राम बाई और बेगम साहिबा! जानिए मज़हब से परे 50 सालों से चली आ रही इस अनोखी दोस्ती की दास्ताँ

मज़हब के लिए लड़ने वाले लोगों के किस्से तो बहुत सुने होंगे, लेकिन इन सब से परे हटकर निभाई गई गहरी दोस्ती की कहानियां कम ही सुनाई देती हैं। ऐसी ही एक दिलचस्प कहानी है राम बाई और बेगम साहिबा की भी।

unique friendship

 'इस दुनिया में नफरत आराम से बिक जाती है, लेकिन प्यार को कोई नहीं खरीदता।' यह सलमान खान की मशहूर फिल्म  बजरंगी भाईजान का एक डायलॉग नहीं, बल्कि इस दुनिया की हकीक़त भी है। आए दिन लोग धर्म के नाम पर लड़ते और अपने-अपने मज़हब को बड़ा बनाने की दौड़ में लगे रहते हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो इन चीज़ों से परे सिर्फ इंसानियत को अपनाते हैं।

इंसानियत और दोस्ती की एक ऐसी ही कहानी, पिछले 50 सालों से जम्मू के कुष्ठ रोगी आश्रम में देखने को मिल रही है। यह कहानी है दो बुजुर्ग महिलाओं- बेगम साहिबा और राम बाई की, जो ज़िंदगी के बुरे दौर में एक-दूसरे से मिलीं और दोस्ती की ऐसी मिसाल कायम की, कि आज कई लोग उनसे प्रेरणा ले रहे हैं।

ये दोनों जम्मू के कुष्ठ रोगी आश्रम में रहती हैं। सालों पहले राम बाई को बिलासपुर से कोई यहां छोड़ गया था। इतने साल बीत गए हैं कि राम बाई को ज़्यादा कुछ याद ही नहीं। वह सालों से यहां बेगम साहिबा के साथ उन्हीं के घर में रहती हैं। राम बाई का इस दुनिया में कोई नहीं है, उनके लिए उनकी पूरी दुनिया सिर्फ बेगम के इर्द-गिर्द घूमती हैं। 

unique friendship of Begam and rambai
Unique Friendship Of Begam Sahiba And Rambai

बेगम साहिबा जम्मू से ही हैं, लेकिन सालों से वह भी इस कुष्ठ रोगी आश्रम में ही रह रही हैं। द बेटर इंडिया से बात करते हुए बेगम साहिबा कहती हैं, “राम बाई मेरे से 10 दिन पहले इस आश्रम में रहने आई थीं। लेकिन मेरे आने के बाद, हम दोनों साथ में एक ही कमरे में रहने लगे। तब से हम साथ ही हैं। राम बाई ने मेरे बच्चों की सेवा भी की है और मेरी भी।"

इंसानियत से बड़ा कोई मज़हब नहीं 

जाति-धर्म की भावना भूलकर बेगम और राम बाई ने एक-दूसरे को इंसानियत की नज़र से देखा। परिवार के बिना वे दोनों यहां सुख-दुख के साथी बन गए। उम्र में राम बाई, बेगम से 10 साल बड़ी हैं। दोनों एक ही घर में रहती हैं और मुश्किल समय में भी ये साथ नहीं छूटता। राम बाई, बेगम की सेवा करती हैं और बेगम भी हर वक्त राम बाई के लिए खड़ी रहती हैं।  

Begam Sahiba And Rambai
Begam Sahiba And Rambai

यहां तक कि वे एक-दूसरे के धर्म की भी इज्ज़त करती हैं। एक ओर जहां अक्सर धर्म को लेकर कोई न कोई फसाद होता रहता है,  वहीं दूसरी तरफ ये दोनों एक ही घर में रहते हुए ईश्वर और अल्लाह दोनों को मानती हैं।

बेगम का हमेशा यही कहना है कि इंसान को उस ऊपर वाले ने बनाया है, जब उसने कोई फर्क नहीं किया था, तो हम कौन होते हैं? नफरत से भरी इस दुनिया में इनकी दोस्ती एक मिसाल है,  जिससे हर किसी को प्रेरणा लेनी चाहिए। आशा है कि इनकी यह दोस्ती की कहानी आपको भी पसंद आई होगी।  

संपादनः अर्चना दुबे

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