Site icon The Better India – Hindi

ड्रम, बोतल और प्लास्टिक के पाइप तक में लगा दिए 85 तरह के पेड़-पौधे

Avatar Singh farming In Pipe

पिछले साल लॉकडाउन के दौरान बहुत से लोगों ने खाली समय में अपने घरों में बागवानी की शुरुआत की थी। पंजाब के अवतार सिंह संधू और उनकी पत्नी, मनिंदरजीत कौर भी इन लोगों में से एक हैं। आज उनकी बागवानी, अन्य लोगों के लिए मिसाल है, क्योंकि हरी सब्जी के लिए उन्हें बाजार नहीं जाना पड़ता है।

कपूरथला जिले के तलवंडी चौधरियां गांव के रहनेवाले अवतार सिंह, सरकारी स्कूल में कंप्यूटर शिक्षक हैं और मनिंदरजीत, एक गृहिणी हैं। वे एक संयुक्त परिवार में रहते हैं। उन्होंने बताया, “कोरोना माहमारी और लॉकडाउन में हमने घर में ही रहना उचित समझा। इस दौरान पूरा परिवार साथ में समय बीता रहा था। छत पर ही मम्मी से कहकर तंदूर लगवा लिया और बस उनके हाथ की तंदूरी रोटी, पराठों का हम आनंद लेने लगे। मनिंदर जी अच्छी-अच्छी साग-सब्जियां बनाती थीं। लेकिन फिर धीरे-धीरे लगा कि कितना अच्छा हो कि अपने घर में ही साग-सब्जियां उगा ली जाएं और बाहर जाने की कोई खास जरूरत न पड़े।” 

बस इसी सोच के साथ, अवतार और मनिंदरजीत की बागवानी का सफर शुरू हो गया। वे बताते हैं कि उन्होंने अपनी छत पर कुछ क्यारियां बनाई तो कुछ गमलों का इंतजाम किया। इसके अलावा, उन्होंने प्लास्टिक की बोतलों, डिब्बों, टब और बाल्टी आदि को भी पूरा-पूरा काम में लिया। उन्होंने कहा कि शुरुआत में उन्हें कई तरह की परेशानी आयी। लेकिन वे दोनों ठान चुके थे कि उन्हें यह करना है। 

छत पर लगाए 85 तरह के पेड़-पौधे

अवतार और मनिंदरजीत ने पहले छोटी शुरुआत की और फिर धीरे-धीरे अपने काम को बढ़ाया। उन्होंने बताया कि उन्होंने सबसे पहले तीन बड़ी क्यारियां छत पर बनवाई और इनमें पुदीना, धनिया, पालक आदि लगाने से शुरुआत की। फिर उनकी छत पर गमलों की संख्या बढ़ने लगी। उन्होंने बताया कि आज उनकी छत पर 256 गमले हैं, जिनमें वे तरह-तरह के पेड़-पौधे लगा रहे हैं। उनके बगीचे में आपको सब्जियों, फलों के अलावा औषधीय पौधे और कुछ साज-सज्जा वाले पौधे भी मिल जाएंगे। 

“हम छत पर मौसमी सब्जियां लगाते हैं और फिलहाल, बैंगन, टमाटर, शिमला मिर्च, कद्दू, जैसी लगभग 13 सब्जियां लगी हुई हैं। सब्जियों के अलावा, आम, नींबू, अमरुद जैसे फलों के भी 13 पेड़ छत पर हमने लगाए हैं। छत पर 19 औषधीय पौधे भी हैं, जिनमें ओडोमॉस, अश्वगंधा, लेमन ग्रास, कपूर तुलसी, कपूर आदि शामिल हैं। इसके अलावा, 40 तरह के सजावटी पौधे भी शामिल हैं,” उन्होंने बताया। ओडोमॉस पौधे के बारे में वे कहते हैं कि इस पौधे के होने से आपके बगीचे में मच्छर और कीट पौधों को खराब नहीं करते हैं। 

अवतार सिंह कहते हैं कि उनके रसोई की लगभग 95% जरूरत उनके बगीचे से ही पूरी हो जाती है। साथ ही, वे अपने पड़ोसियों के घर भी साग-सब्जियां पहुंचा रहे हैं। उन्होंने बताया, “हम अपने बगीचे के लिए खुद ही जैविक खाद और स्प्रे तैयार करते हैं। कोशिश यही रहती है कि हमारे घर और बगीचे से किसी भी तरह का जैविक कचरा बाहर न जाए। हम सभी तरह के छिलकों, सूखे पत्तों, टहनियों से खाद बना लेते हैं।” उनका बगीचा पूरी तरह से जैविक है। वे किसी भी तरह की रसायनिक चीजें अपने बगीचे में इस्तेमाल नहीं करते हैं। 

