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हर सुविधा से लैस है मिट्टी से बना राजस्थान का यह सस्टेनेबल घर

राजस्थान के चित्तौड़गढ़ की शोभा बढ़ातीं इमारतों और हवेलियों के बीच, एक घर ऐसा है जो मिट्टी का बना है और अपनी सुंदरता से आस-पास से गुज़रने वालों का ध्यान अपनी तरफ़ खींचता है। इसे देखकर कोई यह भी अनुमान लगा सकता है कि इस फार्महाउस को बनाने में सबसे महंगे और आधुनिक मटेरियल्स का इस्तेमाल किया गया होगा! लेकिन शून्य स्टूडियो की फाउंडर और आर्किटेक्ट श्रेया श्रीवास्तव कुछ और ही बताती हैं। 

श्रेया ने द बेटर इंडिया को बताया, “जब हमे इस ख़ास प्रोजेक्ट के लिए संपर्क किया गया, तब एक ऐसा घर बनाने की मांग की गई जो इको-फ्रेंडली व सुविधाजनक होने के साथ-साथ राजस्थान की विरासत को भी दर्शाए।”

वह कहती हैं, “मुझे एहसास था कि कैसे सीमेंट सेक्टर प्रदूषण बढ़ाने का तीसरा सबसे बड़ा कारण है। मैंने और मेरे क्लाइंट ने मिलकर यह फैसला किया कि हम कम से कम लागत में बेहद सुंदर दिखने वाला फार्महाउस बनाएंगे।”

क्लाइंट, रौनक जैन चित्तौड़गढ़ के रहने वाले हैं और एक कंस्ट्रक्शन कंपनी के डायरेक्टर हैं। उन्होंने अपनी एक एकड़ की साइट पर श्रेया से 5500 स्क्वायर फ़ीट पर फार्महाउस बनाने के लिए संपर्क किया था।

यह मिट्टी का घर क्यों है ख़ास?

श्रेया कहती हैं, “मिट्टी के घर को आमतौर पर कच्चा माना जाता है।” इसी धारणा को वह इस प्रोजेक्ट के ज़रिए गलत साबित करना चाहती थीं। इसलिए उन्होंने इसे नेचुरल मटेरियल्स का होकर भी आलिशान बनाया है। 

यहाँ की दीवारों को चूने के प्लास्टर से बनाया गया है। इसके लिए उन्होंने आरसीसी यानी रेनफोर्स्ड सीमेंट कंक्रीट से बना स्ट्रक्चर इस्तेमाल किया है जो 80 प्रतिशत मिट्टी होता है। वह बताती हैं कि चूने का प्लास्टर समय के साथ मज़बूत और बेहतर होता है। इसमें इस्तेमाल होने वाले मटेरियल, घर में मौजूद हवा को शुद्ध करते हैं और ह्यूमिडिटी लेवल को भी मेंटेन रखते हैं।

राजस्थान की कला और संस्कृति की छाप

दीवारों पर बनी पेंटिंग राजस्थान की कला का प्रतीक हैं।

इन दीवारों की सुंदरता के साथ-साथ, उनपर बनी पेंटिंग्स भी तारीफ़ के काबिल हैं; लेकिन इन्हें किसी पेशेवर पेंटर नहीं बल्कि दिल्ली के गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी के छात्रों ने बनाया है। यह देश के युवाओं की कला और उनके टैलेंट को बढ़ावा देने का एक तरीक़ा है। 

यहाँ मौजूद राजस्थान की पारंपरिक कलाकारी वाले फर्नीचर भी काफ़ी अद्भुत हैं, जो इस ज़मीन की ही मिट्टी, पत्थर और ईंट से बनाए गए हैं। जोधपुर की हवेलियों के कई पुराने फर्नीचर को भी अपसाइकिल कर इस घर में इस्तेमाल किया गया है। 

राजस्थान की संस्कृति को ध्यान में रखते हुए, फ़र्श को भी जैसलमेर पत्थर, उदयपुर पत्थर, कडप्पा पत्थर और निम्बारा पत्थर से बनाया गया है, जो खड़े रहने या चलते समय पैरों को ठंडा रखते हैं। जो चीज़ इस घर को सबसे अलग बनाती है, वह है कुछ दीवारों पर इस्तेमाल की गई अरिश तकनीक। 

श्रेया बताती हैं, “अरिश एक ऐसी तकनीक है जो दीवार पर दिखता नहीं है, लेकिन उसे मार्बल जैसी एक चिकनी फिनिश और लुक देता है।” यहाँ की फूस से बनी छत और बाकी प्राकृतिक चीज़ें न केवल घर के डिज़ाइन को एक राजस्थानी लुक देते हैं, बल्कि इसे ज़्यादा तापमान और गर्मी में भी ठंडा रखने में मदद करते हैं।

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