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पढ़ें कैसे इस जर्नलिस्ट ने साइकिल से की भारत यात्रा, घूम लिए 15 राज्य और बनाया ईको-फ्रेंडली गांव का मॉडल

Cycling Tour India By Ankit Arora

यह प्रेरक कहानी जयपुर के एक ऐसे शख्स की है, जिनके लिए साइकिलिंग (Cycling) एक जुनून है। वह पिछले चार साल से लगातार साइकिल चला रहे हैं और देश के 15 राज्यों की यात्रा पूरी कर चुके हैं। 

साल 2017 में जयपुर के अंकित अरोड़ा ने अपने जीवन का एक लक्ष्य तैयार किया और निकल पड़े एक एक लंबी साइकिल यात्रा (Cycling tour) पर। उनको अपना नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराना था। इस मिशन को पूरा करने  के लिए उन्होंने भारत भ्रमण करने का फैसला किया।

अंकित इससे पहले मीडिया और बीपीओ सेक्टर में चार साल काम कर चुके हैं। अपनी इस अनूठी यात्रा के लिए उन्होंने नौकरी भी छोड़ दी। 

अंकित ने द बेटर इंडिया को बताया, “मुझे साइकिल चलाना बेहद पसंद है और मैं साइकिलिंग (Cycling) और मैराथन जैसे कई इवेंट्स में अक्सर भाग लेता रहता था। मुझे हमेशा से एक लंबी यात्रा (Long Cycling Tour) पर जाने का शौक था और साल 2017 में मैंने हिम्मत करके साइकिल से भारत भ्रमण का मन बनाया।”

यात्रा शुरू करने से पहले उन्होंने तक़रीबन  80,000 रुपये का निवेश करके एक साइकिल, कुछ कपड़े, एक कैमरा और एक टेंट ख़रीदा। 

शुरुआत में वह बिना किसी खास मकसद के सिर्फ यात्रा (Cycling) कर रहे थे, लेकिन कुछ समय बाद उन्हें अहसास हुआ कि अपने इस सफर को उन्हें एक उदेश्य से जोड़ना चाहिए। 

वह कहते हैं, “मैं बस ज्यादा दूरी तय करके एक रिकॉर्ड बनाने के पीछे पड़ा था। लेकिन अलग-अलग जगहों पर घूमते हुए अनुभव हुआ कि इस यात्रा (cycling trip) से मुझे देश की सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं को समझने की कोशिश करनी चाहिए। क्योंकि ये सारे अनुभव किसी रिकॉर्ड से ज्यादा जरूरी थे।”

इसलिए अंकित ने अपना दृष्टिकोण बदल दिया और किसी रिकॉर्ड का पीछा करने के बजाय अपने अनुभवों के माध्यम से ज्ञान को बढ़ाने पर जोर दिया। अपनी चार साल की यात्रा (cycling tour) के दौरान उन्होंने उत्तरी, पश्चिमी और मध्य भारत को कवर करते हुए 15 राज्यों की यात्रा पूरी की है। उन्होंने बताय,  “मैंने दक्षिण भारत के सभी पांच राज्यों और आठ केंद्र शासित प्रदेशों की यात्रा की है।”

इस अनूठी यात्रा के कारण ही उन्हें कर्नाटक में सस्टेनेबल और पर्यावरण के अनुकूल एक गांव का मॉडल बनाने की प्रेरणा मिली। उन्होंने यात्रा (cycling trip) के दौरान देश की विविध संस्कृतियों और परंपराओं के बारे में जो कुछ भी सीखा है, उसका इस्तेमाल वह इस गांव में कर रहे हैं।  

Ankit Arora

एक समृद्ध संस्कृति की यात्रा 

अपनी यात्रा (Cycling tour) के बारे में बात करते हुए 32 वर्षीय अंकित कहते हैं, “यात्रा (cycling) के दौरान मैं कई लोगों के साथ उनके परिवार की तरह रहता था। मैं आर्मी ऑफिसर्स, इंजीनियर, टीचर्स, किसान, कारीगर, डॉक्टर और यहां तक की आत्मसमर्पण कर चुके नक्सलियों के साथ भी रह चुका हूं। इस तरह मुझे लगभग 600 परिवारों के साथ रहने का अवसर मिला। मैंने उनके साथ मिलकर उनका काम भी सीखा।”

