और वह भी इसलिए, ताकि वह जानवरों के छोटे बच्चों का ख्याल रख सकें। सेवा करना तो डॉ. आमटे के खून में ही था, लेकिन जानवरों के लिए अनाथालय की शुरुआत एक घटना से हुई।
गांववालों ने आम्टे दंपति की बात मान ली और फिर पहले से मारे गए जानवरों के बच्चों को गोद लेकर डॉ. प्रकाश और डॉ. मंदाकिनी, अनाथ जानवरों के माता-पिता बन गए।