लक्जमबर्ग की चिकित्सा उपकरण निर्माता कंपनी ‘बी मेडिकल सिस्टम’ ने अब तक, 140 देशों को भंडारण और परिवहन प्रौद्योगिकी की आपूर्ति सुनिश्चित की है और फिलहाल, भारत में भी अपना काम शुरू करने की तैयारी कर रही है।
डॉ. दिव्या सिंह कहती हैं, "संकट के समय अगर मैं अपने देश की मदद नहीं कर सकती हूं तो मेरे डॉक्टर होने का क्या मतलब है।" डॉ दिव्या लोगों की सेवा में दिन-रात लगी हुई हैं। वह पूरा दिन पीपीई किट पहनती हैं इसके लिए उन्होंने अपने बाल तक कटवा लिए हैं।
भारत में स्त्रियों की शिक्षा के दरवाजे सावित्रीबाई ने रखी थी। लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि उन्होंने और उनके बेटे ने 1896-97 में बंबई और पूना में बुबोनिक प्लेग महामारी से पीड़ित लोगों की सेवा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी!