कभी IIT में नहीं मिली थी सीट, आज खुद का चैनल शुरू कर 20 से ज्यादा लोगों को दिया रोजगार

Slok started tech burner YouTube Channel

IIT में एडमिशन नहीं मिलना श्लोक के लिए गेम चेंजर साबित हुआ। उन्होंने सारा ध्यान अपने यूट्यूब चैनल 'टेक बर्नर' पर लगा दिया। आज उनके 60 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर हैं।

25 साल के श्लोक श्रीवास्तव का ‘टेक बर्नर’ नाम से अपना यूट्यूब चैनल है। बड़े ही मजेदार अंदाज में वह अपने दर्शकों को नई टेक्नोलॉजी से जुड़ी जानकारी देते हैं। लैपटॉप, मोबाइल फ़ोन और कंप्यूटर आदी गैजेट्स का रिव्यू करते हैं। उनके 6.36 मिलियन व्यूवर्स हैं। कभी उन्हें आईआईटी में एडमिशन नहीं मिल पाया था, जिसका उन्हें कोई मलाल नहीं है। आज वह अपने आप को ज्यादा फ्री महसूस करते हैं। श्लोक, अपने चैनल के जरिए वह सब कुछ कर पा रहे हैं, जो करना चाहते थे। लोगों की आशाओं या अपेक्षाओं से परे, अपनी पसंद का काम कर उन्होंने पैसा और शोहरत दोनों कमाई है। 

असफलता आपको उतना नहीं तोड़ती, जितना लोगों की बातें आपको तोड़ देती हैं“ 

श्लोक, द बेटर इंडिया से बात करते हुए कहते हैं, “एक मिडिल क्लास घर की कहानी कुछ यूं शुरू होती है। बच्चा अगर पढ़ने में अच्छा है, तो साइंस दिला दो। साइंस लेने के बाद शुरू हो जाती है आईआईटी में एडमिशन की एक लंबी दौड़। आप कितने अच्छे स्टूडेंट हैं यह आपकी रैंक तय करती है। मैंने भी यह दौड़ लगाई थी। स्कूल, कोचिंग और जेईई एडवांस क्लियर करने का मानसिक तनाव मैंने भी झेला। हालांकि मेरे माता-पिता ने कभी मुझ पर दबाव नहीं डाला। लेकिन साइंस पढ़ने और कोचिंग जाने वाले छात्रों का आपस में इतना कंप्टीशन होता है कि वे इसके अलावा कुछ सोच ही नहीं पाते।”

Shlok Srivastava, aka Tech Burner: His YouTube channel has become an internet senseation
Shlok Srivastava

वह आगे कहते हैं, “खासकर कोचिंग सेंटर जाने वाले छात्र एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में लगे रहते हैं, जिससे बचना मुश्किल है। इस स्थिति को बदतर बनाने के लिए आपके रिश्तेदार, दोस्त और परिवार के बाकी सदस्य हाथ बांधे खड़े रहते हैं। जब आप असफल होते हैं, तो आपके लिए बहुत मुश्किल हो जाता है। दरअसल, आपकी असफलता आपको इतना नहीं तोड़ती जितना लोगों को आपको देखने का नजरिया तोड़ देता है।“ 

फिर जाना, असल जिंदगी कोचिंग सेंटर जैसी तो बिल्कुल नहीं

श्लोक ने कहा कि इससे पहले उन्होंने कभी असफलता का सामना नहीं किया था, वह एक अच्छे स्टूडेंट थे। आईआईटी में जाने की उम्मीदें इतनी अधिक थीं कि उन्हें लगने लगा कि यही उनकी नियति है। लेकिन जब असफल हुए तो सबकी उम्मीदें टूट गईं। वह एक ऐसा झटका था, जिससे उबरने में श्लोक को तीन महीने से ज्यादा का समय लगा। 

उन्होंने कहा, “जेईई के नतीजे आने के तीन महीने बाद तक मुझे यही लगता रहा कि अब शायद ही मैं कुछ कर पाऊंगा। फिर मैंने सोचना शुरू किया कि क्या मैं सच में फेल हो गया हूं, मैं अपने जीवन से क्या चाहता हूं और मेरा लक्ष्य क्या है? मैं अपना आंकलन कर रहा था।”

