सस्टेनेबल आर्किटेक्चर का बेहतरीन नमूना है मिट्टी, स्टील और रीसाइकल्ड लकड़ी से बना यह घर

आम घरों के मुकाबले 50% कम खर्च में तैयार हुआ है कोल्हापुर में बसा 'गौड़ देश' इको फ्रेंडली घर, जहां मौजूद हैं बायो गैस, मिट्टी का फ्रिज, रेन वॉटर हार्वेस्टिंग जैसी सभी सस्टेनेबल सुविधाएं। सस्टेनेबल आर्किटेक्चर का यह बेहतरीन नमूना पर्यावरणविद् राहुल देशपांडे की पहल है, जिसे उन्होंने प्रकृति के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी को समझते हुए बनाया है।

“सादगी में ही असली समृद्धि है। मैं और मेरा परिवार प्रकृति के करीब रहकर बहुत खुश हैं”, यह कहना है कोल्हापुर में रहने वाले राहुल देशपांडे का, जो पेशे से एक पर्यावरणविद् हैं। राहुल हमेशा से प्रकृति के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियों को समझते थे, यही कारण था कि जब उन्होंने अपना घर बनाने का फैसला किया, तो उन्होंने इको फ्रेंडली विकल्प को चुना और 2011 में बनकर तैयार हुआ उनका अनोखा सस्टेनेबल घर ‘गौड़ देश’, जो आज देशभर में मशहूर है। 

1700 वर्ग फुट में बने इस घर को मिट्टी, पत्थर, रीसाइकल्ड लकड़ी और स्टील से बनाया गया है। अंदर घुसते ही एक सुंदर गार्डन है, जहाँ कई तरह के फूलों के पौधे लगे हुए हैं। इसके अलावा, यहाँ एक किचन गार्डन भी बनाया गया है। सस्टेनेबल आर्किटेक्चर पर बने इस घर में मिट्टी के फ्रिज का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें फल और सब्जियां 6 से 7 दिनों तक ताज़ी रहती हैं।

यहाँ फर्श को मिट्टी से बनाया गया है, घर की दीवारें बनाने के लिए लेटराइट ईंटों का इस्तेमाल हुआ है, जिस पर मिट्टी का प्लास्टर किया गया है और घर की छत भी मिट्टी की टाइल्स से बनी है। ये टाइल्स इतना अच्छा वेंटिलेशन देती हैं कि घर में गर्मी के मौसम में भी पंखे की ज़रूरत नहीं पड़ती। साथ ही इन टाइल्स के बीच चिड़ियां भी अपने घोंसले बनाती हैं, जिनकी चहचाहट से घर गूँज उठता है। 

कैसे मिली सस्टेनेबल घर बनाने की प्रेरणा?

प्रकृति के करीब घर बनाने की प्रेरणा राहुल को अपने आध्यात्मिक गुरु राधानाथ स्वामी महाराज से मिली, जिन्होंने उन्हें साधारण जीवन जीने का महत्व बताया। इसके अलावा, एक प्रकृति प्रेमी होने के कारण कई सालों से गाँवों से उनके लगाव ने भी उन्हें ‘गौड़ देश’ को बनाने की प्रेरणा दी। इस इको फ्रेंडली घर को बनाने में राहुल को 16 महीनों का वक़्त लगा था और आम घरों से 50 प्रतिशत कम खर्च आया। 

इस घर का सारा वेस्ट बायो-गैस में रीसायकल किया जाता है, जिससे राहुल के परिवार को हर रोज़ 3 घंटे तक खाना पकाने की गैस मिल जाती है और साथ ही अपने किचन गार्डन के लिए खाद भी। राहुल के घर में बारिश का पानी इकट्ठा करने के लिए रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी लगाया गया है। इस घर को आर्किटेक्ट धनंजय वैद्य और आर्किटेक्ट पल्लवी ने डिज़ाइन किया है। 

है न कमाल का घर!

संपादन- अर्चना दुबे

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