निर्मल वर्मा ने अपने जीवन में ‘वे दिन’, ‘लाल टीन की छत’ जैसी कई रचनाओं को अंजाम दिया। लेखनी में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
"शायद 2002 की बात होगी जब मैंने कहीं पढ़ा कि 'गाँव बिकाऊ है।' यह पंजाब के ही एक गाँव हरकिशनपुरा की कहानी थी। वहां न तो पानी बचा था और न ही ज़मीन, ऐसे में पूरे गाँव ने मिलकर अपनी ज़मीन बेचने का फैसला किया।"