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किसी ड्रीम होम से कम नहीं है प्राकृतिक और रीसाइकल्ड चीज़ों से बना इस कपल का घर

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अगस्त, 2021 में चेन्नई के अमृता और हर्षित ने शादी के बाद अपना घर बनाने का फैसला किया। एक रियल एस्टेट प्रोफेशनल और बचपन से ही पर्यावरण प्रेमी होने की वजह से अमृता अपने घर को पूरी तरह सस्टेनेबल और गली होम बनाना चाहती थीं। इसी मांग के साथ यह कपल 1988 में शुरू हुए एस्के डिज़ाइन के सस्टेनेबल आर्किटेक्चर विंग ED+ आर्किटेक्चर के आर्किटेक्ट अम्मार अज़ीज़ चौधरी के पास पहुंचा। 

अम्मार इस प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए काफ़ी खुश थे, वह द बेटर इंडिया को बताते हैं, “मुझे पता था कि यह प्रोजेक्ट सबसे अलग होने वाला है। इसके बावजूद, हमने इसे बहुत जल्दी पूरा कर लिया।” सितंबर 2021 से जनवरी 2022 तक, 4,000 स्क्वायर फ़ीट के इस घर को पूरा करने में उन्हें सिर्फ़ चार महीने का समय लगा, जिसे इस कपल ने ‘द गली होम’ नाम दिया।

द गली होम: एक सस्टेनेबल आशियाना 

चेन्नई के तिरुवनमियुर में स्थित यह घर सस्टेनेबल तरीके से तो बना ही है, साथ ही अमृता और हर्षित के लिए यह किसी ड्रीम हाउस से कम नहीं है। इसे बिल्कुल वैसे ही डिज़ाइन किया गया है, जैसे उन्हें वाक़ई में चाहिए था। बहुत-सी ख़ास बातों में से द गली होम की एक अनोखी बात यह है कि यहाँ एक तरफ़ तो कोई शांत समुद्र के खूबसूरत नज़ारों के मज़े ले सकता है, वहीं दूसरी तरफ़ चेन्नई की गलियों की आम चहल-पहल भी देखी जा सकती है। 

अम्मार बताते हैं कि अमृता और हर्षित ने उन्हें काफ़ी अच्छे से अपने विज़न के बारे में बताया था। उन्हें ऐसा घर चाहिए था, जो क्लाइमेट फ्रेंडली हो, जहाँ ज़ीरो नेट एमिशन हो और वह अपने 4 पालतू कुत्तों के साथ एक आरामदायक लाइफस्टाइल बिता सकें।

बस तभी उन्हें द गली होम का आईडिया आया और 40 साल पहले अमृता के दादाजी के लगाए हुए एक पुराने पेड़ के इर्द-गिर्द इस घर को बनाया गया। आज यहाँ घुसते ही सबसे पहले घर के बीचों-बीच यह पेड़ नज़र आता है, जो इसकी खूबसूरती को और बढ़ा देता है। 

चेन्नई की गलियों से प्रेरित है यह गली होम

द गली होम को बनाने में कम से कम सीमेंट और कंक्रीट का इस्तेमाल किया गया है।

इस घर को बनाने में कम से कम सीमेंट और कंक्रीट का इस्तेमाल किया गया है। यहाँ की दीवारें क्ले की ईंटों से बनी हैं और फ़र्श को मार्बल स्क्रैप और रीसायकल किए हुए ग्लास चिप्स से बनाया गया है। घर का तापमान संतुलित रखने के लिए, गर्म हवाओं को रोकने खिड़कियों पर ख़ास अल्युमिनियम शटर्स लगाए गए हैं और छत पर टेराकोटा की लेयर का इस्तेमाल किया गया है। 

अमृता और हर्षित की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए यहाँ एक ऐसा स्टेयरकेस या सीढियाँ बनाई गई हैं, जो हर कमरे को एक दूसरे के साथ जोड़ती हैं। जिस तरह पुराने समय में लोग अपने घर की बालकनी में बैठे गलियों के नज़ारे देखा करते थे, इस घर में भी वही पुराने दौर की यादें बसती हैं। आधुनिकता और पारंपरिक आर्किटेक्चर का मिश्रण है अमृता और हर्षित का यह आशियाना। 

संपादन- अर्चना दुबे

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