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चार महीने में की 14686 किमी बाइक ट्रिप, यात्रा ने बदल दी बिहार के बारे में सोच

Praveen Bike Trip

“शौक को पूरा करो, जिंदगी तो एक दिन खुद ही पूरी हो जाएगी!”

लेकिन आजकल की भागती-दौड़ती दुनिया में अपने शौक को पूरा करने के लिए समय किसके पास है। ऑफिस में काम करता इंसान हो या घर चलाती गृहिणी, सभी अपने-अपने काम में इतने मसरूफ रहते हैं कि दो दिन की छुट्टी पर जाने के लिए भी सोचना पड़ता है। ऐसे में घूमने-फिरने के शौकिन लोगों को मन मारकर जीना पड़ता है।

लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो जीवन को डर के साथ नहीं, बल्कि हौसले के साथ जीते हैं और सिर्फ अपने मन की सुनते हैं। ऐसे ही एक शख़्स हैं ठाणे में रहने वाले प्रवीण हसोलकर। उन्होंने अपने घूमने के शौक को पूरा करने के लिए जून 2021 में नौकरी छोड़ दी थी। 

प्रवीण ने 2008 में मास्टर्स करने के बाद एकाउंटिंग का काम करना शुरू किया। चूंकि उन्हें घूमने का शौक था, इसलिए उन्होंने कुछ समय बाद ट्रेवल कंपनी में काम करना शुरू किया।

प्रवीण ने द बेटर इंडिया को बताया, “ट्रेवल कंपनी में काम करने का फैसला मैंने इसलिए लिया ताकि देश और दुनिया की सैर कर सकूं। लेकिन वहां भी छुट्टी की दिक्कत आती थी और मैं ज्यादा घूम नहीं पाता था। फिर मैं वापस एकाउंटिंग का काम करने लगा। कुछ साल मैंने बेंगलुरु में भी काम किया। पिछले साल लॉकडाउन के दौरान मैं बेंगलुरु में ही था।” 

Praveen Hasolkar

इस बार निकले लंबी यात्रा पर

फ़िलहाल प्रवीण ठाणे में अपने दो भाइयों और माँ के साथ रहते हैं। जब वह इस साल घर आए और अपने घरवालों को नौकरी छोड़कर अपनी योजना के बारे में बताया तब उनके परिवार वालों को ज्यादा आश्चर्य नहीं हुआ। वह बताते हैं, “मैं अक्सर टाइम मिलने पर छोटी-छोटी यात्रा करता रहता था। मेरे घूमने के शौक के बारे में भी सभी जानते हैं। इसलिए उन्होंने मेरा सपोर्ट किया।”

प्रवीण जब बेंगलुरू से ठाणे अपने घर आए तब बारिश का मौसम शुरू हो गया था। लेकिन उन्होंने ज्यादा इंतजार किए बिना ही नार्थ ईस्ट के सभी राज्य घूमने की योजना बनाई। उन्होंने कोई ज्यादा तैयारी नहीं की थी, बस अपनी यात्रा का रूटप्लान तैयार किया। 

प्रवीण ने 16 अगस्त 2021 में अपनी Hero Honda CBZ Xtreme बाइक उठाई और  निकल पड़े एक लम्बे सफर पर। सबसे पहले वह एक हजार से ज्यादा किमी की यात्रा करके मुंबई से ग्वालियर पहुंचे थे। वहीं बाकि के दिनों में वह लगभग 140 किमी प्रतिदिन बाइक चलाते थे। 

यात्रा के दौरान प्रवीण अपने पास एक छोटा बैग रखते थे। जिसमें उन्होंने दो शर्ट, दो पेंट, ठंड के लिए दो जैकेट, एक चादर, अपने जरूरी दस्तावेज और बाकि जरूरी सामान रखा था। बाइक चलाते समय वह बैग उनके कंधे पर ही रहता था। इस पूरी यात्रा में उन्होंने कहीं भी रुकने के लिए होटल की बुकिंग नहीं की थी। वह कहते हैं, “मुझे कभी पता नहीं होता था कि अगले दिन मैं कहां रहूंगा। इसलिए दिन में जिस भी गांव या शहर में रहता, रात के समय वहीं रुकने का इंतजाम कर लेता। मैंने कभी भी होटल के कमरे के लिए 600 रुपये से ज्यादा खर्च नहीं किए।”

