साल 1998 में आर्मी में भर्ती होने के बाद, खगरिया (बिहार) के जितेंद्र कुमार को पौधे लगाने का ज्यादा समय नहीं मिल पाता था। बावजूद इसके जब भी वह छुट्टियों में घर आते, तब घर पर कई मौसमी फूलों के पौधे लगाकर चले जाया करते थे। इतना ही नहीं घरवालों से फ़ोन पर बात करते हुए भी पौधों का हाल पूछना कभी नहीं भूलते थे।
लेकिन साल 2019 जनवरी में, जब जितेंद्र सेना से रिटायर हुए, तब उन्होंने अपने घर के गार्डन को थोड़ा और सुन्दर बनाने का फैसला किया। इसके लिए उन्होंने अलग-अलग किस्मों और डिज़ाइन के गमले और स्टैंड खुद डिज़ाइन करके बनवाए और पौधों की संख्या भी धीरे-धीरे बढ़ने लगी। आज उनके घर में 500 से ज्यादा सजावटी और फूलों के पौधे लगे हैं।
हालांकि, आर्मी से रिटायर होने के बाद खगरिया के ही एक बैंक में उनकी सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी भी लग गई है। लेकिन बैंक की नौकरी से समय निकालकर वह अपने गार्डन को और सुंदर बनाने के प्रयास में लगे रहते हैं।
द बेटर इंडिया से बात करते हुए वह कहते हैं, “मैं खुश हूँ कि कम से कम अब हर दिन अपने पौधों को देख पाता हूँ। पहले जब मैं आर्मी में था, तब अपने पौधों को महीनों देख नहीं पाता था। उस दौरान भी मैं वीडियो कॉल पर पौधों के हाल-चाल ले लेता था।”
कैसे हुआ गार्डनिंग का शौक
जितेंद्र बताते हैं कि उनके घर में किसी को भी गार्डनिंग में ज्यादा रुचि नहीं हैं। लेकिन उन्हें बचपन से ही पौधों से विशेष लगाव रहा है। उन्हें आज भी याद है, जब वह आठवीं कक्षा में थे, तब उन्होंने पहली बार खुद से पौधा लगाया था। उसके बाद से पौधों से उनकी ऐसी दोस्ती हुई कि आज भी वह दिन के तीन से चार घंटे गार्डन में ही बिताते हैं।
जितेंद्र के घर की छत और नीचे की तरफ पौधे लगाने के लिए अच्छी जगह है। उनके छत पर तक़रीबन 30 मीटर की जगह है, जहां उन्होंने डहेलिया, पेटूनिया, अडेनियम की 50 किस्में, गुलाब सहित 25 से ज्यादा किस्मों के मौसमी फूल लगाए हैं। इसके अलावा, उनके पास एग्लोनीमा की पंद्रह, सिंगोनियम की नौ और फ़र्न के नौ किस्मों सहित कई सजावटी पौधे भी हैं। वह कोशिश करते हैं कि वह हर एक पौधे की तीन या नौ किस्में उगाएं।
जितेंद्र जब ट्रैनिंग के लिए महाराष्ट्र जाते थे, तब वह पुणे की नर्सरी से भी पौधे ले आया करते थे।
उनके घर में फल व सब्जियां नहीं उगतीं, लेकिन इन सजावटी पौधों से उनके घर में हरियाली और खूबसूरती की कमी बिल्कुल नहीं खलती।
सोशल मीडिया पर भी मिला लोगों का प्यार
जितेंद्र सुबह साढ़े नौ बजे ऑफिस के लिए निकलते हैं। इसके पहले सुबह छह बजे से नौ बजे तक का समय वह गार्डन में ही बिताते हैं। इस दौरान, वह पौधों की सेटिंग और उनकी व्यवस्था पर विशेष ध्यान देते हैं। वह रंग और किस्मों के अनुसार पौधों को लगाते हैं, ताकि गार्डन का नज़ारा देखने में सूंदर लगे। इसके साथ ही धूप को ध्यान में रखकर भी वह पौधों की जगह बदलते रहते हैं।
वह शहर के एक गार्डनिंग ग्रुप के सदस्य भी हैं और रविवार के दिन वह गार्डनिंग ग्रुप के सदस्यों से भी मिलते रहते हैं, ताकि गार्डनिंग की नई-नई जानकारियां उन्हें मिलती रहें।
जितेंद्र कहते हैं, “पहले मैं किसी ऑनलाइन गार्डनिंग ग्रुप से नहीं जुड़ा था, लेकिन अपने किसी दोस्त के कहने पर ही मैं फेसबुक के गार्डनिंग ग्रुप से जुड़ा। वहां मैंने अपने गार्डन की कुछ तस्वीरें भी शेयर की हैं। मुझे बड़ी ख़ुशी मिली कि मात्र एक हफ्ते में मेरी गार्डन की फोटो को 17 हजार से ज्यादा लोगों ने पसंद किया और कइयों ने इसकी तारीफ भी की है।”
जितेंद्र मानते हैं कि पौधों के साथ समय बिताने से हम जीवन की सारी परेशानियां भूल जाते हैं और हर इंसान को थोड़े-थोड़े पौधे जरूर उगाने चाहिए। अगर आप अपार्टमेंट में रहते हैं, तो इंडोर प्लांट लगाएं। लेकिन ध्यान दें, उतने ही पौधे लगाने चाहिए जितने पौधों की आप ठीक से देखभाल कर सकें।
आप जितेंद्र के गार्डनिंग के बारे में ज्यादा जानने के लिए उन्हें फेसबुक पर सम्पर्क कर सकते हैं।
हैप्पी गार्डनिंग!
संपादनः अर्चना दुबे
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