Powered by

Latest Stories

HomeTags List Safalnama

Safalnama

सफलनामा! दर्जी की बेटी ने छोड़ी बैंक की नौकरी, 20 हज़ार से भी अधिक महिलाओं को बनाया उद्यमी

By अर्चना दूबे

70 साल की कंचन परुलेकर, महाराष्ट्र के कोल्हापुर के एक संगठन, स्वयंसिद्ध का संचालन करती हैं और इसके ज़रिए उन्होंने करीब 29 सालों में 20 हज़ार से भी अधिक महिलाओं को उद्यमी बनाने का काम किया है।

सफलनामा STAGE का! कहानी 3 युवाओं की जिन्होंने 40 करोड़ की कंपनी खोकर भी नहीं मानी हार

By अर्चना दूबे

STAGE स्थानीय बोलियों वाला अपनी तरह का पहला OTT प्लेटफॉर्म है और इसके ज़रिए हरियाणा व राजस्थान में 2,000 से अधिक स्थानीय कलाकारों को रोज़गार मिला है।

सफलनामा! 70 रुपये लेकर दिल्ली आए, रिक्शा चलाया और शुरू किया बिज़नेस, पहुंचा विदेशों तक

By अर्चना दूबे

धर्मबीर कंबोज, स्कूल में कई बार फेल हुए, जैसे-तैसे दसवीं पास की, दिल्ली में रिक्शा तक चलाया और तय कर लिया करोड़ों के बिज़नेस तक का सफर।

सफलनामा कृष्णा यादव का! कभी सड़क पर बेचती थीं अचार, आज चला रहीं कई फैक्ट्रीज़

By अर्चना दूबे

दिल्ली के नज़फ़गढ़ में रहने वाली कृष्णा यादव, 'श्री कृष्ण पिकल्स' नाम से अपनी कंपनी चला रही हैं और उनके बनाये अचार, कैंडी, मुरब्बा, जूस की मांग आज दिल्ली के आसपास के सभी राज्यों में है। आज दिल्ली में उनकी कई फैक्ट्रीज़ हैं और उन्हें 'नारी शक्ति अवॉर्ड' से भी सम्मानित किया जा चुका है।

सफलनामा! गहने गिरवी रख शुरू किया डिब्बे बनाने का काम, साइकिल से चलकर हासिल किया अपना मुकाम

By अर्चना दूबे

गोरखपुर की संगीता पांडेय, जिन्हें कभी लोगों ने हर वह बात कही, जिससे उनका हौसला टूट जाए, लेकिन फिर भी वह हालातों और समाज दोनों से लड़ीं, तमाम मुश्किलों के बावजूद अड़ी रहीं और मिठाई के डिब्बे बनाकर करोड़ों का बिज़नेस खड़ा कर दिया।

सफलनामा! एक कमरे से काम शुरू कर, दिव्या रावत ने कैसे खड़ा किया करोड़ों का बिज़नेस?

By अर्चना दूबे

आज उत्तराखंड में खेती-किसानी के क्षेत्र में दिव्या एक जाना-माना नाम हैं। लोग उन्हें ‘मशरूम गर्ल’ के नाम से जानते हैं। साल 2016 में उन्हें नारी शक्ति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।

सफलनामा! चूड़ियां बेचने से लेकर सीरियल ऑन्त्रप्रेन्यॉर तक, पढ़ें कमल कुंभार की कहानी

By अर्चना दूबे

महाराष्ट्र के उस्मानाबाद की रहनेवाली कमल कुंभार को गरीबी के कारण न तो बचपन में शिक्षा मिली और न ही शादी के बाद प्यार। लेकिन आज वह छह अलग-अलग बिज़नेस की मालकिन हैं और एक रोल मॉडल भी।

सफलनामा! कभी बेटी के लिए जूते खरीदने तक के नहीं थे पैसे, आज खड़ी कर दी शूज़ इंडस्ट्री

By अर्चना दूबे

गरीबी ने मणिपुर के काकचिंग की मुक्तामणि देवी को अपनी बेटी के लिए जूते सिलने पर मजबूर कर दिया था और अब वह 'मुक्ता शूज़ इंडस्ट्री' की मालिक हैं और उनके जूते विदेशों तक में जाते हैं।