त्रिलोक चंद गुप्ता, किन्नर चोकसी और दिलबर सिंह जैसे कई अभिभावक अपने बच्चों के कोचिंग क्लास की सर्विस से नाखुश थे। पूरी फीस देने के बावजूद सेवाएं वैसी नहीं थी, जैसा कि विज्ञापन में और दाखिले से पहले कहा गया था। इन परेशान अभिभावकों ने उपभोक्ता कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया और अंत में कोचिंग क्लास से भुगतान की गई फीस वापस पाने में सक्षम रहे। आईए जानते हैं कैसे हुआ ये संभव।