क्या आपने देखा है जानवरों के लिए अनाथालय?

डॉक्टरी की पढ़ाई करने के बाद लोग अस्पतालों में नौकरी करते हैं या फिर अपना क्लिनिक खोलते हैं।  लेकिन एक डॉक्टर कपल हैं, जो डॉक्टरी करने के बाद, एक छोटे से कस्बे हेमलकसा (महाराष्ट्र) में आकर बस गए।

और वह भी इसलिए, ताकि वह जानवरों के छोटे बच्चों का ख्याल रख सकें। सेवा करना तो डॉ. आमटे के खून में ही था, लेकिन जानवरों के लिए अनाथालय की शुरुआत एक घटना से हुई।

महाराष्ट्र के महान समाजसेवी बाबा आमटे के बेटे डॉ. प्रकाश आमटे और बहु डॉ. मंदाकिनी आमटे, एक बार जंगल से गुजर रहे थे, तो देखा कि कुछ लोग बंदरों को बुरे तरीके से बांध कर ले जा रहे हैं।

डॉ. प्रकाश आम्टे ने लोगों से कहा कि अगर वे पशुओं का शिकार करने या मारने के बजाय अगर उन्हें सौंप दें, तो वे तमाम उम्र गांव में रहकर ही उन लोगों की सेवा करेंगे।

गांववालों ने आम्टे दंपति की बात मान ली और फिर पहले से मारे गए जानवरों के बच्चों को गोद लेकर डॉ. प्रकाश और डॉ. मंदाकिनी, अनाथ जानवरों के माता-पिता बन गए।

उनके अनाथालय में आज भालू, तेंदुए, हिरण, मगरमच्छ समेत 90 से भी अधिक जानवर हैं।

आम्टे दंपति जहां रहते हैं, वह इलाका चंद्रपुर से 150 किमी दूर नक्सलवाद से प्रभावित भी है, जहां घने जंगल के बीच रहकर वे आदिवासियों को मुफ्त शिक्षा और चिकित्सा दे रहे हैं।

यहां पढ़े हुए कई छात्र सरकारी अधिकारी और पुलिसकर्मी भी बने हैं और कई तो इस इलाके के उत्थान के लिए काम करते हैं।

आदिवासियों के उत्थान के लिए उन्हें मैगसेसे अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है और 2014 में डॉ. प्रकाश आमटे पर डॉ. प्रकाश आमटे: THE REAL HERO नाम की मराठी फिल्म भी बनी थी।