बागवानी के कुछ टिप्स

उन्होंने आगे बताया कि उनकी ज्यादा से ज्यादा कोशिश यही है कि वे दूसरे लोगों को भी बागवानी के लिए प्रेरित करें। इस काम में वे कुछ हद तक कामयाब हो भी रहे हैं। उनका कहना है कि सभी लोगों को अपने घरों में उपलब्ध खाली जगह में कुछ न कुछ पेड़-पौधे लगाने के बारे में सोचना चाहिए। पहले छोटी शुरुआत करें और फिर धीरे-धीरे आगे बढ़ें। बागवानी के बारे में सलाह देते हुए वे कहते हैं, “बागवानी में सबसे ज्यादा जरुरी होती है मिट्टी। इसलिए आप ऐसी जगह से मिट्टी लाएं, जहां किसी भी तरह के रसायन का प्रयोग न हुआ हो। जैसे हम व्यास नदी के पास से मिट्टी लेकर आये थे और कुछ मिट्टी ईंट भट्ठों के पास से लेकर आए थे। क्योंकि अगर आप ऐसी जमीन से मिट्टी लेंगे जहां रसायनिक खेती होती है तो यह ठीक नहीं रहेगी।” 

इसके बाद, बात आती है बीज या पौधों की। इस पर संधू दंपति का कहना है कि आप चाहें बीज लें या फिर पौधे, लेकिन हमेशा किसी विश्वास वाली जगह से लें। क्योंकि छत पर बागवानी के लिए कम बीज या पौधों की जरूरत होती है। ऐसे में आवश्यक है कि हमारे लाए हुए सभी बीज या पौधे अच्छे से विकसित हों। इसके बाद, वे कहते हैं कि बागवानी के लिए पॉटिंग मिक्स दो तरह से तैयार किया जा सकता है। छोटे पौधे जैसे फूल या सब्जियों के लिए आप 40% मिट्टी में 30% कोकोपीट, 10% रेत और 20% खाद मिला सकते हैं। 

लेकिन बड़े पेड़ जैसे फलों के पेड़ों के लिए आप मिट्टी की मात्रा ज्यादा लें और कोकोपीट की कम। साथ ही, शुरुआत में मौसम के हिसाब से पेड़-पौधे लगाएं और नियमित रूप से पानी दें। उन्होंने आगे बताया कि जब उन्हें बागवानी में सफलता मिलने लगी तो बच्चों ने सलाह दी कि उन्हें अपने इस सफर को यादगार बनाना चाहिए। इसलिए उन्होंने वीडियो बनाकर यूट्यूब पर अपलोड करना शुरू किया। 

शुरू किया अपना बागवानी यूट्यूब चैनल 

पहले उन्होंने ‘अवतार सिंह संधू‘ नाम से पंजाबी भाषा में अपना यूट्यूब चैनल शुरू किया। लेकिन पंजाबी में उन्हें लोगों से ज्यादा अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिली। इसके बाद, उन्होंने ‘ग्रीन लाइफ डायरीज‘ के नाम से हिंदी में अपना एक और यूट्यूब बागवानी चैनल शुरू किया। उनके इस चैनल को शुरू से ही लोगों की अच्छी प्रतिक्रिया मिली। 

अपने चैनल के माध्यम से वे लोगों को अपने बगीचे के बारे में और बागवानी से जुड़ी अन्य जानकारियां देते रहते हैं। “मेरा मानना है कि सभी लोगों को अपने घरों में साग-सब्जियां लगाने की कोशिश करनी चाहिए। इससे न सिर्फ उनका स्वास्थ्य बेहतर होगा बल्कि बागवानी करने से वे अपने बच्चों को भी बहुत कुछ सिखा पाएंगे,” उन्होंने अंत में कहा। 

अगर आप उनसे संपर्क करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें। 

अगर आपको भी है बागवानी का शौक और आपने भी अपने घर की बालकनी, किचन या फिर छत को बना रखा है पेड़-पौधों का ठिकाना, तो हमारे साथ साझा करें अपनी #गार्डनगिरी की कहानी। तस्वीरों और सम्पर्क सूत्र के साथ हमें लिख भेजिए अपनी कहानी hindi@thebetterindia.com पर!

संपादन- जी एन झा

यह भी पढ़ें: Grow Microgreens: स्कूल में पढ़ रहीं निशा से सीखें, दूध के पैकेट में माइक्रोग्रीन्स उगाना

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।

Exit mobile version