श्लोक बताते हैं, “फिर मैंने जाना कि जिंदगी कोचिंग सेंटर जैसी नहीं है। जहां बगल में बैठा आपका साथी आपको सवालों के सही जवाब नहीं देगा। असल जिंदगी इससे कहीं अलग है। आप मदद मांग सकते हैं, बहुत से लोग आपकी मदद करने के लिए तैयार रहते हैं। मैंने कई सफल लोगों के बारे में भी शोध किया। तब जाना कि बड़ी से बड़ी हस्तियों को भी असफलता का स्वाद चखना पड़ा था। जीवन में असली विजेता वह नहीं होता, जो जीत गया बल्कि वह होता है जो रुका नहीं। मेरा दिमाग कहता था कि मैं विनर हूं। अब चाहे कोई माने या ना माने।”

कॉलेज से शुरु किया चैनल

बाद में श्लोक ने साल 2014 में एसआरएम यूनिवर्सिटी, चेन्नई में दाखिला ले लिया। अब उन्हें नए सिरे से शुरुआत करनी थी। यहां किसी तरह का कोई दबाव नहीं था। अब वह कॉलेज में अलग-अलग चीजें करने लगे थे। डिजाइनिंग की, थिएटर किया और हां, यूट्यूब पर वीडियो बनाना भी उन्होंने यहीं शुरु किया था। अब वह लोगों की अपेक्षाओं और उम्मीदों के दबाव से दूर एक खुली जिंदगी जी रहे थे। 

उनका यूट्यूब चैनल ‘टेक बर्नर’ भारत में सबसे अधिक देखे जाने वाले टेक चैनलों में से एक है। उनके हर एक वीडियो को औसतन 10 से 20 लाख बार देखा जाता है। श्लोक ने साल 2014 में मार्केटिंग इंडस्ट्री से प्रभावित होकर इस क्षेत्र में अपने कदम बढ़ाए थे। उस समय यह इतनी उछाल पर नहीं था। उनके लिए तो यह बस दर्शकों को जानकारी देने वाला कंटेंट था। ऐसे कंटेंट जो ब्रांड को लोगों से जोड़ता है। ऐसा कर पाना किसी भी तरह के विज्ञापन से संभव नहीं था।

मजाकिया अंदाज बना चैनल की पहचान

श्लोक की वीडियो बनाने की अपनी एक खास शैली है। वह बड़े ही मजाकिया अंदाज में अंग्रेजी भाषा के साथ हिंदी में अपनी बात रखते हैं। वह दर्शकों का मनोरंजन करते हुए उन्हें लैपटॉप, मोबाइल फ़ोन और कंप्यूटर आदि गैजेट्स का रिव्यू देते हैं। अपने हाउ टू ट्यूटोरियल में वह दूसरे उत्पादों के साथ तुलना करते हैं। कौन सा गैजेट किससे ज्यादा बेहतर है, क्यों बेहतर है और उसकी क्या खासियत है। लाइफ हैक्स ने उनके यूट्यूब चैनल को टेक्नोलॉजी से जुड़ी चीजों के लिए वन-स्टॉप-शॉप बना दिया है। 

श्लोक का यह चैनल हर महीने 5 करोड़ दर्शकों तक अपनी पहुंच बनाता है। उन्होंने अपने चैनल की लोकप्रियता को भुनाते हुए ‘बर्नर मीडिया’ नाम के एक अन्य उद्यम से दो अलग-अलग वेबसाइट (techburner.in व burnerbits.com) और पांच ऑनलाइन एप्लीकेशन लॉन्च किए हैं।

आज उनकी ये दोनों वेबसाइट्स और ऐप्स भी टेक बर्नर चैनल की तरह ही विज्ञापन के जरिए अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं। इस बीच, उन्होंने हाल ही में ओवरले नाम की एक ‘प्रीमियर वैल्यू क्लोदिंग लाइन’ लॉन्च की है। आज श्लोक ने लगभग 20 लोगों को फुल टाइम जॉब दी हुई है और 10 लोग उनके साथ बतौर फ्रीलांसर जुड़े हुए हैं।

