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खादी और ग्रामोद्योग आयोग

कहानी खादी की: हजारों वर्षों की वह परंपरा, जिसने तय किया सभ्यता से फैशन तक का सफर

भारतीय समाज में खादी का इस्तेमाल सभ्यता के आरंभ से ही रहा है। इसने आजादी की लड़ाई में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यही कारण है कि खादी केवल कोई कपड़ा नहीं, बल्कि एक विचार है।

भारतीय रेलवे: 15 साल बाद वापिस आ रही है आपकी 'कुल्हड़ वाली चाय'!

By निशा डागर

भारतीय रेलवे ने उत्तर-प्रदेश में बनारस और राय बरेली के सभी रेलवे स्टेशननों पर खाने-पीने की वस्तुओं के लिए प्लास्टिक या पेपर कप की जगह टेराकोटा या पक्की मिट्टी से बने कुल्हड़, गिलास और प्लेट इस्तेमाल करने का फैसला लिया है। इसका उद्देश्य स्थानीय कुम्हारों के लिए बड़ा बाज़ार उपलब्ध कराना है।