Site icon The Better India – Hindi

न छत न गार्डन, घर के चारों ओर की जगह का इस्तेमाल करके उगा रही हैं 50 से ज़्यादा सब्जियां

Kerala gardening

शहरों में सबसे बड़ी दिक्कत होती है कम जगह में गार्डनिंग करना, लेकिन थ्रिक्काकारा (केरल) की रहनेवाली मिनी श्रीकुमार के लिए यह दिक्कत कभी भी उनके शौक़ के आड़े नहीं आई। जगह की कमी के कारण, वह अपने पांच फ़ीट के घर के आस-पास के भाग में पौधे उगाती हैं। हमेशा से गार्डनिंग की शौक़ीन रहीं मिनी का घर 600 स्क्वायर फ़ीट का एक तीन मंजिला मकान है।  

द बेटर इंडिया से बात करते हुए वह कहती हैं, “ज़रूरी नहीं कि गार्डनिंग करने या पौधे उगाने के लिए आपकी अपनी खुद की जगह या गार्डन ही हो। आप सब्जियां या सजावटी पौधे घर के बाहर या चारों ओर की जगह पर भी उगा सकते हैं। जैसा कि मैंने किया है।”

50 वर्षीया मिनी के पास टेरेस गार्डन बनाने की जगह भी नहीं है, क्योंकि उनके घर की तीसरी मंजिल की छत पक्की नहीं है, बल्कि वहां शीट लगी हुई है। इसलिए उन्होंने घर के चारों ओर की जगह पर पौधे उगाना शुरू किया और इस तरह आज वह 50 से अधिक तरह की सब्जियां उगा रही हैं।  

पिता से मिला गार्डनिंग का शौक़ 

घर के चारो ओर बना गार्डन

मिनी, अल्लेप्पी के कायमकुलम में पली-बढ़ी हैं। उनके पिता, एक सरकारी कर्मचारी थे और समय मिलने पर वह गार्डनिंग किया करते थे। बचपन में उन्हें देखकर ही मिनी ने गार्डनिंग में रुचि लेना शुरू किया था। पिता के निधन के बाद, मिनी और उनका परिवार जिस भी किराये के मकान में रहे, वहां वह गमलों में कुछ न कुछ पौधे उगाती रहती थीं। 

लेकिन शादी के बाद, जब वह एर्नाकुलम के थ्रीक्काकारा में अपने पति के घर में रहने लगीं, तब गार्डनिंग करने में ढेरों दिक्क़तें आती थीं, क्योंकि यहां घर में पौधे लगाने की बिल्कुल जगह नहीं थी।  

बावजूद इसके, वह हमेशा अपने घर के आसपास कुछ-कुछ पौधे लगाती ही रहती थीं। लेकिन दो साल पहले, लॉकडाउन ने उन्हें सब्जियां उगाने के लिए प्रेरित किया और मिनी ने घर के चारों ओर ग्रो बैग्स और गमलों में ढेरों सब्जियां उगाना शुरू कर दिया।  

सोशल मीडिया से मिली गार्डनिंग की जानकारी 

मिनी श्रीकुमार

लॉकडाउन के दौरान ही मिनी को सोशल मीडिया से गार्डनिंग के ग्रुप्स की जानकारी भी मिली। वह बताती हैं, “ऑनलाइन अलग-अलग ग्रुप से जुड़कर मुझे पेड़-पौधों से जुड़े टिप्स और ट्रिक्स मिलने लगे, जो मुझे काफी मदद करते हैं।”

आपको उनके घर के चारों और प्लास्टिक के डिब्बे, टीन और ग्रो बैग्स में पौधे उगे दिख जाएंगे। उन्होंने कुछ पौधे घर की सीढ़ियों पर भी लगाए हैं। वह धूप के हिसाब से इन पौधों की जगह बदलती रहती हैं।  

इसी तरह वह टमाटर, बैंगन, भिंडी, मिर्च, करेला, पालक, मोरिंगा और बहुत कुछ उगाती हैं। छोटे पौधों के साथ ही उन्होंने कटहल, आम, अमरूद, पपीता और बेर जैसे कुछ फलों के पेड़ भी लगाए हैं।

वह बताती हैं, “मैं आलू और प्याज़ को छोड़कर अपनी रसोई में उपयोग की जाने वाली सभी सब्जियां खुद ही उगाती हूं। हफ्ते के ज़्यादातर दिन हमें अपने बगीचे से ही ज़रूरत की सब्जियां मिल जाती हैं। यह सबकुछ लॉकडाउन के दौरान ही शुरू हुआ है।”

बिना गार्डन, कम जगह में गार्डनिंग कर उगा रहीं मसाले भी

तरह-तरह की सब्जियों के अलावा, वह गमलों में ही हल्दी, काली मिर्च और अदरक जैसे कुछ मसाले भी उगाती हैं। उन्होंने बताया, “मैं लंबे समय से काली मिर्च उगा रही हूं। साल में कम से कम दो या तीन बार मुझे घर की उगी आधा किलो काली मिर्च आराम से मिल जाती है।”

जैविक तरीके से सब्जियां उगाने के लिए जगह के साथ-साथ अच्छी मिट्टी मिलना भी एक बड़ी समस्या है। आज हमारे घर के आस-पास की जगह कंक्रीट के जंगलों से भरी हुई है। ऐसे में मिनी जहां भी कंस्ट्रक्शन हो रहा होता है, वहां से खुदाई में निकली मिट्टी लेकर आती हैं। लेकिन पौधे उगाने से पहले वह उस मिट्टी को जैविक खाद डालकर तैयार करती हैं।  

इतना ही नहीं वह अपने किचन से निकलने वाले गीले कचरे से बने कंपोस्ट और गोबर की खाद का इस्तेमाल भी नियमित रूप से करती हैं। 

अंत में मिनी मुस्कुराते हुए कहती हैं, “इतनी कम जगह में अगर मैं जैविक सब्जियां उगा सकती हूँ, तो जिन लोगों के पास बालकनी या टेरेस गार्डन है, वे लोग तो और भी बहुत कुछ उगा सकते हैं।”

आशा है आपको मिनी से पौधे उगाने की प्रेरणा मिली होगी। अगर आप भी ऐसा ही कुछ करते हैं, तो अपने गार्डन के बारे में हमें ज़रूर बताएं। 

हैप्पी गार्डनिंग! 

यह भी पढ़ेंः 18 किस्मों के फल, एक तालाब और फूलों की वादी दिखती है पटना के इस टेरेस गार्डन में

Exit mobile version