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हलीम ख़ान

एक औरत जो मेरे भीतर रहती है!

By मनीष गुप्ता

असल प्रश्न क्या हैं आख़िर? स्त्री-पुरुष को साथ की आवश्यकता ही क्या है? विश्व को जनसंख्या बढ़ोतरी की तो कोई आवश्यकता है नहीं. उसके अलावा मानसिक तौर (बौद्धिक, व्यवहारिक और आध्यत्मिक) पर स्त्री और पुरुष एक दूसरे को पुष्ट करते हैं, इस बात में भी संदेह नहीं है.