाम से उनकी फैक्ट्री का उट्घाटन किया था।
हाल में, वह बैम्बू के साथ-साथ, जूट से तक़रीबन 50 तरह के प्रोडक्ट्स बना रहे हैं, जो प्लास्टिक का बढिया विकल्प बन सकते हैं।
सत्यम को समय के साथ धीरे-धीरे बड़े ऑर्डर्स मिलने भी शुरू हो गए हैं। फ़िलहाल वह बैम्बू के डस्टबिन बना रहे हैं, जिन्हे राज्य के कई सरकारी ऑफिस में रखा जाएगा। अगर आप भी उनके प्रोडक्ट्स के बारे में जानना चाहते हैं, तो उन्हें यहां संपर्क कर सकते हैं।
संपादनः अर्चना दुबे
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