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राजस्थान की भीषण गर्मी में भी इनके घर में रहती है ठंडक, वजह है 1500 पौधे

Parul Gardening

कोटा, राजस्थान की रहने वाली पारुल सिंह को सात साल पहले तक गार्डनिंग की कोई जानकारी नहीं थी। न ही वह कोई पौधा उगाती थीं। लेकिन एक बार अपने बेटे के एक सवाल का जवाब देते हुए, उन्हें गार्डनिंग का ऐसा शौक हुआ कि उन्होंने अपने घर में 1500 से ज्यादा पौधे उगा लिए।

बात सात साल पुरानी है, जब कोटा की पारुल सिंह के बड़े बेटे देव ने उनसे छुई-मुई के पौधे के बारे में पूछा। उन्होंने उसे पास की नर्सरी में ले जाकर पौधा दिखाने की सोची। नर्सरी में ढेरों पौधे देखकर, उन्हें इतना अच्छा लगा कि उन्होंने अपने बेटे की पसंद के करीबन 12 पौधे वहां से खरीदें और घर(Home Garden) ले आईं।  

तब उन्हें अंदाजा भी नहीं था कि पौधों से उनकी दोस्ती का यह सफर अब काफी लम्बा चलने वाला है। 

उस समय पारुल किराये के घर में रहती थीं, जहाँ पौधे उगाने के लिए ज्यादा जगह नहीं थी। बावजूद इसके, उन्होंने धीरे-धीरे 12 पौधों को 150 पौधों में बदल दिया।

द बेटर इंडिया से बात करते हुए वह कहती हैं, “पौधे तो मुझे पसंद हमेशा से थे, लेकिन ऐसे गार्डनिंग करने का कोई अनुभव मेरे पास नहीं था। जब हम पहले 12 पौधे लाए, तो घर में इतना अच्छा माहौल बन गया कि हम फिर जाकर कुछ और पौधे ले आएं।”

उनका घर ग्राउंड फ्लोर पर था, जहां पार्किंग की जगह पर उन्होंने कुछ पौधे लगाएं थे, तो कुछ पौधे हैंगिंग पॉट्स में लगे थे। 

Parul Singh At Her Garden
Parul Singh At Her Garden

खुद के घर में आकर बनाया शानदार गार्डन 

पारुल का गार्डन बनाने का सपना तब पूरा हुआ, जब वह छह साल पहले, अपने खुद के घर में रहने आयीं। यहां उनके पास छत भी थी और नीचे के भाग में अच्छी जगह थी। फ़िलहाल उनके पास करीबन 1000 स्क्वायर फ़ीट की छत है। यहाँ उन्होंने कैक्टस की 150 किस्मों के 200 पौधे उगाएं हैं। वहीं वॉटर लिली के 30 और कमल के 10 पौधे लगे हैं,  जिनको उन्होंने टब में उगाया है। इसके अलावा भी, कई वॉटर प्लांट्स उनकी छत पर लगे हैं।  

इसके साथ ही, पारुल को अडेनियम का भी बेहद शौक है। उनके पास करीबन 100 अलग-अलग किस्मों के अडेनियम के पौधे लगे हैं।  इन पौधों को लगाने और देखभाल के बारे में वह इंटरनेट से जानकरियां लेती रहती हैं।  कुछ चीज़ें तो उन्होंने खुद अनुभव से ही सीखी हैं।  

Water Lily In Home Garden
Water Lily In Home Garden

उनके घर की छत पर ज्यादा धूप नहीं आती, इसलिए वह यहां सब्जियां नहीं उगातीं। 

उन्होंने बताया, “कुछ समय पहले मैंने कुछ सब्जियां लगाई थीं, लेकिन मुझे इसमें ज्यादा सफलता नहीं मिली, जिसके बाद मैंने सोचा कि क्यों न उन्हीं पौधों को ज्यादा लगाया जाए, जो  मेरे घर में अच्छे से उगते हैं।”

पारुल की छत पर ज्यादातर एग्जॉटिक पौधे लगें हैं, जिनको वह ऑनलाइन ही मांगती हैं। यानी सिर्फ सजावटी पौधों से ही उन्होंने अपने घर में हरियाली फैला दी है।

हरियाली के साथ पौधों ने फैलाई घर में ठंडक भी 

कोटा, राजस्थान के सबसे गर्म शहरों में से एक है। हाल में यहां तापमान  45 से 47 डिग्री के करीब रहता है, लेकिन पारुल के घर में AC चलाने की बहुत कम जरूरत पड़ती है। यह कमाल है उनके घर में लगे 1500 पौधों का। गार्डनिंग के शौक के कारण घर में हरियाली तो रहती ही है, साथ ही ठंडक भी अच्छी खासी बनी रहती है। 

Parul's Home with Lots Plants
Parul’s Home with Lots Plants

पारुल ने बताया कि उनके पास पड़ोस में सभी दिन में भी बिना AC के नहीं रह सकते, लेकिन उनके घर में AC के बिना भी अच्छा वातावरण रहता है। लेकिन हाँ, इस भीषण गर्मी में पौधों को सुरक्षित रखना एक बहुत बड़ा चुनौती वाला काम है। उन्होंने छत पर पौधों के लिए ग्रीन शेड भी लगवाया है, ताकि पौधे मर न जाएं। 

गार्डनिंग ने दी नई पहचान

पारुल ने माइक्रोबायोलॉजी में एमएससी की पढ़ाई की है, जिसके बाद वह कोटा के एक कॉलेज में पढ़ाती थीं। लेकिन अपनी छोटी बेटी अनन्या के जन्म के बाद, उन्होंने ब्रेक लेने का फैसला किया। इस दौरान, पारुल अपने काम को काफी मिस भी करती थीं।
वह कहती हैं, “घर पर रहकर मैं हमेशा अपने करियर के बारे में सोचती रहती थी। एक समय ऐसा भी आ गया था कि मुझे डिप्रेशन वाली फीलिंग आने लगी थी, लेकिन उसी दौरान मुझे गार्डनिंग का शौक हुआ और मेरे जीवन में कई बदलाव आ गए।”

फ़िलहाल पारुल, कोटा के कई गार्डनिंग ग्रुप्स की मेंबर हैं और शहर में होने वाले कई फ्लावर शो का हिस्सा भी बनती हैं। वहीं वह ऑनलाइन भी गार्डनिंग क्राफ्ट प्रतियोगिता में भाग लेती रहती हैं और कई ईनाम भी जीतती हैं। 

इस तरह, गार्डनिंग ने उन्हें एक नई पहचान दी है। गार्डनिंग के उनके इस शौक में उनके पति डॉ. अनिमेष सिंह चौहान भी उनका पूरा साथ देते हैं। उनके बच्चों को भी पौधों के प्रति काफी लगाव है।

पारुल ने बताया, “मेरी गार्डनिंग की शुरुआत, मेरे बच्चों के साथ ही हुई थी, इसलिए मेरे बच्चे भी मेरी गार्डनिंग का हिस्सा बन गए हैं। स्कूल में जब वे अलग-अलग पौधों की किस्मों का नाम बताते हैं, तो उनके टीचर भी आश्चर्य करते हैं।”

गार्डनिंग को अपने जीवन का अटूट हिस्सा मानने वाली पारुल को, पौधों से अपने बच्चों जैसा ही प्यार है और वह लोगों को पौधे लगाने की सलाह देती हैं।  

आशा है आप भी उनकी कहानी से प्रेरित होकर कुछ पौधे जरूर लगाएंगे। 

हैप्पी गार्डनिंग!

संपादन- मानबी कटोच

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