भारत में गोल्फ को नयी पहचान देती ‘अदिति अशोक’।

भले ही अदिति अशोक भारत के लिए मेडल न ला पायीं हो, लेकिन उनकी उपलब्धि किसी मायने में कम नहीं है। अदिति फाइनल में पहुचँने वाली पहली भारतीय गोल्फर हैं। महिला गोल्फ के दूसरे दौर में अदिति ने सातवें स्थान के साथ फाइनल्स में जगह बनाई, हालाकिं फइनल में वह अपना प्रदर्शन जारी नहीं रख पाईं, लेकिन इसके बाद भी उनका नाम इतिहास में खुबसूरत अक्षरों में लिखा जायेगा।

भारत की युवा गोल्फर, अदिति अशोक शनिवार को रियो ओलिंपिक की महिला गोल्फ स्पर्धा में अंतिम दिन 5 ओवर 76 कार्ड के कारण से संयुक्त रूप से 41वें स्थान पर रही। अदिति ने पहले दो दिन 68, 68 का कार्ड खेला था और शीर्ष आठ में बनी रहीं थी।

भले ही अदिति अशोक भारत के लिए मेडल न ला पायीं हो, लेकिन उनकी उपलब्धि किसी मायने में कम नहीं है। अदिति फाइनल में पहुचँने वाली पहली भारतीय गोल्फर हैं।

अदिति

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महिला गोल्फ के दूसरे दौर में अदिति ने सातवें स्थान के साथ फाइनल्स में जगह बनाई, हालाकिं फइनल में वह अपना प्रदर्शन जारी नहीं रख पाईं, लेकिन इसके बाद भी उनका नाम इतिहास में खुबसूरत अक्षरों में लिखा जायेगा।

अदिति ने दूसरे दौर में शानदार प्रदर्शन करते हुए 68-68 स्कोर हासिल कर सातवा स्थान सुरक्षित कर लिया, लेकिन फाइनल्स में कुछ खराब ड्राइव्स और कुछ शाट्स को छोड़ देने की वजह से वह 41वें स्थान पर पहुँच गई।

अदिति का कहना है,”ओलिंपिक विलेज में रहने और विश्व के बेहतरीन खिलाड़ियों के साथ खेलने का अनुभव शानदार रहा और यहाँ गोल्फ कोर्स में खेलना भी बहुत सुखद रहा।यहाँ हवा और अलग परिस्थितियों के कारण हर दिन नया खेल होता था, लेकिन मुझे बहुत आनंद आया।”

“मैं आज और बेहतर प्रदर्शन कर सकती थी,लेकिन मैं अभी सीख रही हूँ और मुझे अब अनेक बड़े आयोजनों में खेलना है, जहाँ पर मुझे यह अनुभव काम आयेगा,” अदिति ने हिन्दुस्तान टाइम्स को बताया।

अदिति के शानदार सफर की शुरूआत उस समय हुई जब वह केवल पाँच वर्ष की थीं। अपने परिवार के साथ कर्नाटक गोल्फ एसोसिएशन के रेस्तराँ में नाश्ता करते वक्त अदिति का ध्यान गोल्फ पर गया।

उनके पिता गुडलामनि अशोक का कहना है,”हम बस वहाँ नाश्ता कर रहे थे और लोगों को बॅाल हिट करते हुए देख रहे थे। कुछ पारिवारिक गतिविधियों के लिए हम उसे सीखने लगे। तब हमने देखा कि अदिति की रुचि उसमें बढ़ रही है और अपने पहले राउण्ड में उसने 18 होल्स किये।”

अदिति ने अपना पहला टूर्नामेंट नौ वर्ष की आयु में जीता था। बारह वर्ष की आयु में वे राष्ट्रीय टीम का हिस्सा बनी। उस समय लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग टूर्नामेंट्स नहीं होते थे। उन्होंने 17 टूर्नामेंट्स जीतते हुए अपने रास्ते में आने वाली हर बाधा को पार किया। एशियन यूथ गेम्स में भाग लेने वाली वह एकमात्र भारतीय गोल्फर है। उन्होंने युथ ओलंपिक गेम्स और एशियन गेम्स में भी भाग लिया है।

ओलंपिक के बाद अब अदिति का अगला टूर कैलिफोर्निया में आयोजित LPGA के क्वालीफाइंग प्रतियोगिता के लिए होगा।

अदिति को भविष्य में होने वाली उनकी हर प्रतियोगिता के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं!

 

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