Site icon The Better India – Hindi

चाय के स्टॉल को बनाया RTI बूथ, ग्रामीणों के लिए फाइल किये 5000 से ज्यादा RTI

KM Bhai RTI Tea Stall

उत्तर प्रदेश के जालौन में एक गांव के रहनेवाले राम कल्प मिश्र अपना राशन कार्ड बनवाने के लिए सरकारी विभागों के चक्कर लगाते हुए थक गए थे। लेकिन उनका राशन कार्ड नहीं बन पा रहा था। जब भी वह राशन कार्ड के लिए आवेदन देते तो सरकारी कर्मचारी उनसे 1000 रुपए रिश्वत देने को कहते थे। एक मामूली किसान के लिए 1000 रुपए जुटाना बहुत ही मुश्किल था और राशन कार्ड के आभाव में वह राशन नहीं ले पा रहे थे। पूरी तरह से हताश हो चुके राम कल्प आखिर में ‘RTI टी स्टॉल’ के केएम भाई के पास पहुंचे। 

केएम भाई ने उनकी परेशानी सुन, दूसरे ही दिन उनके नाम से एक RTI फाइल की और इसके दो महीने बाद ही, राम कल्प मिश्र के हाथ में उनका राशन कार्ड आ गया। मात्र एक RTI ने राम कल्प को न सिर्फ राशन कार्ड दिलाया, बल्कि एक हथियार भी दे दिया। अब सरकारी विभाग में अटके अपने सभी कामों के लिए वह RTI का सहारा ले रहे हैं। Right To Information मतलब सूचना का अधिकार आम जनता के लिए किसी हथियार से कम नहीं है। सूचना का अधिकार (Right to Information-RTI) अधिनियम, 2005 भारत सरकार का एक अधिनियम है, जिसे नागरिकों को सूचना का अधिकार उपलब्ध कराने के लिये लागू किया गया है।

“लेकिन सवाल यह है कि कितने ही लोग अपने इस अधिकार का सही उपयोग करते हैं। क्योंकि, अगर इसका सही तरह से इस्तेमाल किया जाए, तो अकेला यही अधिनियम एक क्रांति ला सकता है,” यह कहना है कृष्ण मुरारी यादव का, जिन्हें लोग प्यार से केएम भाई कहकर पुकारते हैं। केएम, साल 2013 से कानपुर शहर के आसपास के गांवों में लोगों को RTI के बारे में जागरूक करते हुए, उनकी RTI फाइल करने में मदद कर रहे हैं। उन्होंने अब तक 5000 से भी ज्यादा लोगों की मदद की है और राम कल्प मिश्र इनमें से एक थे। 

Ram kalp Mishra and KM Bhai

इस काम के लिए वह कानपुर के पास ही, एक गांव के बाहर ‘RTI चाय स्टॉल’ चला रहे हैं। इस स्टॉल पर आकर कोई भी चाय पी सकता है और RTI के बारे में जानकारी ले सकता है। द बेटर इंडिया से बात करते हुए उन्होंने अपने इस सफर के बारे में बताया। 

चायवाले ने दिया RTI टी स्टॉल का आईडिया 

32 वर्षीय केएम बताते हैं, “मैं कानपुर से हूं। मेरे घर में सभी साक्षर हैं। मैंने भी कॉलेज की पढ़ाई पूरी करके, कुछ दिन नौकरी की। लेकिन सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने की रूचि के कारण मैंने नौकरी छोड़ दी। कुछ दिन सामाजिक संगठनों के साथ काम किया। लेकिन 2010 के आसपास मुझे ‘RTI’ के बारे में जानने को मिला। स्कूल के समय से ही, कानून और संविधान से जुड़ी चीजों में मेरी गहन रूचि रही है। इसलिए जब एक दिन RTI का जिक्र सुना, तो अख़बारों, किताबों और इंटरनेट का सहारा लेकर इसके बारे में सभी जानकारी प्राप्त की।” 