पिता के लैपटॉप पर बनाया था पहला वीडियो 

टेक बर्नर चैनल शुरु करने से पहले श्लोक सिर्फ 11वीं क्लास के एक ऐसे बच्चे थे, जिसे बहुत कुछ जानने और सीखने की ललक थी। उस समय वह शौकिया तौर पर वीडियो बना रहे थे। ना तो उनके पास खुद का अपना मोबाइल फ़ोन था और न ही कोई लैपटॉप। नए गैजेट्स तो बहुत दूर की बात थी। 

वह याद करते हुए बताते हैं, ”मैंने पहला वीडियो अपने पिता के लैपटॉप पर बनाया था। टेक बर्नर की शुरुआत कॉलेज के दिनों में की थी। मैंने एसआरएम में 4 साल तक पढ़ाई की और वहां रहते हुए अपना यूट्यूब चैनल चलाता रहा। उस समय मेरे तकरीबन 5000 सब्सक्राइबर्स थे।” कॉलेज से पासआउट होने के बाद उनके सामने नौकरी का ऑफर आया। उन्होंने रिस्क लेकर नौकरी न करने का फैसला कर लिया था।

वह सारा समय अपने यूट्यूब चैनल को देना चाहते थे। हालांकि तब उन्हें चैनल से सिर्फ दो हजार रुपये की आमदनी हो रही थी। नौकरी न करने के उनके फैसले से घरवाले बिल्कुल भी खुश नहीं थे। उन्होंने बताया, “मै जो करना चाहता था उसे लेकर मेरे मन में कोई संदेह नहीं था। मुझे पता था कि यह काम करेगा। फिर मैंने कैमरे के सामने बोलने और यूट्यूब पर अच्छी वीडियो बनाना सीखा। बहुत सारे यूट्यूबर्स या अन्य इन्फ्लुएंसर्स के लिए एक वायरल मोमेंट आता है। लेकिन उस समय तक मेरे पास ऐसा कोई वायरल वीडियो नहीं था, जो मेरे यूट्यूब चैनल को अलग ही ऊंचाइयों पर पहुंचा दें।”

समय के साथ बदला कंटेट

यू ट्यूब पर उनके शुरुआती वीडियोज़ में बहुत सी विशिष्ट तकनीकी समस्याएं थीं। जैसे अपने MotoG स्मार्टफोन में लॉलीपॉप कैलेंडर कैसे इंस्टॉल करें। यह एक खास फ़ोन के छोटे से फीचर को लेकर बनाया गया वीडियो था। ऐसे विडियो ज्यादा काम नहीं करते। मतलब साफ है जिनके पास यह फोन होगा और वह लॉलीपॉप कैलेंडर डालना चाहेगा, तो वही इस वीडियो को देखेगा। बाकी को इससे क्या मतलब। इस वीडियो को सिर्फ एक- दो हजार व्यूज मिले थे। श्लोक नया फ़ोन नहीं खरीद सकते थे, इसलिए कॉलेज के दोस्तों, बैचमेट या फिर अपनी मां के मोबाइल से अपना काम चलाते रहे। 

वह कहते हैं, ”मैंने हमेशा अपने दर्शकों की पसंद का खयाल रखा है। मेरा मकसद गैजेट्स को उनके लिए आसान बनाना है। बस इस उद्देश्य के साथ मैं आगे बढ़ा और अपने मोटोरोला फ़ोन से ही कई अन्य मोबाइल में आने वाली समस्याओं के बारे में बात करना शुरू कर दिया। साथ ही उन्हें दूर करने का सुझाव भी दिया। चैनल अब निच टेक्नोलॉजी से हटकर उन गैजेट्स पर आ गया जिनका इस्तेमाल हर कोई करता है।”

वह आगे बताते हैं, “मैंने एंड्रॉइड यूएसबी ओटीजी (एडाप्टर) हैक्स के बारे में एक वीडियो बनाया है। इसे असरदार तरीके से किसी भी फोन में इस्तेमाल किया जा सकता है। यूजर्स को इसके बारे में पता होना चाहिए। ऐसा ही एक और वीडियो बनाया था। यह पांच बेहतरीन एंड्रॉयड एप्स के बारे में था। समय के साथ हम बदलते चले गए। सॉफ्टवेयर से हटकर हार्डवेयर की तरफ आ गए। बाजार में आने वाले नए फ़ोन का रिव्यू देना शुरू कर दिया। यह, वे वीडियोज़ हैं जिन्हें हर कोई देखना चाहता है।”

अंग्रेजी से हिन्दी भाषा में क्यों कन्वर्ट किया चैनल?

