“मेरी माँ उनकी हँसी और मुस्कुराहट में ज़िंदा हैं, जिन्हें उनकी वजह से जीने का सेकंड चांस मिला!” निशा डागर
साइक्लोन फोनी: तूफ़ान से गिरी अस्पताल की छत, अपनी जान की परवाह किये बिना मेडिकल स्टाफ ने बचायी 22 बच्चों की जान! निशा डागर
मैं तब तक आराम से नहीं बैठूंगी, जब तक मेरी बेटियाँ सबको बता न दें कि वे कितना कुछ कर सकती हैं! निशा डागर
95 साल के एक किसान की सालों की मेहनत और ‘द बेटर इंडिया’ पर एक कहानी ने उन्हें दिलाया पद्म श्री! निशा डागर