Powered by

Latest Stories

HomeTags List भारत स्वतंत्रता संग्राम

भारत स्वतंत्रता संग्राम

देश की आज़ादी के लिए अमेरिका की सुकून भरी ज़िंदगी छोड़ आई थी यह स्वतंत्रता सेनानी!

By निशा डागर

गुलाब ने न सिर्फ़ अपने पति बल्कि सभी तरह की सुविधाओं से भरपूर अपनी आगे की ज़िंदगी को भी छोड़ दिया और देश के लिए आज़ादी की लड़ाई का हिस्सा बन गयीं।

पुरुष-वेश में क्रांतिकारियों तक हथियार पहुँचाती थी यह महिला स्वतंत्रता सेनानी!

By निशा डागर

साल 2010 में रिलीज़ हुई आशुतोष गोवरिकर की फ़िल्म 'खेलें हम जी जान से' में अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने स्वतंत्रता सेनानी कल्पना दत्त की भूमिका निभाई थी।

चापेकर बंधू: इन भाइयों ने पुणे से शुरू की थी अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति की लड़ाई!

बाल गंगाधर तिलक द्वारा अपने अखबार ‘केसरी’ में इस्तेमाल की जाने वाली उत्तेजक भाषा से प्रभावित होकर इन्होंने रैंड के ख़िलाफ क़दम उठाने का फ़ैसला किया, क्योंकि उसने पुणे के कई परिवारों को अपमानित किया था।

काकोरी कांड में नहीं था कोई हाथ, फिर भी फाँसी के फंदे पर झूल गया था यह क्रांतिकारी!

By निशा डागर

ठाकुर रोशन सिंह का जन्म शाहजहाँपुर, उत्तर-प्रदेश  के खेड़ा नवादा गाँव में 22 जनवरी, 1892 को एक किसान परिवार में हुआ था। 9 अगस्त 1927 को हुए काकोरी कांड के लिए ब्रिटिश सरकार ने राम प्रसाद 'बिस्मिल', अशफ़ाक उल्ला खान और राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी के साथ-साथ ठाकुर रोशन सिंह को भी फाँसी की सजा दी थी।

बीना दास : 21 साल की इस क्रांतिकारी की गोलियों ने उड़ा दिए थे अंग्रेज़ों के होश!

By निशा डागर

स्वतंत्रता सेनानी बीना दास का जन्म बंगाल के कृष्णानगर में 24 अगस्त 1911 को प्रसिद्द ब्रह्मसमाजी शिक्षक बेनी माधव दास और समाजसेविका सरला देवी के घर में हुआ था। मात्र 21 साल की उम्र में बीना ने बंगाल के तत्कालीन गवर्नर पर पांच गोलियाँ चलाकर उनकी हत्या का प्रयास किया था।

काकोरी कांड का वह वीर जिसे अंगेज़ों ने तय समय से पहले दे दी फाँसी!

By निशा डागर

राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी का जन्म बंगाल के पाबना ज़िले के भड़गा नामक गाँव में 23 जून, 1901 को हुआ था। 9 वर्ष की उम्र में ये बंगाल से बनारस आ गये। एम. ए. की पढ़ाई के दौरान ये क्रांतिकारियों के सम्पर्क में आये और बिस्मिल से जुड़ गये। काकोरी कांड के मुख्य क्रांतिकारियों में एक थे लाहिड़ी।

सखाराम गणेश देउस्कर: 'बंगाल का तिलक,' जिसकी किताब पर अंग्रेज़ों ने लगा दी थी पाबंदी!

By निशा डागर

देउस्कर ने बहुत सारे ऐसे लेख लिखे, जिनका उद्देश्य भारतीय जनता को अपने अतीत और वर्तमान का ज्ञान कराना था। सखाराम गणेश देउस्कर

शांति घोष: वह क्रांतिकारी जिसने 15 साल की उम्र में ब्रिटिश अधिकारी को गोली मारी!

By निशा डागर

शांति घोष भारत के स्वतंत्रता संग्राम की क्रान्तिकारी वीरांगना थीं। उनका जन्म 22 नवंबर 1916 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता में हुआ था। उन्होंने 15 साल की उम्र में एक अंग्रेजी अधिकारी को गोली मारी थी। उन्होंने अपनी आत्मकथा 'अरुणबहनी' नाम से लिखी। साल 1989 में 28 मार्च को उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली।