ओडिशा के रेसिंगा गाँव के रहने वाले दिलीप बराल पहले पराली को खेतों में ही जला देते थे, लेकिन अब वह इससे आलू की खेती कर, बड़े पैमाने पर पानी और पैसों की बचत कर रहे हैं।
हरियाणा के फराज माजरा गाँव के 32 वर्षीय किसान वीरेंद्र यादव ने न सिर्फ बेहतर पराली प्रबंधन के जरिए पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाया, बल्कि इससे 45 लाख रुपये भी कमा डाले।