दरअसल, शहर में कुछ लोग RTI के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चला रहे थे। ये लोग सरकारी विभागों के बाहर जाकर आमजन के बीच इस पर पर्चे बांटते थे। एक पर्चा केएम के हाथ लग गया और सभी जानकारी जुटाकर, वह भी इस अभियान में शामिल हो गए। उन्होंने बताया, “कुछ दिन तक यह सब चला और मैंने खुद बहुत सी चीजों के लिए RTI फाइल किया, ताकि मुझे पता चल सके कि क्या प्रक्रिया है? मैंने छोटी-बड़ी समस्यायों को लेकर RTI फाइल की और धीरे-धीरे इनका असर दिखने लगा।” 

“कुछ समय बाद, मुझे अहसास हुआ कि RTI के बारे में जागरूकता की जरूरत सिर्फ शहरों में नहीं, बल्कि गांवों में भी है। हमें इसके बारे में गांव-गांव तक जानकारी पहुंचानी चाहिए। अब इससे पहले मैंने कभी गांव में काम नहीं किया था, तो सवाल उठा कि किस तरह से किया जाए? मैंने कहा कि पैदल यात्रा निकालते हैं, कानपुर के आसपास के गांवों में और यात्रा के दौरान लोगों को इस बारे में बताएंगे। लेकिन जिस सोच के साथ हम गांव पहुंचे और गांववालों से हमें जो प्रतिक्रिया मिली, वह बहुत अलग थी,” केएम ने आगे कहा। 

गांववालों ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया। लोगों ने उन्हें अपनी समस्याएं तो गिनवाई, लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि इन समस्याओं का निदान कैसे हो? जब उन्होंने कहा कि RTI से उनकी मदद हो सकती है, तो लोग झंझट में नहीं पड़ना चाहते थे। एक दिन थक-हारकर, केएम और उनके साथी चौबेपुर गांव के बाहर एक छोटी-सी चाय की टपरी पर बैठ गए। उनके हाथों में RTI पर कुछ पर्चे थे। उन्होंने चाय मांगी तो वहां पहले मौजूद कुछ लोगों ने उनसे RTI के बारे में पूछना शुरू कर दिया। देखते ही देखते चाय पीते हुए RTI पर अच्छी चर्चा हो गयी। 

“उस चाय की स्टॉल को चलाने वाले चाचा, हमें कई दिनों से देख रहे थे। मेरी बातें सुनकर उन्होंने कहा कि हमारी चाय की दुकान पर ही आप अपना यह स्टॉल लगा लो। यहीं पर लोगों को जानकारी देते रहिएगा। हमें भी उनकी बात जंच गयी। चाय की तरह RTI भी सभी के लिए है और हमने इस आईडिया पर काम करते हुए, उसी चाय की टपरी पर अपना पहला बूथ शुरू किया,” उन्होंने कहा। 

अब कानपुर के बाहर से भी लोग आते हैं मदद मांगने

उन्होंने आगे बताया कि धीरे-धीरे लोग चाय की दुकान पर उनका पोस्टर देखकर उनसे RTI के बारे में पूछने लगे। फिर बहुत से लोग मदद के लिए आने लगे। केएम भाई सबको RTI के बारे में जानकारी देते और बताते कि वे कैसे अपनी समस्याओं के लिए जैसे राशन कार्ड नहीं बन रहा है, सड़क टूटी है, स्ट्रीट लाइट नहीं है, कोई रिजल्ट रुका हुआ है, जमीन का कोई विवाद है, तो भी RTI के जरिए मदद ले सकते हैं। बहुत से लोगों के लिए उन्होंने खुद RTI फाइल किया है। अब तक वह 5000 से ज्यादा लोगों के लिए RTI फाइल कर चुके हैं। 

इनमें से लगभग 1000 लोगों को मदद भी मिली है। कानपुर के रहनेवाले सर्वेश कहते हैं कि उन्होंने इग्नू से एक कोर्स किया था, जिसका रिजल्ट रुक गया था और कोई कारण नहीं बताया जा रहा था। इसलिए उन्होंने केएम भाई की सलाह पर RTI फाइल की और एक महीने के अंदर उनका रिजल्ट आ गया। इसी तरह और भी बहुत से लोगों को RTI के कारण मदद मिली है। लोगों की मदद करते-करते केएम ने अब तक 1000 से भी ज्यादा लोगों को ट्रेनिंग भी दी है कि वे कैसे RTI के जरिए अपनी परेशानियां सुलझा सकते हैं। 

