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जानिए कैसे! बेंगलुरु के इस इंजीनियर ने घर को बनाया 'अर्बन जंगल', लगाए 1700+ पेड़-पौधे

By निशा डागर

बेंगलुरु के रहने वाले 58 वर्षीय इंजीनियर, नटराज उपाध्याय ने अपने घर में 1700 से ज्यादा पेड़-पौधे लगाकर 'अर्बन जंगल' बनाया है। जहाँ पर आपको पपीता, केला, इमली और मोरिंगा जैसे 300 से ज्यादा किस्म के पेड़-पौधे और 50 से ज्यादा किस्म के पक्षी, तितलियाँ और अन्य जीव-जंतु दिख जाएंगे।

छुट्टियों पर जा रहे हैं तो कैसे दें पौधों को पानी और कैसे करें देखभाल, जानिए आसान तरीके

By निशा डागर

महाराष्ट्र में ठाणे की रहने वाली गार्डनिंग एक्सपर्ट, 37 वर्षीया एनेट मैथ्यू बता रही हैं कि आप छुट्टियों के दौरान, घर से दूर रहकर भी पौधों को पानी देने के साथ-साथ, उनकी देखभाल भी कर सकते हैं। पढ़िए ये लेख!

इनकी छत पर हैं 3000+ गमले, सब्जियों के साथ उगाते हैं स्ट्रॉबेरी, ड्रैगन फ्रूट, आड़ू जैसे फल

By निशा डागर

करनाल, हरियाणा के रहने वाले रामविलास कुमार, सूखे पत्तों से खाद बनाकर अपनी छत पर बागवानी कर रहे हैं।

मेट्रो शहर छोड़, पहाड़ों में बसा यह दंपति, खर्च हुआ कम और जीवन बना बेहतर

By निशा डागर

लवप्रीत और उनकी पत्नी, प्रीति गुरुग्राम की भागदौड़ भरी जिंदगी को छोड़, उत्तराखंड के रामगढ़ में बस गए। जहां वह खेती करते हुए एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी रहे हैं तथा अपने अनुभव को, अपने यूट्यब चैनल ‘पंजाबी ट्रेकर’ के जरिए लोगों से साझा कर रहे हैं।

देश-विदेश के बच्चों को ऑनलाइन कहानियाँ सुनातीं हैं 'कहानीवाली नानी'

By निशा डागर

बेंगलुरु में रहने वाली 65 वर्षीया सरला मिन्नी अपने 'कहानीवाली नानी' पॉडकास्ट के ज़रिए न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में रहने वाले भारतीय बच्चों की भी नानी बनी हुई हैं!

दिल्ली : जूस, चिप्स, चाय, कॉफ़ी, वेफर्स, इन सबसे होता है गोल्डी सिंह की टैक्सी में सवारियों का स्वागत!

By निशा डागर

गोल्डी सिंह की टैक्सी में सवारी करने पर आपको 'गुरु का लंगर' मिलता है। इस लंगर में आपको मिनरल पानी की बोतल, जूस, चिप्स, चाय, कॉफ़ी, वेफर्स आदि मुफ्त में मिलता है। साथ ही मोबाइल चार्जिंग पॉइंट भी। गोल्डी सिंह सिखों के दसवंद धर्म का पालन करते हैं यानी कमाई का दसवां हिस्सा लोगों की सेवा के लिए देना।

इन युवाओं की थिएटर को करियर विकल्प के तौर पर आम जन से जोड़ने की पहल अब रंग ला रही है!

By निशा डागर

23 वर्षीय राजीव ने साल 2014 में अपने एक दोस्त मदन मोहन आर्य के साथ मिलकर पटना में 'इंडीपेन्डेन्ट थिएटर' यानि कि 'स्वतंत्र रंगमंच' की शुरुआत की। इंडीपेन्डेन्ट थिएटर कोई संस्था या समूह नहीं है बल्कि इंडीपेन्डेन्ट थिएटर एक जरिया है किसी भी कलाकार के लिए जो अपनी कला लोगों को प्रदर्शित करना चाहता है।