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दशकों से अंधेरे में डूबा था नागालैंड का यह गांव, शिक्षक ने दिखाई 60 परिवारों को रौशनी

नागालैंड का शिन्न्यु गांव (Nagaland Village) भारत-म्यांमार सीमा पर स्थित है। 44 साल पहले बसे इस गांव में बिजली की कोई सुविधा न थी। लेकिन, एक सरकारी शिक्षक के सोशल मीडिया पोस्ट ने उन्हें एक नई उम्मीद दी है। पढ़िए यह प्रेरक कहानी!

नागालैंड: छात्रों ने मिनी-हाइड्रो पावर प्लांट लगा, गाँव को बनाया आत्मनिर्भर!

नागालैंड के खुजमा गाँव में रहने वाले केसेतो ठाकरो NIT Nagaland में एक टेक्नीशियन के रूप में काम करते हैं। उन्होंने अपने गाँव में एक मिनी-हाइड्रो पावर प्लांट को लगाया है, जिससे आज पूरा गाँव रोशन हो रहा है।

'नानी तेरी मोरनी' : नागालैंड की म्होंबेनी एज़ुंग की बहादुरी की सच्ची कहानी!

By निशा डागर

nani teri morni गुवाहाटी में आयोजित हुए ब्रह्मपुत्र वैली फिल्म फेस्टिवल में डायरेक्टर अकशादित्या लामा की फिल्म 'नानी तेरी मोरनी'

नागालैंड: स्कूल में लगी 'पुलिस की पाठशाला,' बच्चों को साइबर क्राइम के बारे में किया जागरूक!

By निशा डागर

नागालैंड पुलिस ने अपनी पहल 'पुलिस की पाठशाला' की शुरुआत कोहिमा के लिटिल फ्लॉवर हायर सेकेंडरी स्कूल से की। इस सेशन को नागालैंड पुलिस की इंस्पेक्टर जनरल सोनिया सिंह ने स्वयं संबोधित किया। जिसके दौरान छात्राओं को साइबर क्राइम, सड़क सुरक्षा और आत्म-रक्षा के बारे में बताया गया।

केरल के अनाथालय से यूपीएससी तक: आईएएस मोहम्मद अली शिहाब की अविश्वसनीय कहानी!

By निशा डागर

केरल के मलप्पुरम जिले के पास एक छोटे से गांव में जन्में आईएएस अधिकारी मोहम्मद अली शिहाब नागालैंड के एक दुर्गम जिले कैफाइर में नियुक्त हैं। 11 साल की उम्र के बाद उनका जीवन अनाथ आश्रम में बीता। इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्होंने बहुत संघर्ष किया है।

दिल्ली: देश की पहली अखिल-महिला स्वैट टीम, 36 कमांडो महिला हैं पूर्वोत्तर भारत से!

By निशा डागर

पूर्वोत्तर भारत की 36 महिलाएं दिल्ली में हर संभव खतरे की स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं। राजधानी की पुलिस फाॅर्स देश की पहली फाॅर्स है, जिसमें इस विशेष हथियार और रणनीति टीम (स्वैट) में सभी महिलाएं हैं और गृह मंत्री राजनाथ सिंह औपचारिक रूप से शुक्रवार को इस टीम को प्रतिष्ठित किया।

कारगिल हीरो: दुश्मन को हराने के लिए बर्फीली पहाड़ियों पर इस सैनिक ने की थी नंगे पैर चढ़ाई!

By निशा डागर

कारगिल में शहीद हुए कप्तान नेइकेझाकुओ केंगुरुसी का जन्म कोहिमा के नेरहमा गांव में हुआ था। नागालैंड में एक शताब्दी पहले तक इस गांव को पेरहमा या फिर हमेशा लड़ने वालों का घर कहा जाता था। उन्हें महावीर चक्र से नवाज़ा गया।