चौबेपुर के अलावा, उन्होंने तातियागंज, नानामऊ, भरावन, और घाटमपुर जैसे गांवों में भी RTI टी स्टॉल की शुरूआत की। उनके साथ काम करनेवाले मुन्ना लाल शुक्ला कहते हैं कि इन चाय की दुकानों या स्टॉल को वे लोग खुद नहीं चलाते हैं, बल्कि अलग-अलग इलाकों में पहले से चल रही चाय की स्टॉल पर जाकर वे बात करते हैं और उनसे अपना RTI का बूथ लगाने के लिए अनुमति मांगते हैं। हालांकि, कोरोना महामारी के कारण, पिछले एक साल से उनका ज्यादातर काम ऑनलाइन चल रहा है। 

फ़ोन पर और ऑनलाइन वेबिनार के जरिए वे लोगों को RTI के बारे में जागरूक कर रहे हैं। “गांव के बहुत से युवाओं को और महिलाओं को हमें RTI के बारे में जागरूक किया है। ये लोग भी अपने-अपने इलाके में लोगों की मदद कर रहे हैं। अगर किसी को ज्यादा परेशानी होती है तो हम लोग फोन पर बात करके, उनके लिए RTI फाइल कर देते हैं ताकि समय पर उनको मदद मिले,” उन्होंने कहा। केएम भाई का यह सफर बिल्कुल भी आसान नहीं रहा है। पहले लोगों को जागरूक करना मुश्किल था। लेकिन जब लोग साथ आने लगे तो प्रशासन की तरफ से भी उन्हें कई बार परेशानियों का सामना करना पड़ा। 

उन्होंने कहा, “कई बार बातों-बातों में अधिकारियों ने यह काम छोड़ने के लिए कहा। तो कई बार अपने स्टॉल पर हमले भी हुए हैं। लेकिन हम कोई ऐसा काम नहीं कर रहे हैं, जिसके लिए हम डरें। इसलिए पीछे हटने का तो कोई सवाल ही नहीं है। ख़ुशी इस बात की है कि यह अभियान कानपुर से निकलकर दूसरे शहरों और राज्यों तक भी पहुंच रहा है। हमें राज्य के बाहर से भी लोगों के फोन आते हैं कि वे RTI फाइल करना चाहते हैं तो कैसे करें? कई जगहों से इस काम के लिए सम्मान भी मिले हैं, जिनमें स्फूर्ति अवॉर्ड भी शामिल है। लेकिन सम्मानों से बढ़कर है जागरूकता।” 

गौरतलब है कि सूचना के अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के तहत, भारत का कोई भी नागरिक किसी भी सरकारी प्राधिकरण से सूचना प्राप्त करने हेतु अनुरोध कर सकता है, यह सूचना 30 दिनों के अंदर उपलब्ध कराई जाने की व्यवस्था की गई है। यदि मांगी गई सूचना जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित है, तो ऐसी सूचना को 48 घंटे के भीतर ही उपलब्ध कराने का प्रावधान है। 

इस कानून को लेकर लोगों को जागरूक कर रहे केएम भाई की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है। जल्द ही, वह बुंदेलखंड में भी एक RTI जागरूकता यात्रा निकालने की योजना पर काम कर रहे हैं। अगर आप उनके साथ जुड़ना चाहते हैं, तो उन्हें 9838775508 पर संपर्क कर सकते हैं। 

संपादन- जी एन झा

तस्वीर साभार: केएम भाई

यह भी पढ़ें: होम स्टे के ज़रिये बचाया विलुप्त हो रहे हिम तेंदुओं को, दो लद्दाखियों की अद्भुत कहानी

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।

Exit mobile version