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इतिहास

वासुदेव बलवंत फड़के: वह क्रांतिकारी जिनकी आदिवासी सेना ने अंग्रेजों को लोहे के चने चबवाये!

By निशा डागर

vasudev balwant phadke का जन्म 4 नवंबर, 1845 को महाराष्ट्र के रायगड जिले के शिरढोणे गांव में हुआ था। साल 1857 की क्रांति की विफलता

जतिंद्रनाथ दास: वह क्रांतिकारी जिसने देश की आज़ादी के लिए जेल में दे दी अपनी जान!

By निशा डागर

कोलकाता के एक साधारण बंगाली परिवार में 27 अक्टूबर 1904 को जन्मे जतिंद्रनाथ दास महज 16 साल की उम्र में ही देश की आजादी के आंदोलन में कूद गए थे। लाहौर षड्यंत्र केस में उन्हें भी भगत सिंह व बाकी साथियों के साथ पकड़ा गया। लाहौर जेल में भाख हड़ताल करते हुए 63वें दिन उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए।

जस्टिस एम. फातिमा बीवी: वह महिला जो न केवल भारत में बल्कि एशिया में किसी भी सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज बनी!

By निशा डागर

केरल से ताल्लुक रखने वाली फातिमा बीवी पहली महिला न्यायधीश थीं जिन्हें सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किया गया था। हाल ही में एक बार फिर इंदु मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट की न्यायधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की गयी है। पिछले 68 सालों में सुप्रीम कोर्ट में केवल छह महिला जज ही रही हैं।

एक केमिकल इंजिनियर जिसनें 'अमर चित्र कथा' की 439 कहानियां देकर भारतीय बच्चों को यहाँ की संस्कृति से जोड़े रखा

By निशा डागर

कर्नाटक के करकाल में 17 सितंबर, 1929 को पैदा हुए अनंत पाई को आज ' भारतीय कॉमिक्स के रचियता' और बच्चों द्वारा अंकल पाई के नाम से जाना जाता है। वे भारत की पहली कॉमिक सीरीज अमर चित्र कथा के संस्थापक व चित्रकार थे। उन्होंने रंग रेखा फीचर्स और टिंकल की भी शुरुआत की।

वैदिक संस्कृत से लेकर रवीश कुमार की लप्रेक तक, जानिए 'हिंदी भाषा' की कहानी!

By निशा डागर

भारत में हर साल 14 सितम्बर को 'हिंदी दिवस' के रूप में मनाया जाता है। दरअसल, भारतीय संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को एक मत से यह निर्णय लिया कि ‘हिन्दी’ भारत की राजभाषा होगी। हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये सन् 1953 से संपूर्ण भारतवर्ष में 14 सितंबर को प्रतिवर्ष हिन्दी-दिवस के रूप में मनाया जाता है।

पुणे के ये युवक हर संभव प्रयास कर बचा रहे हैं वीर शहीदों की विरासत!

By निशा डागर

पुणे के दो युवा संगठन, स्वराज्यचे शिलेदार और रायगड परिवार आस-पास के गांवों में सभी शहीद स्मारक या वीरगलों को फिर से सहेज रहे हैं। समय-समय पर शहीदों की याद में बनवाये गए ये स्मृति स्मारक या फिर पत्थर आज खोते जा रहे हैं। न तो सरकार ही इन पर ध्यान दे रही है और न ही नागरिक।

वह पहला भारतीय अफ़सर जो ब्रिटिश राज में बना बॉम्बे सीआईडी का डीसीपी; किया था गाँधी जी को गिरफ्तार!

By निशा डागर

साल 1926 में बॉम्बे सीआईडी (क्राइम इन्वेस्टीगेशन डिपार्टमेंट) के डिप्टी कमीशनर ऑफ़ पुलिस के तौर पर नियुक्त होने वाले कवासजी जमशेदजी पेटिगरा पहले भारतीय अफसर थे। ब्रिटिश सरकार द्वारा उन्हें 'खान बहादुर' का खिताब दिया गया था। 

मिहिर सेन: वह भारतीय जिसने सात महासागरों को जीता!

By निशा डागर

मिहिर सेन, पश्चिम बंगाल, ब्रिटिश भारत के पुरुलिया में जन्में, शायद एक कैलेंडर वर्ष में पांच अलग-अलग महाद्वीपों के पांच अलग-अलग समुद्रों में तैरने वाले पहले भारतीय थे। साल 1966 में वे तैराकी से हर महाद्वीप में जल निकायों को पार करने वाले पहले व्यक्ति बन गए।

वह मराठा रानी जिन्होंने अंग्रेज़ों के व्यापार के पीछे छिपे इरादों को पहचान, किया था पेशवा को आगाह!

By निशा डागर

मालवा की रानी अहिल्याबाई होलकर को राजमाता अहिल्याबाई होलकर के नाम से भी पुकारा जाता है। इंदौर के इतिहास के पन्नों में उनकी बहादुरी और गौरव का वर्णन है। लेखिका ऐनी बेसंट ने इस मराठा रानी के शौर्य के बारे में लिखा है।