दिल्ली की दीपा ने अपनी जिंदगी के 12 साल बड़े ही अनोखे तरीके से बिताए हैं। इन सालों में उन्होंने एक स्थायी और आराम की जिंदगी जीने के बजाय, कम सुविधाओं और कम जरूरतों के साथ रहने का फैसला किया। जीवन जीने के इस बेहतरीन तरीके ने उन्हें काफी अच्छे अनुभव भी दिए हैं, जिससे वह प्रकृति के काफी करीब हो गई हैं।
कुछ समय पहले तक वह दक्षिण भारत की अलग-अलग जगहों में रह रही थीं। इस दौरान, वह कुछ समय अपने एक दोस्त के घर में भी रहीं, जो पूरी तरह रीसायकल्ड चीजों से बना था और फ़िलहाल वह गोवा में हैं। यहाँ भी उनका प्लान अलग-अलग लोगों के साथ रहने का ही है। दीपा, जिस भी परिवार के साथ रहती हैं, उनसे कुछ न कुछ नया सीखती हैं और उन्हें अपने जीवन के अनुभवों से कुछ सिखाती भी हैं।
हममें से कई लोगों को यह काम मुश्किल लग सकता है, लेकिन दीपा कहती हैं, “जब तक आप खुद अनुभव नहीं करते, आपको हर काम मुश्किल ही लगता है। लेकिन यह इतना भी मुश्किल नहीं, मैंने इस पूरी दुनिया को ही अपना घर बना लिया है और प्रकृति से दोस्ती कर ली है।”
सालों पहले, जब दीपा दिल्ली मैं भाग-दौड़ वाला जीवन जी रही थीं, तब एक समय ऐसा आया कि उन्हें इस फ़ास्ट लाइफ से काफी दिक्क़तें होने लगीं और फिर उन्होंने इस फ़ास्ट लाइफ को स्लो लाइफ में बदलने का फैसला कर लिया।
अपनाई सस्टेनेबल जीवन शैली
उन्होंने शुरुआत कुछ छोटे-मोटे बदलावों से की। सबसे पहले उन्होंने नौकरी छोड़कर एक लम्बा ब्रेक लेने का फैसला किया और क्योंकि अब नौकरी नहीं थी, इसलिए उन्होंने अपनी जरूरतों को भी सीमित करना शुरू कर दिया।
वह कहती हैं, “उस समय मैंने सब कुछ छोड़कर अपने जीवन पर ध्यान देना शुरू किया। मैं क्या खा रही हूँ? कितना वेस्ट कर रही हूँ? कौनसे रिश्ते जीवन में जरूरी हैं? कौनसी बातें मुझे ख़ुशी दे रही हैं? ऐसे ही कई और सवालों व उनके जवाब ढूढ़ने से इस सफर की शुरुआत हुई।”
उस समय उन्हें गार्डनिंग, कम्पोस्टिंग या वेस्ट मैनेजमेंट के बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता था। लेकिन फिर उन्होंने जीरो वेस्ट और सस्टेनेबल जीवन के बारे में सीखना शुरू किया।
वह सबसे पहले नौकरी छोड़कर लद्दाख गई थीं, जिसके बाद वह उत्तर-पूर्व और दक्षिण भारत के कुछ शहरों में भी रहीं। शुरुआती समय में उनकी IT की नौकरी से कमाई जमा पूंजी ही काम आई थी। फिर धीरे-धीरे उन्होंने काम करना शुरू किया। वह जहां भी रहतीं, वहां कुछ न कुछ काम करती रहती थीं, ताकि लोगों की मदद हो सके।
उन्होंने बताया, “इस दौरान मैंने कई तरह के काम किए, कभी बच्चों को इंग्लिश पढ़ाई, तो कभी बेकरी में काम किया। मैं जिस किसी के भी साथ रहती थी, उनकी मदद करने की कोशिश करती थी और बदले में वे लोग मुझे अपने घर में रहने देते और पैसे भी मैं इसी तरह से कमाने लगी।”
दीपा फ़िलहाल एक सस्टेनेबल लिविंग कोच हैं और वेस्ट मैनेजमेंट जैसी चीजें लोगों को सिखाती हैं।
दीपा को घूमने का भी बहुत शौक है, इसलिए उन्होंने भारत के अलग-अलग शहरों में घूमने का मन बनाया। इस यात्रा से ही उन्हें ख़ुशी मिलती हैं, जो वह हमेशा से खोज रही थीं।
दीपा का मानना है, “हम ख़ुशी पाने के लिए ही काम करते हैं, लेकिन अगर उस काम को करके हम खुश नहीं, तो हमें कुछ और करने के बारे में सोचना चाहिए। हर किसी का जीवन अलग होता है। मैं यह नहीं कहती कि आप मेरे जैसे जीना शुरू कर दें, लेकिन आप कम से कम अपने जीवन की जिम्मेदारी खुद लें।”
वह सोशल मीडिया पर भी अलग-अलग ग्रुप के माध्यम से लोगों को ट्रेवलिंग, सस्टेनेबल जीवन और जीरो वेस्ट लाइफ के बारे में बताती रहती हैं।
आप भी दीपा के इन सोशल मीडिया ग्रुप्स से जुड़ सकते हैं।
(Dariya Dil Dukaan)दरिया दिल दुकान
एक सस्टेनेबल जीवन जीने के दीपा के कुछ ख़ास नुस्खे
1. जितना हो सके Public Transport का इस्तेमाल करें।
2. कम से कम शॉपिंग करें, जिस चीज़ की जरूरत है वही खरीदें।
3. डिस्पोजेबल बैटरी से रिचार्जेबल बैटरी में स्विच करें।
4. कपड़े का थैला और पानी की बोतल साथ रखें।
5. रोजमर्रा के जीवन में केमिकल का इस्तेमाल करने से बचें।
6. RO या वॉटर फिल्टर के बहते पानी को इकट्ठा करें और इसका इस्तेमाल शौचालय/फर्श को साफ करने/बर्तन धोने के लिए करें।
7. अपने आस-पास ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाएं, हो सके तो खुद परिवार के लिए सब्जियां घर पर उगाएं।
8. टिश्यू, हैंड सैनिटाइज़र, वेट वाइप्स आदि का उपयोग करने के बजाय अपने हाथ धोएं।
9 . बिलों/रसीदों/पैम्फलेटों/विज्ञापनों/विजिटिंग कार्डों आदि का इस्तेमाल कम करें।
10. चीजों को रीसायकल और रियूज करना सीखें।
संपादन- अर्चना दुबे
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