Site icon The Better India – Hindi

Growing Ash Gourd: घर की छत पर लगाएं स्वास्थ्य के लिए गुणकारी सफेद पेठा

Growing Ash Gourd

सफेद पेठा या सफेद कद्दू हमारे देश के हर हिस्से में अलग-अलग तरीके से खाया जाता है। कुछ लोग इसकी सब्जी खाना पसंद करते हैं, तो कुछ लोग इसका मीठा पकवान। अगर बात स्वास्थ्य की करें तो हेल्दी फूड्स में सफेद पेठे का नाम भी आता है। स्वस्थ रहने के लिए हमें अपनी डाइट को मेंटेन करना काफी आवश्यक है। हमें अपनी डाइट में कुछ ऐसे पदार्थ शामिल करना चाहिए जो पोषण और विटामिन की मात्रा से भरपूर हों। सफेद पेठा भी इन गुणों का धनी है।

सफेद पेठा बाहर से हरा और अंदर से सफेद होता है और इसे कई अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जैसे एश गॉर्ड, विंटर मेलन या वैक्स गॉर्ड। दरअसल, बेल पर लगने वाला सफेद पेठा जब पक जाता है तो इसके ऊपर एक सफेद पाउडर की परत जम जाती है जो कई बार दिखने में वैक्स जैसी भी लगती है। इसलिए इसे एश या वैक्स गॉर्ड जैसे नाम मिले हैं। 

भारत के अलावा, इसे चीन में भी काफी प्रयोग में लिया जाता है। सफ़ेद पेठे को आप सामान्य सब्जी के रूप में या इससे जूस, मिठाई और नमकीन जैसे उत्पाद भी बनाकर सेवन कर सकते हैं। हरियाणा के सिरसा से डायटीशियन रचना अग्रवाल बताती हैं कि सफेद पेठा खाना स्वास्थ्य के लिए भी गुणकारी होता है। खासकर कि अगर आप वजन घटाने के लिए मेहनत कर रहे हैं तो इसे अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। हालांकि, लोगों को ज्यादातर इससे बनने वाली मिठाई ‘पेठा’ के बारे में पता है। लेकिन इसे सब्जी या जूस के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। 

इसमें पानी की मात्रा ज्यादा होती है और कैलोरी, फैट और कार्ब्स कम होते हैं। जिस कारण यह फिटनेस में काफी मददगार है। रचना बताती हैं कि इसमें फाइबर की भी कुछ मात्रा होती है जो पाचन क्रिया को अच्छा रखने में मदद करता है। जो वजन कम करने के लिए अच्छा है। साथ ही, सफेद पेठे में विटामिन बी और सी के अलावा जिंक, आयरन, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्व भी होते हैं। सफेद पेठे में मूत्रल (Diuretic) और रेचक (Laxative) गुण होते हैं, जिस कारण यह कई तरह की बिमारियों से शरीर को बचाता है। 

Diuretic का मतलब ऐसी चीजों या दवाई से है, जो उन सभी पदार्थों को कहते हैं जो मूत्र के अधिक निर्माण में सहायक होते हैं। अगर किसी को हाई ब्लड प्रेशर है तो उसे Diuretic दिए जाते हैं ताकि उनका ब्लड प्रेशर सामान्य हो सके। इस तरह से अगर कोई हाई ब्लड प्रेशर से परेशान है तो वे डॉक्टर की सलाह पर सफेद पेठा अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। वहीं, Laxative ऐसे पदार्थ होते हैं जो कॉन्स्टिपेशन (पेट में ऐंठन) से राहत देते हैं। आपका पेट साफ़ रहे इसके लिए भी आप नियमित रूप से सफ़ेद पेठा अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। 