यात्रा के दौरान अंकित को आदिवासी इलाकों में भी रहने का मौका मिला। इन इलाकों में जहां उन्होंने लोगों के जीवन को समझा वहीं साथ ही स्थानीय कला को भी समझने की कोशिश की। ग्रामीण भारत में रहकर वह कई कलाकारों से भी मिले। वह महाराष्ट्र और बेंगलुरु में लकड़ी की मूर्तियां बनाने वालों से मिले। इसके अलावा तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में खादी की शर्ट और मिट्टी के घर बनाने की तरकीब सीखी।  

वह आगे कहते हैं, “मैंने आंध्र प्रदेश के नुजविद (Nuzvid) शहर में नारियल के खोल से कटलरी, ज्वेलरी, बांसुरी और वीणा जैसे वाद्ययंत्र बनाना सीखा। आदिवासी समुदाय के लोगों के साथ रहकर मुझे जंगल के बारे में जानने का मौका मिला। मैंने तंजावुर, मधुबनी और गोंड कलाकारों से पेंटिंग बनाना सीखा है। यात्रा (cycling) के दौरान मैंने आंध्र प्रदेश के एटिकोप्पका (Etikoppaka) में 400 साल पुराने लकड़ी से खिलौना बनाना भी सीखा।”

अपनी रोमांचकारी यात्रा को याद करते हुए अंकित कहते हैं, “एक समय ऐसा था जब मेरे पास रहने के लिए कोई जगह नहीं थी, तब मैं एक गुरुद्वारा में रहने लगा। वहां मुझे लोगों का बहुत प्यार मिला था। जब मैं सड़क के किनारे रहता था तब वहां रहने वाले लोग मुझे बहुत प्यार से खाना खिलाते थे। हालांकि कुछ  स्थानीय लोग मुझपर शक भी करते थे, तब मुझे उन्हें समझाना पड़ता था कि क्यों राजस्थान का एक अजनबी लड़का उनके शहर में साइकिल चलाते हुए पहुंचा है।”

लेकिन पिछले साल COVID-19 महामारी की वजह से उनकी यात्रा में एक विराम लग गया। हालांकि, तब तक उन्होंने 1,540 किमी की दूरी तय कर ली थी और उस समय वह बेंगलुरु में एक परिवार के साथ रह रहे थे। उन्होंने बताया, “बेंगलुरु की एक चित्रकार श्रीदेवी और उनके पति बालासुब्रमण्यम, जो एक आर्मी ऑफिसर थे, इंस्टाग्राम पर मेरी यात्रा (cycling trip) के बारे में पढ़ते थे। उन्होंने मुझसे कहा कि जब भी वह बेंगलुरू आएं तो उनके घर जरूर आएं।” 

अंकित इस दंपति के साथ अपने अनुभव के बारे में बात करते हुए कहते हैं, “मैंने श्रीदेवी को बताया कि कैसे ग्रामीण भारत पारंपरिक जीवन शैली से दूर होता जा रहा है, जिससे हमारी समृद्ध संस्कृति और विरासत विलुप्त होने की कगार पर है। मैंने देखा था कि गांव में भी आजकल कंक्रीट से पक्के मकान बनने लगे हैं।  लोग पर्यावरण के अनुकूल मिट्टी के घर बनाना भूलते जा रहे हैं। इतना ही नहीं, गांव में आज किसान जैविक खेती को नुकसान का सौदा मान रहे हैं।”

बनाया ईको-फ्रेंडली गांव का मॉडल

अंकित की बात से प्रभावित होकर इस दंपति ने कुछ बदलाव लाने के बारे में सोचा। इसी उदेश्य से उन्होंने बेंगलुरु के पास कृष्णागिरी में एंचेटी (Anchetty) गांव में दो एकड़ जमीन खरीदी।