प्रवीण ने अबतक अपनी 106 दिनों यात्रा में एक लाख 10 हजार रुपये खर्च किए हैं।    

बिहार की यात्रा का अनुभव अनोखा था 

At Dashrath Manjhi Dwar

प्रवीण नार्थ ईस्ट में प्रवेश करने से पहले मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, झारखंड और बंगाल से भी गुजरे। मुंबई में पले-पढ़े होने के कारण वह पहली बार इन राज्यों में घूम रहे थे।  उन्हें विशेषकर बिहार इतना अच्छा लगा कि उन्होंने रुककर वहां की संस्कृति और लोगों के बारे में जानने का मन बनाया। वह पटना में तीन दिन रुके फिर बोध गया, राजगीर, पूर्णिया और दशरथ मांझी के गांव गहलौर भी गए। 

वह कहते हैं, “दशरथ मांझी की फिल्म देखने के बाद, मैं उनकी बनाई सड़क देखना चाहता था। इसलिए मैं वहां भी गया, उनके गांव में दशरथ मांझी का मंदिर भी बना है।”

बिहार की जो छवि उनके मन में बनी थी, इस यात्रा के बाद वह पूरी तरह से बदल गई। वहां के लोग तो उन्हें काफी मिलनसार लगे, लेकिन बिहार की सड़कों ने उन्हें बहुत परेशान किया। वह कहते हैं, “यदि बिहार में सड़कों की हालत में सुधार होगा तो पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। वहां सड़कों की स्थिति ठीक करने की जरूरत है।” इस बाइक ट्रिप में वह सात दिनों के लिए बिहार से होते हुए नेपाल भी गए थे। 

नार्थ ईस्ट के आठ राज्यों का सफर 

Praveen at Lachung

प्रवीण ने बारिश के मौसम में यात्रा करना शुरू किया था। जब वह असम पहुंचे तब वहां बहुत बारिश हो रही थी। चूंकि उनके पास एक रेनकोट था और वह बाइक चलाते समय हमेशा उसे पहने ही रखते थे। वह कहते हैं, “ज्यादातर समय मैंने रेनकोट ही पहना था इसलिए वह धूल और बारिश के वजह से इतना गन्दा हो गया था कि कई लोग होटल में मुझे अजीब नज़र से देखते थे। बाद में मुझे उन्हें समझाना पड़ता था कि मैं इस तरह की एक बाइक ट्रिप पर हूं।”

नार्थ ईस्ट में वह दूर-दराज के गांव में भी घूमे। वहां उन्हें स्थानीय भाषा की दिक्क्त आती थी। उन्होंने म्यांमार-भारत बॉर्डर,  भारत-चीन बॉर्डर और अरुणाचल प्रदेश स्थित सेला पास भी देखा। इसके अलावा प्रवीण मेघालय, दीमापुर, असम के प्रसिद्ध माजुली द्वीप भी गए। अरुणाचल प्रदेश की यात्रा के दौरान वह Thembang गांव में एक परिवार के साथ रुके थे। वहां उन्होंने लोकल डिश का स्वाद भी चखा। उस परिवार के सभी लोग अब उनके अच्छे दोस्त बन गए हैं। 

यात्रा के दौरान सोशल मीडिया का इस्तेमाल 

प्रवीण अपनी यात्रा के बारे में लोगों को बताने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं। उन्होंने शुरुआत में अपने अनुभवों को बांटने के लिए फेसबुक पर पोस्ट करना शुरू किया। लेकिन लोगों की प्रतिक्रिया देखने के बाद उन्होंने और ज्यादा जानकारी पोस्ट करना शुरू कर दिया। 

फेसबुक पर कई लोग उन्हें यात्रा में होने वाले खर्च या नौकरी से जुड़े सवाल पूछते हैं। इसके बारे में प्रवीण कहते हैं, ” जब भी कोई नौकरी छोड़कर घूमने के बारे में सवाल करता है तो मैं यही सलाह देता हूं कि हर कोई ऐसा न करे। मैं शौक के लिए नौकरी छोड़ने की वकालत नहीं करता हूं। जहां तक मेरी बात है तो मेरे पास 13 साल काम करने का अनुभव है, इसलिए मुझे यकीन है कि मुझे समय मिलने पर एक अच्छी नौकरी जरूर मिल जाएगी। इसी भरोसे के साथ मैंने अपने शौक के लिए समय निकालने का फैसला किया।”

Thembang Vilaage

प्रवीण की यात्रा अभी ख़त्म नहीं हुई है। फिलहाल वह अपनी यात्रा से ब्रेक लेकर ठाणे लौट आए हैं। वह जल्द ही छत्तीसगढ़ और ओडिशा की यात्रा पर निकलेंगे। इस ट्रिप में वह इन राज्यों की स्थानीय संस्कृति और कला से संबंधित वीडियो बनाएंगे। 

प्रवीण की बाइक ट्रिप के बारे में ज्यादा जानने के लिए आप उनसे फेसबुक पर जुड़ सकते हैं।  

संपादन- जी एन झा

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