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माँ की आराधना से हुई थी तुकबंदी की शुरुआत, भविष्य में बनी साहित्य की 'महादेवी'!

By निशा डागर

हिन्दी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में सुमित्रानन्दन पन्त, जयशंकर प्रसाद और सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला के साथ-साथ महादेवी वर्मा का नाम शामिल होता है। हिंदी साहित्य की प्रख्यात कवयित्री और लेखिका, महादेवी वर्मा अपनी रचनाओं से साहित्य पर अमिट छाप छोड़ी है।

शरतचंद्र चट्टोपाध्याय, जिनकी नायिकाओं ने सिखाया कि सतीत्व ही नारीत्व नहीं होता।

By द बेटर इंडिया

शरतचंद्र की स्त्री जीवन की परिकल्पना बहुत ही प्रगतिशील है। उन्होंने स्त्री को केवल स्त्री बने रहने से अलग मनुष्य बनने के लिए प्रेरित किया।