आगे चलकर इन तीनों ने मिलकर इस जमीन पर Innisfree Farms के नाम से एक फार्म तैयार किया। यह एक सस्टेनेबल फार्म है, जिसमें ईको-फ्रेंडली वस्तुओं का उपयोग करके मिट्टी के घर बनाए गए हैं। उन्होंने यह कदम लोगों में सस्टेनेबल लाइफस्टाइल के प्रति जागरूकता लाने के लिए उठाया है। उन्होंने स्थानीय किसानों को पारंपरिक तरीकों के बारे में समझाने और जैविक खेती से जोड़ने के लिए एक उदाहरण के तौर पर इस फार्म को बनाया है। 

अंकित ने बताया, “फार्म में हमने दो मिट्टी के घर बनाए हैं, जिसमे हमने स्थानीय रूप से उपलब्ध लाल और भूरी रंग की मिट्टी उपयोग किया है। दीवारों को बनाने में हमने मिट्टी को गुड़, शहद और अंडे की जर्दी को साथ में मिलाकर इस्तेमाल किया है। यह एक प्राचीन आदिवासी तकनीक है। इन घरों को हमने षट्भुज और अष्टकोण (Hexagon and Octagon) के आकार में बनाया है जो कार्बन फुटप्रिंट को कम करने और थर्मल इन्सुलेशन बढ़ाने का सस्ता और प्राकृतिक तरीका है। दीवारों को प्राकृतिक रूप से दीमक से बचाने के लिए हमने पानी और नीम के पत्तों, हरी मिर्च, लहसुन, हल्दी और चूने जैसी जड़ी-बूटियों साथ एक परत तैयार की है।”

अंकित ने मिट्टी से एक सोफा भी बनाया है, जिसमें उन्होंने प्लास्टिक और कांच की बोतलों का इस्तेमाल किया है। इन बोतलों को उन्होंने होगेनक्कल (Hogenakkal) वॉटरफाल और पास की नदियों के किनारों से इकट्ठा किया था। 

मिट्टी सोफा

इसके अलावा उन्होंने दो लकड़ी और फूस के घर भी बनाएं हैं। इस घर के शौचालयों (Dry toilets) में पानी का उपयोग नहीं होता है क्योंकि बाथरूम में कोई फ्लश ही नहीं है। उन्होंने बताया, “यहां मिट्टी, लकड़ी की छीलन और चूने जैसी प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल करके एक छह फुट गहरे गड्ढ़े में ह्यूमन वेस्ट को ढककर रखा जाता है। यह बॉयो वेस्ट एक साल के अंदर सड़ जाता है और बाद में इसे खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। ”

इस फार्म में किचन से लेकर बाथरूम तक के वेस्ट को पूरी तरह से रीसायकल किया जाता है। इसके अलावा उन्होंने रेनवॉटर हार्वेस्टिंग के लिए दो तालाब भी बनाए हैं। फार्म में 60 फलदार पेड़ हैं। साथ ही वे पालक, टमाटर, मिर्च, हल्दी, भिंडी, करेला, लौकी जैसी कई सब्जियां ऑर्गेनिक तरीके से उगा रहे हैं।  

हाल में अंकित स्थानीय किसानों को जैविक खेती सीखा रहे हैं। साथ ही वह आस-पास के गांवों की महिलाओं को भी नारियल के खोल से ज्वेलरी और अन्य सजावटी चीजें बनाना सीखा रहे हैं। 

आज यह फार्म आस-पास के कई गावों के लिए मॉडल के रूप में बन गया है। लेकिन अंकित की यात्रा (cycling trip) यहीं ख़त्म नहीं हुई है। उनकी योजना पूरे भारत में ऐसे और कई मॉडल गांव बनाने की है। 

वह कहते हैं, “मैं अपनी यात्रा को जारी रखूंगा और भारत के बचे हुए हिस्सों की भी यात्रा करूंगा। मेरा उद्देश्य समाज के सभी वर्गों में सस्टेनेबल लाइफस्टाइल के प्रति जागरूकता लाना है। इसी संदेश के साथ मैं और लोगों से मिलना चाहता हूं, कुछ और मिट्टी के घर बनाना चाहता हूं। भारत की भूली-बिसरी और छिपी हुई कला को फिर से जीवित करना चाहता हूं। इसलिए मेरी मेरी यात्रा अभी और लंबी चलेगी।”

मूल लेख- हिमांशु नित्नावरे 

संपादन- जी एन झा

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