"मैंने अपनी पढ़ाई के दौरान एक विषय पढ़ा था 'एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग' यानी कि 'कृषि अभियांत्रिकी' और मुझे उस विषय में बहुत दिलचस्पी रहती थी। इसलिए, जब मुझे मशीन नहीं मिली तो मैंने सोचा कि क्यों न अपने अनुभव को इस्तेमाल करके किसानों की ज़रूरत के हिसाब से मशीन तैयार की जाए।"