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समर शेष है

क्यूँ है 'दिनकर' की यह कविता आज भी प्रासंगिक? कौन है ज़िम्मेदार?

By मानबी कटोच

आज़ादी के सात वर्षो बाद रामधारी सिंह 'दिनकर' की लिखी एक कविता 'समर शेष है' आज भी मानो उतनी ही प्रासंगिक है! ये कविता ' याद दिलाती है कि आज भी दिल्ली में तो रौशनी है पर सकल देश में अँधियारा है!

रामधारी सिंह दिनकर की कविता - 'समर शेष है' !

By मानबी कटोच

आज हम आपके लिए रामधारी सिंह दिनकर की एक ऐसी कविता लाये है जो उन्होंने आजादी के ठीक सात वर्ष बाद लिखी थी। कविता का नाम है - 'समर शेष है'।