हालांकि, सलाह यही दी जाती है कि कोई भी चीज अपनी डाइट में शामिल करने से पहले आप किसी डायटीशियन से परामर्श ले लें। और अगर आप सामान्य तौर पर सफेद पेठा खाना चाहते हैं तो कोशिश करें कि जैविक सफेद पेठा ही खाएं। क्योंकि खेती में इस्तेमाल होने वाले कीटनाशकों के कारण स्वास्थ्य के लिए अच्छी मानी जाने वाली हरी सब्जियां भी कई बार नुकसान कर जाती हैं। इसलिए बेंगलुरु में रहने वाली प्रतिमा अदीगा चार सालों से अपने घर की छत पर ही सफ़ेद पेठा जैसी गुणकारी सब्जियां उगा रही हैं। 

Prathima Growing Ash Gourd

घर में उगाएं सफेद पेठा 

प्रतिमा बताती हैं कि आप घर की छत पर गमलों, ग्रो बैग या प्लास्टिक की पुरानी बाल्टियों में भी बहुत अच्छे से सफ़ेद पेठा उगा सकते हैं। अगर सही समय पर, सही देखभाल के साथ इन्हें उगाया जाए तो आपको अच्छा उत्पादन मिलेगा। साथ ही, इन्हें आप कुछ समय तक स्टोर भी कर सकते हैं। घर पर आप बिना किसी रसायन के प्रयोग से सिर्फ जैविक चीजों का इस्तेमाल करते हुए सफ़ेद पेठा उगा सकते हैं। इसके लिए, सबसे पहले आपको अच्छी गुणवत्ता के बीज इकट्ठा करने होंगे। आप चाहें तो बाजार से लाए सफ़ेद पेठे के बीज भी स्टोर करके इस्तेमाल कर सकते हैं। 

किसी बीज भंडार या ऑनलाइन भी आप इसके बीज खरीद सकते हैं। सफेद पेठा बेल पर लगता है और इसलिए आपको इसे बड़े आकार के गमले या बड़े आकर के ग्रो बैग में लगाना चाहिए ताकि बेल की जड़ों को विकसित होने के लिए अच्छी जगह मिले। जड़ें जितनी अच्छे से विकसित होंगी, उतना ही अच्छे से आपकी बेल विकसित होगी और अच्छे फल इस पर आएंगे। प्रतिमा कहती हैं कि सफ़ेद पेठा के बीज आप जनवरी-फरवरी के महीने या जून-जुलाई के महीनों में लगा सकते हैं। बीजों को सबसे पहले आप 10-12 घंटों के लिए भिगोकर रख दें। इसके बाद इन्हें बोयें। 

बड़े गमले या ग्रो बैग में पौधे लगाने से पहले चेक कर लें कि इनका ड्रेनेज सिस्टम अच्छा है ताकि पानी ठहरे नहीं। अब आप सामान्य मिट्टी में कोकोपीट, गोबर की खाद और केंचुआ खाद बराबर मात्रा में मिलाकर भर लें। 

खाद के लिए आप गमले में केंचुआ खाद मिला सकते हैं या बीच-बीच में सरसों की खली का पानी, प्याज के छिलकों का पानी, केले के छिलकों का पानी भी पौधों को दे सकते हैं। इसके अलावा, कीटों से पौधों को बचाने के लिए महीने में दो बार नीम के तेल को पानी में मिलाकर स्प्रे भी कर सकते हैं। लेकिन कीट प्रतिरोधक का स्प्रे हमेशा शाम के समय करना चाहिए। 

प्रतिमा कहती हैं कि आप बेल लगाने के लिए पुरानी बाल्टियों या टब का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। गर्मी के मौसम में, जब धूप ज्यादा तेज पड़ती है तो आपको पौधों के ऊपर शेडनेट लगाना चाहिए ताकि ये खराब न हो जाएं।

हैप्पी गार्डनिंग। 

संपादन- जी एन झा

कवर फोटो

यह भी पढ़ें: घर है या खेत? बारिश का पानी सहेजकर, घर पर उगाते हैं 30 तरह के फल-सब्जियां

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।

Exit mobile version