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बेटियाँ

मैं तब तक आराम से नहीं बैठूंगी, जब तक मेरी बेटियाँ सबको बता न दें कि वे कितना कुछ कर सकती हैं!

By निशा डागर

आज द बेटर इंडिया पर पढ़िए Humans of Bombay से अनुवादित पोस्ट। मुंबई की इस आम-सी महिला की कहानी, जो अपने पति के देहांत के बाद हर सम्भव तरीके से अपनी बेटियों को पाल रही है। वह नहीं चाहती कि उसकी बेटियों को कभी भी यह लगे कि लड़कियाँ कुछ नहीं कर सकतीं।