गुड़गाँव में रहने वाली अनामिका ने बागवानी की शुरुआत 3 साल पहले की थी। लेकिन, पहली बार में अधिकांश पौधे सूख गए। इसके बाद उन्होंने यूट्यूब से जानकारी हासिल कर, फिर से पहल शुरू की। आज वह अपने घर में बेकार बर्तनों से लेकर पुराने जींस तक में, 150+ पौधों की टेरेस गार्डनिंग करती हैं।
विजय अपने घर में ड्रमों, टायरों और अन्य बेकार सामानों से निर्मित 150 से अधिक गमलों में आम, अनार, संतरा, किन्नू, जैसे फलों के साथ-साथ गाजर, मूली, धनिया, गोभी जैसे कई सब्जियों की भी खेती करते हैं।
अंजलि मलिक का मानना है कि अगर हमारे पास 'फैमली फार्मर' है तो हमें फैमली डॉक्टर की ज़रूरत नहीं है। हम अच्छा खाएंगे तो बीमार नहीं होंगे और डॉक्टर की ज़रुरत नहीं होगी।
मेरे दिमाग में बचपन से एक बात घर कर गई थी कि बागवानी के लिए बहुत बड़ी जगह और बहुत सारी मेहनत की ज़रूरत होती है। लेकिन ‘द बेटर इंडिया’ ने न केवल मेरा यह भ्रम दूर कर दिया बल्कि कोरोना के इस तनावपूर्ण माहौल में बागवानी करने के लिए प्रेरित भी किया है।