न जलाना, न फेंकना! अब पराली को फर्नीचर में बदल देगी शुभम् की मशीन
हर साल सर्दियों में पराली जलाने से दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में स्मॉग की दिक्क़तें आने लगती हैं।
ऐसे में, पुणे की एक स्टार्टअप कंपनी CRASTE का आविष्कार इस समस्या का बढ़िया समाधान है।
इंजीनियर शुभम सिंह का यह आईडिया न केवल खेत के कचरे को लकड़ी में बदलता है। बल्कि मलेशिया, न्यूजीलैंड और चीन से भारी मात्रा में लकड़ी के आयात को भी कम करने में मदद करता है।
शुभम् हमेशा से ही, स्टार्टअप के नए-नए आईडियाज़ पर काम करते रहते हैं। ऐसे में जब उन्हें पता चला कि देश में इतनी ज़्यादा लकड़ियां बाहर से आती हैं, तो उन्होंने इसका विकल्प खोजना शुरू किया।
ऐसे में पराली जलाने के समाचार से उन्हें अपने आविष्कार पर काम करने की प्रेरणा मिली।
शुभम् ने जो मशीन बनाई है, वह खेत के कचरे को उपयोग करके कार्ड बोर्ड और पैकेजिंग सामान सहित फर्नीचर बनाने के काम मदद करता हैं।
इसके लिए वह किसानों से छह रुपये प्रति किलो से खेत का कचरा लेते हैं। फिर फ्यूमासोलव तकनीक की मदद से लिग्निन नाम का प्रोडक्ट निकालते हैं, जिससे बोर्ड आदि बनते है।
शुभम् का स्टार्टअप क्रेस्ट किसानों को एक नई आय देने के लिए काम कर रहा है।
आशा है, इससे भारत में लकड़ी की भारी मांग को पूरी करने में भी मदद मिलेगी।