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तीन दशको बाद भारतीय वायुसेना में शामिल हुआ देश में निर्मित ‘तेजस’ !

'तेजस' स्वदेश-निर्मित लड़ाकू विमान है। दुनिया के कुछ ही देश हैं जो खुद लड़ाकू विमान बनाते हैं। इसका निर्माण एयरोलॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) और हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने मिलकर किया है।

तीन दशक के लंबे इंतजार के बाद ‘तेजस’ को आखिरकार वायुसेना में शामिल कर लिया गया है । बंगलुरू में एक कार्यक्रम में लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LAC) तेजस को भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया।

‘तेजस’ स्वदेश-निर्मित लड़ाकू विमान है। दुनिया के कुछ ही देश हैं जो खुद लड़ाकू विमान बनाते हैं। इसका निर्माण एयरोलॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) और हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने मिलकर किया है।

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तेजस 50 हजार फीट तक उड़ान भर सकता है।

इसमें इज़रायली मल्टी मोड रडार एल्टा 2032 डर्बी मिसाइल लगी है, जिससे यह हवा से हवा में हमला कर सकता है।

जमीन पर मार करने के लिए इसमें आधुनिक लेजर गाइडेड बम लगे हुए हैं।

तेजस फोर्थ जनरेशन, लाइटवेट मल्टीरोल सुपरसोनिक सिंगल इंजन एयरक्राफ्ट है।

2011 से अब तक तेजस की लगभग 3100 टेस्ट फ्लाइट ली जा चुकी है। इनमें से एक भी बार ये किसी प्रकार की दुर्घटना का शिकार नहीं हुआ है। ये तेजस की बड़ी उप्लब्धि मानी जाएगी।

इसकी ताकत मिग 21 से कहीं ज्यादा है।इसकी क्षमताओ के कारण इसकी तुलना मिराज 2000 से की जा सकती है।

इतनी देर होने के कारण लगने लगा था कि ‘तेजस’ एक सपना मात्र रह जाएगा। कुछ विशेषज्ञों का ये भी कहना था कि जब तक तेजस वायुसेना में शामिल होगा तब तक यह तकनीक बहुत पुरानी हो चुकी होगी।

HAL ने तेजस के वायुसेना में शामिल होने में देरी की वजह बताया कि इसको बनाने के दौरान कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा। कई बार इसको बनाने के उद्देश्य में ही बदलाव कर दिया जाता था। 1998 पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद अमेरीकी प्रतिबंधों के कारण कई जरूरी तकनीक हाथ से निकल गईं थी।

‘तेजस’ के फ्लाइंग ड्रैगर स्क्वाड्रन में शामिल होने से भारतीय वायुसेना की ताकत कई गुना बढ़ गई है।

 

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