स्लोक का कंटेंट चाहे जैसा भी रहा हो, उनका वीडियो बनाने का तरीका कभी नीरस नहीं रहा। वह जान गए थे कि सोशल मीडिया पर अगर दर्शकों को बांधे रखना है तो तरीके में थोड़ा सा बदलाव लाना होगा। उन्होंने इस पर काम करना शुरू कर दिया। वह कहते हैं, “अगर हम, लोगों का मनोरंजन करते हुए उन्हें कुछ सिखाते या बताते हैं, तो काफी फायदेमंद रहता है। लोगों तक जानकारी पहुंचाने के लिए हमने यही तरीका अपनाया।”

अभी कुछ दिनों पहले ही उन्होंने एक वीडियो अपने चैनल पर डाला -‘आई टर्न माई टेबल इन ए गेमिंग कंप्यूटर’। इसमें वह दर्शकों को कंप्यूटर असेम्बल करना सिखाते हैं। सिखाने का तरीका बेहद मजेदार था, वीडियो में बहुत सारी हंसी की बातें और चुटकुले हैं। इसे दर्शकों को खूब प्यार मिला। फ़ोन रिव्यू करते समय भी हंसी-मजाक चलता रहता है। जानकारी और मनोरंजन उनकी खासियत है। हाल ही में नए एप्पल आईफोन 13 प्रो के उनके रिव्यू को सिर्फ 5 दिन में 14 लाख व्यूज मिले। 

शुरु में उनके वीडियोज़ सिर्फ अंग्रेजी में होते थे। हिंदी भाषा पर आने का कारण बताते हुए वह कहते हैं, “जब मैं चेन्नई छोड़कर दिल्ली आ रहा था, तो एक ऑटो रिक्शा वाले को मैंने अपना वीडियो दिखाया। उसे कुछ समझ नहीं आया, तब मुझे लगा कि ऐसे तो न जाने कितने लोगों को मेरी वीडियो समझ नहीं आती होगी। फिर मैंने हिंदी में काम करना शुरू कर दिया।”

तरीका सही हो तो सफलता ज़रूर मिलती है

सच कहें तो कंटेंट बनाना एक बिज़नेस है। टेक बर्नर अपने कंटेंट और चैनल पर आने वाले विज्ञापनों से कमाई करता है। जैसे-जैसे चैनल ग्रोथ करता गया, कमाई के रास्ते खुलते चले गए। 

श्लोक ने बताया, “आज हम कई बड़े ब्रांड के साथ काम कर रहे हैं। कई मामलों में वे भी हमारी मदद करते हैं। अभी कुछ दिनों पहले हम एक फैक्टरी का दौरा करने गए थे। वहां जाकर जाना कि स्मार्टफोन के अलग-अलग कंपोनेंट कैसे तैयार किए जाते हैं। इसे एक औसत दर्शक शायद ही कभी देख पाए। ऐसे कंटेंट दर्शकों के लिए खास होते हैं और साथ ही इससे हमें पैसा भी मिलता है। ब्रांड हमारी आय का एक और जरिया है।”

श्लोक का कोई भी चैनल रातों-रात लोगों का चहेता नहीं बना है। उन्होंने 5 साल तक लगातार इस पर मेहनत की है। तब कहीं जाकर आज वह इस मुकाम पर पहुंचे हैं। 

क्या उन्हें लगता है कि सभी यूट्यूबर्स और सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर्स के लिए यह ऐसी जगह है, जहां वह अच्छी कमाई कर सकते हैं?

इसका जवाब देते हुए वह कहते हैं, “यहां सबके लिए जगह है। बस आपके पास रचनात्मकता होनी चाहिए और काम करने का सही तरीका।” 

(श्लोक के YouTube चैनल पर जाने के लिए यहां क्लिक करें।)

मूल लेखः रिनचेन नोर्बू वांगचुक 

संपादनः अर्चना दुबे

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