Site icon The Better India – Hindi

नीम, गुड़ और मेथी के इस्तेमाल से राजस्थान की युवा डिज़ाइनर ने बनाया सपनों का आशियाना

पहले के समय में कारीगर घर बनाने की कई पारंपरिक तकनीकों का इस्तेमाल किया करते थे; ऐसी ही एक राजस्थानी प्राचीन तकनीक को पुनर्जीवित करने के मकसद से अलवर में बना है एक खूबसूरत और सस्टेनेबल मिट्टी का घर। यह मड कोठी के नाम से मशहूर है। इस घर को राजस्थान के ही ‘स्केच डिज़ाइन स्टूडियो’ की फाउंडर और युवा डिज़ाइनर शिप्रा सिंघानिया सांघी ने डिज़ाइन किया है। शिप्रा हमेशा से ही पारंपरिक कलाओं और अलग-अलग क्राफ़्ट तकनीक से काफ़ी आकर्षित और प्रभावित थीं और जब उन्हें यह घर बनाने का मौका मिला तो लाख कठिनाइयां आने के बावजूद उन्होंने इसे बखूबी पूरा किया। 

पर्यावरण और सस्टेनेबिलिटी को ध्यान में रखकर बनाया गया उनका यह घर पूरे परिवार को शहर के आम जीवन से दूर प्रकृति के बीच समय बिताने का मौका देता है।

वेस्ट मटेरियल से बनीं मड कोठी की दीवारें

जब घर बनाने के लिए सीमेंट और कंक्रीट जैसी चीज़ें नहीं हुआ करती थीं, तब मिट्टी, पत्थर और छप्पर जैसी चीज़ों का इस्तेमाल किया जाता था; इस मड कोठी को भी इन्हीं प्राकृतिक चीज़ों से बनाया गया है। अपने अनोखे आर्किटेक्चर की वजह से सर्दियों में यहाँ अच्छी धूप और गर्मी के मौसम में ताज़ा ठंडी हवा आती है, जिससे घर का तापमान हमेशा अनुकूल बना रहता है। लगभग दो हज़ार स्क्वायर फ़ीट के क्षेत्र में फैले इस घर के दरवाज़े एक तरफ सुंदर फल व सब्जियों के गार्डन और दूसरी तरफ एक बड़े ग्रास लॉन में खुलते हैं। 

दो कमरे और एक बड़े सेंट्रल हॉल वाले इस घर की दीवारें चूने के प्लास्टर को ईंट पाउडर के साथ मिलाकर बनाई गई हैं, जिससे कमरों को एक अलग लाल रंग मिलता है। इसी तरह यहाँ की फर्श और छत भी मेथी के बीज, गुड़, नीम जैसी जड़ी-बूटियों और वेस्ट मटेरियल्स के इस्तेमाल से बने हैं।  ये मड कोठी को दिखने में तो अलग बनाते ही हैं, साथ ही कीड़े-मकौड़े को भी इससे दूर रखते हैं। 

इसके अलावा, इस घर के फर्नीचर और बाकी इंटीरियर के सामान भी लोकल कारीगरी की खूबसूरती को दर्शाते हैं। यहाँ हाथ से बने केन लैम्प्स और बेड की जगह पारम्परिक खाट मौजूद हैं। इस तरह यह घर सस्टेनेबिलिटी, पारम्परिक आर्किटेक्चर और लोकल कारीगरी का एक दुर्लभ नमूना है। 

यह भी पढ़ें- सस्टेनेबल और इको-फ्रेंडली अर्थ हाउस ‘ब्रीथ’, नीव से लेकर दीवारों तक सबकुछ है प्राकृतिक

Exit mobile version