सफलनामा! एक इंजीनियर, जिसने कबाड़ से खड़ा किया करोड़ों का बिज़नेस

इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद, मध्य प्रदेश के अनुराग असाटी और उनके पार्टनर कवीन्द्र रघुवंशी ने ‘द कबाड़ीवाला’ बिज़नेस शुरू किया, जिसके तहत आज वे देश के पांच शहरों से कबाड़ इकट्ठा करके उसे रीसायकल करने का काम कर रहे हैं।

The kabadiwala

त्योहारों के समय सफाई के बाद सबसे बड़ी समस्या होती है घर से निकला कबाड़ और इंतज़ार होता है कबाड़ीवाले का। पहले तो गली-मोहल्लों में कबाड़ीवाला अक्सर दिख जाया करता था, लेकिन अब तो ये भी गायब होते जा रहा हैं, खासकर बड़े शहरों में।ऐसे में लोगों के लिए कबाड़ बेचना भी मुश्किल होता जा रहा है।

ऐसी ही एक समस्या का सामना किया मध्य प्रदेश के दमोह के रहनेवाले अुनराग असाटी ने भी और इसका हल निकालने के लिए इस इंजीनियर ने अपनी नौकरी तक छोड़ दी और कबाड़ बेचना शुरू कर दिया। आज यही इंजीनियर कबाड़ीवाला पूरे 15 करोड़ का बिज़नेस चला रहा है। 

यह कहानी है द कबाड़ीवाला' की, जिन्हें इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान कबाड़ बेचने में इतनी परेशानी आई कि उन्होंने खुद इस काम को करने का मन बना लिया। Information Technology से B. Tech कर चुके अुनराग ने कॉलेज के दिनों में ही अपने सीनियर कवीन्द्र रघुवंशी के साथ मिलकर इसके लिए एक ऐप बना लिया था। लेकिन एक आम माध्यम वर्गीय युवा की तरह ही, उनपर भी पढ़ाई के बाद, नौकरी करने का दबाव था।

ऐसे में स्टार्टअप का आइडिया धरा का धरा रह गया और वह नौकरी करने लगे। लेकिन उनके मन से कबाड़ बेचने का ख्याल जा ही नहीं रहा था और आख़िरकार साल 2015 में उन्होंने नौकरी छोड़कर कवीन्द्र के साथ ‘द कबाड़ीवाला’ की शुरुआत की, जिसमें अनुराग की परिवार ने भी उनका पूरा साथ दिया!

Anurag Asati & Kavindra Raguvanshi, Founders of The Kabadiwala
Anurag Asati & Kavindra Raguvanshi, Founders of The Kabadiwala

एक ख़बर बनी कबाड़ीवाला बिज़नेस के लिए टर्निंग पॉइंट

ऐप तैयार था, वेबसाइट भी बना ली थी, लेकिन अब परेशानी यह थी कि उन्हें न तो कबाड़ इकठ्ठा करने का आइडिया था, न ही रीसायकल करने वाली कंपनीज़ का। आस-पड़ोस के लोगों से जो ताने मिल रहे थे सो अलग। लेकिन अुनराग को अपने काम और मेहनत पर इतना विश्वास था कि उन्हें इन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ा।

तभी पॉजिटिव मीडिया ने अपना कमाल दिखाया! जब उनके स्टार्टअप के बारे में लिखा गया, तो उन्हें इतने फोन आने लगे कि उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि इतना कबाड़ कैसे इकठ्ठा करें, कहां रखें और इस कबाड़ का करें क्या? तब अनुराग ने बाइक से घर-घर जाकर खुद कबाड़ इकठ्ठा करना शुरू किया।

इसके बाद उन्होंने एक प्रोफेशनल टीम बनाई, लोगों को कबाड़ अलग-अलग जमा करना सिखाया और धीरे-धीरे कबाड़ीवालों के प्रति लोगों का नज़रिया भी बदला। आज 'द कबाड़ीवाला' 5 अलग-अलग शहरों से, 40 से भी ज्यादा तरह के कबाड़ इकट्ठा करता है।  

3 शहरों की नगरपालिका के साथ मिलकर शहर के कचरे को रीसायक्लिंग के लिए भेजता है। Nykaa, Adani जैसी देश की 500 से ज़्यादा बड़ी कंपनियों, स्टोर्स, ऑफिस और बैंको से भी वेस्ट जमा करता है। आज 'द कबाड़ीवाला' ने 850 से ज़्यादा लोगों को रोज़गार दिया है और इसका सालाना टर्नओवर 15 करोड़ से भी ज्यादा है। अनुराग ने कबाड़ीवाला स्टार्टअप के ज़रिए युवाओं के लिए एक नए बिज़नेस मॉडल की नींव रखी है।

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